Kumbh Ka Rahasya: 12साल बाद ही क्यों लगता है महाकुंभ? क्या है इसके पीछे का रहस्य, जानें यहां

Kumbh Ka Rahasya:आमतौर पर कुंभ मेले का आयोजन हर कुछ वर्षों में किया जाता है, उदाहरण के लिए प्रत्येक 3 वर्ष पर लगने वाले मेले को कुम्भ के नाम से जाना जाता है, प्रत्येक 6 वर्ष पर लगने वाले मेले को अर्धकुंभ और 12 वर्ष बाद पूर्ण कुंभ या महाकुंभ कहा जाता है, आखिर हर 12 साल में ही क्यों होता है महाकुंभ का आयोजन?

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Anurag Tiwari
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Kumbh Ka Rahasya

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12 saal mein kyu lagta hai Mahakumbh: कंभ मेला, एक ऐसा धार्मिक पर्व है जो हर 12 साल में एक बार होता है. यह आयोजन विशेष रूप से चार प्रमुख स्थानों पर होता है—हरिद्वार, प्रयागराज, नासिक, और उज्जैन. इन चार स्थानों में से नासिक और उज्जैन में हर साल कुंभ मेला लगता है. महाकुंभ, जिसमें लाखों श्रद्धालु भाग लेते हैं, पिछली बार प्रयागराज में 2013 में हुआ था, और अगला महाकुंभ 2025 में होने वाला है.

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महाकुंभ हर 12 साल में क्यों होता है? ( why Mahakumbh held every 12 years)

महाकुंभ का आयोजन 12 साल में एक बार होता है, और इसके पीछे एक खगोलीय कारण है. ज्योतिष के अनुसार, महाकुंभ का आयोजन ग्रहों की स्थिति पर निर्भर करता है, विशेषकर बृहस्पति और सूर्य की राशियों पर. बृहस्पति लगभग 12 वर्षों में अपनी 12 राशियों का पूरा चक्कर लगाते हैं. जब बृहस्पति कुम्भ राशि में और सूर्य मेष राशि में होते हैं, तब महाकुंभ का आयोजन किया जाता है. यही कारण है कि हर 12 साल में यह महापर्व मनाया जाता है.

समुद्र मंथन की कथा

कंभ मेला का संबंध समुद्र मंथन की पुरानी कथा से भी जुड़ा हुआ है. पौराणिक कथाओं के अनुसार, देवताओं और राक्षसों ने अमृत प्राप्त करने के लिए समुद्र मंथन किया था. इस मंथन के दौरान सबसे पहले विष निकला जिसे भगवान शिव ने पी लिया. फिर अमृत निकला जिसे देवताओं ने ग्रहण किया. इस अमृत के लिए 12 दिव्य दिनों तक युद्ध चला, जो मनुष्यों के 12 वर्षों के बराबर माना जाता है. यही कारण है कि कुंभ मेला हर 12 साल में एक बार होता है और इसे विशेष महत्व दिया जाता है.

12 अंक का महत्व

कंभ मेला का आयोजन 12 साल में एक बार होता है, और इसका गहरा संबंध 12 अंकों से है. देवताओं के 12 दिन मनुष्यों के 12 वर्षों के समान माने जाते हैं. समुद्र मंथन के दौरान अमृत के लिए देवताओं और राक्षसों के बीच 12 दिव्य दिनों तक संघर्ष चला, जो मानव काल के 12 वर्षों के बराबर था. इस अवधि के दौरान नदियाँ अमृत में बदल गईं, और इसलिए तीर्थयात्री पवित्रता और अमरता के प्राप्ति के लिए कुंभ मेले में आते हैं.

इस प्रकार निर्धारित किये गये चार स्थान (4 Places of Kumbh Mela)

पौराणिक कथा के अनुसार, देवताओं और राक्षसों के बीच युद्ध 12 वर्षों तक चला. इस युद्ध में 12 स्थानों पर अमृत की बूंदें गिरीं, जिनमें से आठ स्वर्ग पर और चार पृथ्वी पर गिरीं. जिन स्थानों पर यह अमृत गिरा था वे स्थान थे - प्रयागराज, हरिद्वार, उज्जैन और नासिक जहां कुंभ मेले का आयोजन किया जाता है.

कंभ मेला, एक धार्मिक और सांस्कृतिक पर्व है, जो न केवल भारतीयों बल्कि पूरी दुनिया के तीर्थयात्रियों को आकर्षित करता है. इसके आयोजन का उद्देश्य श्रद्धालुओं को पवित्रता, साधना और अमरता की प्राप्ति के लिए एक मंच प्रदान करना है.

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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. न्यूज नेशन इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)

 

 

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