सांसदों को एक-दूसरे की भाषाओं का सम्मान करना चाहिए : सुप्रिया सुले

सांसदों को एक-दूसरे की भाषाओं का सम्मान करना चाहिए : सुप्रिया सुले

सांसदों को एक-दूसरे की भाषाओं का सम्मान करना चाहिए : सुप्रिया सुले

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IANS
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Pune: NCP (SP) supremo Sharad Pawar leaves after casting his vote during the Maharashtra Assembly elections

(source : IANS) ( Photo Credit : IANS)

मुंबई, 8 जुलाई (आईएएनएस)। महाराष्ट्र में मराठी-हिंदी भाषा विवाद पर सियासत तेज हो गई है। भाजपा सांसद निशिकांत दुबे के एक बयान पर एनसीपी (शरद पवार गुट) सांसद सुप्रिया सुले ने पलटवार करते हुए कहा कि सभी सांसदों को एक-दूसरे की भाषाओं का सम्मान करना चाहिए।

मंगलवार को प्रेस वार्ता के दौरान सांसद सुप्रिया सुले ने कहा कि अरुण जेटली जी कहा करते थे, अगर आप इसे दिखाना बंद कर देंगे, तो लोग इस पर बात करना बंद कर देंगे। देश के हर राज्य और क्षेत्र के लोगों को अपनी भाषा में बोलने का अधिकार है। सभी सांसदों को एक-दूसरे की भाषाओं का सम्मान करना चाहिए। यही हमारी संस्कृति और मूल्य प्रणाली है।

महाराष्ट्र भाषा विवाद पर भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट करते हुए ठाकरे बंधुओं को टारगेट पर लिया। उन्होंने लिखा, “हिम्मत है तो मुम्बई के माहिम में ठाकरे बंधु गैर-मराठी भाषी को मार कर दिखाएं। तमिल भाषी, कन्नड़ भाषी, गुजराती और अब राजस्थान के लोगों को थाने में पीटकर अपनी चौधराहट दिखा रहे हो या फिर बीएमसी चुनाव में अपनी होने वाली हार का जश्न मना रहे हो।“

दूसरी ओर, मुंबई के मीरा रोड इलाके में महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) की ओर से धरना प्रदर्शन किया गया। इस दौरान कुछ कार्यकर्ताओं को पुलिस की ओर से हिरासत में लेने से बवाल भी हुआ। इस प्रदर्शन पर मनसे जिला अध्यक्ष संदीप राणे ने कहा कि मार्च निकालने का कारण यह था कि कुछ दिन पहले व्यापारियों ने मराठी और महाराष्ट्र के खिलाफ बड़े-बड़े दावों और घोषणाओं के साथ मार्च निकाला था। हमने तुरंत उन्हें करारा जवाब देने का फैसला किया। उन्होंने मार्च निकाला, लेकिन इसके असली आयोजक नरेंद्र मेहता के कार्यकर्ता हैं।

संदीप राणे ने कहा कि मैं उन्हें बस यह कहना चाहता हूं कि राजनीति करने के लिए बड़े-बड़े प्लेटफॉर्म हैं। वहां जाकर जितना चाहे राजनीति कीजिए। कोई रोकने वाला नहीं है। मैं सभी धर्मों के लोगों से अपील करना चाहता हूं कि मीरा भयंदर में शांति बनी रहनी चाहिए। मराठी के खिलाफ जो भी बोलेगा, उससे वैसा ही जवाब दिया जाएगा।

--आईएएनएस

डीकेएम/एबीएम

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