इस संसार में चाहें इंसान हो या फिर जानवर हो मृत्यु एक ना एक दिन हर किसी की होनी है. लेकिन सभी के प्राण निकलने का तरीका अलग होता है. कुछ लोगों का मुंह टेढ़ा हो जाता है, तो किसी की आंखें उलट जाती हैं. जो अच्छा कर्म करता है, वह जन्म और मरण के चक्र से मुक्त होकर भगवान विष्णु के परम धाम वैकुंठ में स्थान प्राप्त करता है. जो पापी हैं, जो गलत कार्यों में लिप्त होते हैं, उनको नरक के कष्ट भोगने होते हैं. मरते समय ऐसा इंसान के शरीर में क्या होता है और आत्मा कैसे निकलती है. आइए बताते है.
कैसे निकलती है आत्मा
गरुड़ पुराण के मुताबिक मरते समय आत्मा शरीर के नौ द्वारों में से किसी से शरीर छोड़ती है. ये नौ द्वार दोनों आखें, दोनों कान, दोनो नासिका, मुंह या फिर उत्सर्जन अंग हैं. जिस व्यक्ति की आत्मा उत्सर्जन अंग से निकलती है, मरते समय वो मल-मूत्र त्याग देते हैं. हालांकि गरुड़ पुराण में इस तरह से प्राण का त्यागना अच्छा नहीं माना जाता.
मृत्यु से पहले होती है ये चीजें
गरुड़ पुराण के मुताबिक मरते समय आत्मा शरीर के नौ द्वारों में से किसी से शरीर छोड़ती है. ये नौ द्वार दोनों आखें, दोनों कान, दोनो नासिका, मुंह या फिर उत्सर्जन अंग हैं. जिस व्यक्ति की आत्मा उत्सर्जन अंग से निकलती है, मरते समय वो मल-मूत्र त्याग देते हैं. हालांकि गरुड़ पुराण में इस तरह से प्राण का त्यागना अच्छा नहीं माना जाता.
पापी इंसान के ऐसे निकलते है प्राण
उत्सर्जन अंग से प्राण उस व्यक्ति के निकलते हैं जो जीवनभर सिर्फ अपने और अपने परिवार के लिए ही सोचता है. जन कल्याण नहीं करता. सिर्फ धन अर्जित करने में ही लगा रहता है. काम वासना में लगा रहता है. ऐसे लोग जब मृत्यु के समय यम दूतों को देखते हैं तो घबरा जाते हैं और उनके प्राण नीचे की ओर सरकने लगते हैं. इसके बाद प्राण वायु नीचे के मार्ग से निकल जाती है. प्राण वायु के साथ अंगूठे के आकार का एक अदृश्य जीव निकलता है. यमराज के दूत उसके गले में पाश बांध देते हैं और अपने साथ यमलोक लेकर जाते हैं. इस तरह की मृत्यु पापी व्यक्ति की मानी जाती है.
आंखें उलटना
गरुड़ पुराण में भगवान विष्णु गरुड़ को बताते हुए कहते हैं कि जो लोग मोह माया से ग्रसित होते हैं और जीने की बहुत ज्यादा चाह रखते हैं और अपने परिजनों से जिनका मोह बहुत ज्यादा होता है, ऐसे लोग मन से वैरागी नहीं हो पाते. ऐसे लोगों की मृत्यु निकट आने पर आंखें काम करना बंद कर देती हैं,कान से सुनाई देना बंद हो जाता है. कफ अधिक होने लगता है और वो चाहकर भी किसी से कुछ बोल नहीं पाता. ऐसे लोग परिवार के मोह के कारण प्राण नहीं छोड़ना चाहते. फिर यमराज के दूत बलपूर्वक उनके प्राण निकालते हैं और ऐसे में जब उनके प्राण आंखों से बलपूर्वक निकलते हैं तो आंखें उलट जाती हैं.
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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. न्यूज नेशन इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)