नई दिल्ली, 20 जून (आईएएनएस)। भारतीय क्रिकेटर राजिंदर गोयल एक ऐसे स्पिन जादूगर थे, जिनकी गेंदबाजी से बड़े-बड़े बल्लेबाज घबराते थे। जब वे 22 गज की पिच पर गेंद लेकर उतरते, तो सामने वाली टीम के खिलाड़ियों के लिए रन बनाना मुश्किल हो जाता था। उनकी गेंदों में ऐसा जादू था कि बल्लेबाज अक्सर चकमा खाकर आउट हो जाते या रक्षात्मक खेलने को मजबूर हो जाते। इस दिग्गज ने प्रथम श्रेणी क्रिकेट में कई कीर्तिमान रचे, लेकिन अफसोस कि उन्हें कभी भारतीय टीम के लिए खेलने का मौका नहीं मिला। 21 जून 2020 को 77 वर्ष की आयु में इस दिग्गज ने दुनिया को अलविदा कह दिया।
इस क्रिकेटर का भले ही टीम इंडिया की जर्सी में खेलने का सपना पूरा न हुआ हो। लेकिन उनके रिकॉर्ड आज भी उनकी महानता की गवाही देते हैं। राजिंदर गोयल के रिकॉर्ड्स पर नजर डाले तो उन्होंने प्रथम श्रेणी क्रिकेट में कुल 157 मैच खेले जिसमें उन्होंने 750 विकेट लिए। उन्होंने 59 बार एक पारी में 5 या उससे ज्यादा विकेट लिए। उन्होंने 18 बार एक मैच में 10 या इससे ज्यादा विकेट लिए। उनकी स्पिन की जादूगरी कुछ ऐसी थी कि उनका इकॉनमी रेट सिर्फ 2.10 था। वह बल्लेबाजों को रन बनाने के बेहद कम मौके देते थे। राजिंदर यूं तो एक गेंदबाज के तौर पर जाने जाते थे, लेकिन बल्लेबाजी का जब भी मौका मिला तो वह अपने हाथ जरूर आजमाते थे। उन्होंने बल्ले से भी 1000 से अधिक रन बनाए। उच्चतम स्कोर 44 रहा।
राजिंदर गोयल के बारे में एक बार दिग्गज गेंदबाज बिशन सिंह बेदी ने कहा था कि गोयल उनसे भी बेहतर गेंदबाज थे। बस मुझे भारत के लिए खेलने का मौका मिल गया था। ये सब किस्मत का खेल है।
बिशन सिंह बेदी के शब्दों में, वह भगवान के बंदे थे। गुडप्पा विश्वनाथ के शब्दों में, वह भारत के लिए नहीं खेले तो क्या हुआ? वह तब भी एक चैंपियन थे।
कपिल देव ने इस क्रिकेटर के बारे में कहा था कि अगर तब आईपीएल होता तो गोयल को बहुत ज्यादा कीमत मिलती, क्योंकि जब वे लय में होते थे और पिच से थोड़ी भी मदद मिल रही होती थी तो उनको खेलना लगभग नामुमकिन था। पंजाब के नरवाना में जन्मे गोयल ने पहला रणजी मैच 1958-59 में दक्षिण पंजाब के लिए खेला था। इसके बाद उन्होंने हरियाणा और दिल्ली का प्रतिनिधित्व किया था।
दिल्ली के लिए खेलते हुए उनको बेदी के साथ बॉलिंग करने का मौका मिला था। वह बेदी के कायल थे। साल 2001 में एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा था कि भारत के लिए सिर्फ एक ही बाएं हाथ का स्पिनर उस समय खेल सकता था और वह बिशन सिंह बेदी ही थे।
हालांकि, एक बार 1974 में गोयल को बेदी की गैरमौजूदगी में टीम इंडिया में जगह बनाने का मौका मिला था। बेंगलुरु में हुआ यह मैच क्लाइव लॉयड की खतरनाक वेस्टइंडीज टीम से था। विवि रिचर्ड्स तब डेब्यू करने जा रहे थे। गोयल को यकीन था कि वह टीम में जगह बना लेंगे लेकिन जब प्लेइंग 11 की बारी आई तो उनका नाम नहीं था। आगे भी ऐसे मौके आए जब लगा कि वह भारत की ओर से खेलने के लिए कुछ ही कदम की दूरी पर खड़े हैं। लेकिन ऐसा हो नहीं सका। हालांकि हमेशा की तरह उन्होंने इसके लिए किसी को दोष नहीं दिया।
--आईएएनएस
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