शरीर पर भस्म क्यों लगाते हैं भगवान शिव?
शिव के गले में माला के नाम पर सांप, सिर पर मुकुट की जगह जटाएं, शरीर पर वस्त्रों की बजाए बाघ की खाल और शरीर पर चंदन का लेप नहीं, बल्कि भस्म क्यों है?
नई दिल्ली:
क्या आपने कभी सोचा है कि भगवान शिव बिना आभूषणों के क्यों रहते हैं? उनके गले में माला के नाम पर सांप, सिर पर मुकुट की जगह जटाएं, शरीर पर वस्त्रों की बजाए बाघ की खाल और शरीर पर चंदन का लेप नहीं, बल्कि भस्म क्यों है?
आपको बता दें कि यह भस्म लकड़ी की नहीं, बल्कि चिता की राख होती है। इसे लगाने के पीछे कई धार्मिक मान्यताएं प्रचलित है।
धार्मिक मान्यता के अनुसार, भगवान शिव को मृत्यु का स्वामी माना गया है। इसी वजह से 'शव' से 'शिव' नाम बना। महादेव के मुताबिक शरीर नश्वर है और इसे एक दिन भस्म की तरह राख हो जाना है। जीवन के इस पड़ाव के सम्मान में शिव जी अपने शरीर पर भस्म लगाते हैं।
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एक और कथा प्रचलित है कि जब सति ने क्रोध में आकर खुद को अग्नि के हवाले कर दिया था, उस वक्त महादेव उनका शव लेकर धरती से आकाश तक हर जगह घूमे थे। विष्णु जी से उनकी यह दशा देखी नहीं गई और उन्होंने माता सति के शव को छूकर भस्म में तब्दील कर दिया। अपने हाथों में भस्म देखकर शिव जी और परेशान हो गए और सति की याद में वो राख अपने शरीर पर लगा ली।
धार्मिक ग्रंथों में यह भी कहा गया है कि भगवान शिव कैलाश पर्वत पर वास करते थे। वहां बहुत ठंड होती थी। ऐसे में खुद को सर्दी से बचाने के लिए वह शरीर पर भस्म लगाते थे।
आज भी बेल, मदार के फूल और दूध चढ़ाने के अलावा लगभग हर शिव मंदिर में भस्म आरती होती है।
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