सनातन धर्म में कई ऐसे महत्वपूर्ण ग्रंथ है जिनका विशेष महत्व है. इसमें गरुड़ पुराण भी शामिल है. जो कि अठारह महा पुराणों में से एक है. इसमें व्यक्ति की मृत्यु के बारे में विस्तार से बताया गया है. मृत व्यक्ति के अंतिम संस्कार के 3 दिन बाद अस्थियों का विसर्जन किया जाता है. जिसके लिए गंगा नदी को महत्वपूर्ण माना जाता है. वहीं गंगा नदी में स्नान मात्र से पापों से मुक्ति हो जाती है. किसी व्यक्ति को मोक्ष दिलाने के लिए उसकी अस्थियां गंगा नदी में ही विसर्जित की जाती हैं.
गुरड़ पुराण के अनुसार
गरुड़ पुराण के अनुसार, व्यक्ति की मृत्यु के बाद अस्थि विसर्जन जरूर करना चाहिए. इसे धार्मिक अनुष्ठानों में शामिल किया जाता है. वहीं जब इंसान के शरीर से आत्मा निकल जाती है, तो वह अपने नए जीवन में चली जाती है. मान्यता है कि गंगा नदी में अस्थि विसर्जन करने से मृत व्यक्ति को स्वर्ग मिलता है क्योंकि भगीरथ मां गंगा को स्वर्ग से पृथ्वी पर लाए थे.
श्री कृष्ण ने बताया महत्व
श्री कृष्ण के मुताबिक, जितने दिनों तक इंसान की एक -एक हड्डी गंगा में रहती है, उतने टाइम तक वह वैकुंठ में वास करता है. इसके अलावा कृष्ण बताते है कि अगर कोई मूर्ख व्यक्ति भी अगर गंगा को छू कर मरता है तो उस पर भी श्री कृष्ण की कृपा से परम पद का अधिकार मिलता है. वहीं अगर इंसान कहीं भी मरते वक्त गंगा का नाम लेता है तो श्री कृष्ण उसे भी सालोक्य पद प्रदान करते है. वह ब्रह्मा की आयु जितने समय तक वहां रहता है.
वैज्ञानिक कारण
वैज्ञानिक कारणों की बात करें तो गंगा का जल अम्लीय होता है, साथ ही इसमें सल्फर(Sulfur)के साथ मरकरी( Mercury)होता है. वहीं हड्डियों में कैल्शियम और फास्फोरस होता है. जो कि गंगा में घुल जाता है. जिसकी वजह से गंगा के जल में होने से हड्डियां जल्दी गल जाती हैं. वहीं दूसरे किसी पानी में अस्थियां गलने में आठ से दस साल का समय लग जाता है.
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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. न्यूज नेशन इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)