HC ने VDO पद पर बिना ट्रिपल सी के सफल याची की नियुक्ति के दिए निर्देश
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि सरकार अपनी बात से मुकर नहीं सकती. सरकार ने कोर्ट में कहा कि ग्राम विकास अधिकारी पद के लिए ट्रिपल सी प्रमाणपत्र अनिवार्य अर्हता नहीं है.
highlights
- अपनी बात से नहीं मुकर सकती सरकार : हाईकोर्ट
- दोबारा कोर्ट में आने को विवश करने पर सरकार पर कोर्ट ने लगाया 10 हजार हर्जाना
प्रयागराज:
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि सरकार अपनी बात से मुकर नहीं सकती. सरकार ने कोर्ट में कहा कि ग्राम विकास अधिकारी पद के लिए ट्रिपल सी प्रमाणपत्र अनिवार्य अर्हता नहीं है. फिर से चयनित अभ्यर्थी को इस आधार पर नियुक्ति देने से इनकार नहीं कर सकती कि याची ट्रिपल सी योग्यता नहीं रखती. कोर्ट ने आयुक्त ग्राम विकास विभाग द्वारा याची की नियुक्ति की मांग अस्वीकार करने को अवैध करार देते हुए रद्द कर दिया है और दो हफ्ते में याची की नियुक्ति करने का निर्देश दिया है.
इलाहाबाद कोर्ट ने याची के पक्ष में कोर्ट का फैसला होने के बाद भी नियुक्ति न करने पर दोबारा हाईकोर्ट आने को विवश करने के लिए 10 हजार रुपये हर्जाना भी लगाया है. यह आदेश न्यायमूर्ति सौरभ श्याम शमशेरी ने खुशबू कुमारी गुप्ता की याचिका को स्वीकार करते हुए दिया है.
मालूम हो कि याची उत्तर प्रदेश अधीनस्थ सेवा चयन आयोग की ग्राम विकास अधिकारी भर्ती 2016 में लिखित परीक्षा व शारीरिक दक्षता टेस्ट में सफल घोषित हुई, किंतु यह कहते हुए साक्षात्कार में नहीं बुलाया कि ट्रिपल सी की अर्हता नहीं रखती है.
जिसके खिलाफ याचिका खारिज हो गई तो विशेष अपील दाखिल की गई. सरकार की तरफ से कहा गया कि ग्राम विकास अधिकारी सेवा नियमावली के तहत पद की योग्यता इंटरमीडिएट या समकक्ष डिग्री है. ट्रिपल सी अनिवार्य अर्हता नहीं है. खंडपीठ ने याची का साक्षात्कार लेकर परिणाम से अवगत कराने का आदेश दिया. याची को साक्षात्कार के बाद सफल घोषित कर आयोग ने आयुक्त को नियुक्ति करने की संस्तुति की. पालन न करने पर अवमानना याचिका पर कहा खंडपीठ ने नियुक्ति का निर्देश नहीं दिया है. खंडपीठ के आदेश की वापसी की अर्जी भी दाखिल की जो खारिज हो गई. याची ने प्रत्यावेदन दिया कि उसे नियुक्त किया जाए, जिसे ट्रिपल सी न होने के कारण खारिज कर दिया तो दोबारा याचिका दायर की गई.
याची का तर्क था कि कोर्ट ने सरकार के यह मानने के बाद कि ट्रिपल सी अनिवार्य अर्हता नहीं है. कोर्ट ने याची की नियुक्ति का आदेश दिया है. सरकार ने आदेश वापस लेने की अर्जी दी. वह भी दिग्भ्रमित मानते हुए खारिज हो गई. आदेश अंतिम हो गया, जिसे सरकार ने चुनौती नहीं दी है. कोर्ट ने कहा कि सरकार अपनी बात से मुकर नहीं सकती और नियुक्ति का आदेश दिया है.
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