केरल की राजधानी तिरुवनंतपुरम में स्थित प्रसिद्ध और रहस्यमय तहखानों वाले मंदिर में 270 साल बाद आठ जून को दुर्लभ ‘महाकुंभाभिषेकम’ अनुष्ठान किया जाएगा. मंदिर में लंबे टाइम से लंबित जीर्णोद्धार कार्य के हाल ही में पूरा होने के बाद अगले हफ्ते ‘महाकुंभाभिषेकम’ होगा. यह अनुष्ठान दशकों में नहीं सदियों में होता है. मंदिर के प्रबंधक बी. श्रीकुमार ने बताया कि 8 जून को 'महा कुंभाभिषेकम' अनुष्ठान को मंदिर को पवित्र किया जाएगा. इतने साल के बाद अनुष्ठानों को देखना दुर्लभ अवसर है. आइए आपको इस मंदिर के बारे में बताते है.
मंदिर के बारे में
केरल की राजधानी तिरुवनंतपुरम में स्थित पद्मनाभस्वामी मंदिर विश्व का सबसे धनी मंदिर माना जाता है, जो भगवान विष्णु जी के अवतार भगवान पद्मनाभस्वामी को समर्पित है. जहां पर भगवान विष्णु विराजमान हैं. हिंदुओं के इस प्रसिद्ध तीर्थ स्थल के बारे में मान्यता है कि यहाँ भगवान विष्णु की मूर्ति प्राप्त हुई थी, जिसके बाद इस मंदिर का निर्माण कराया गया. बता दें कि यहां पर भगवान विष्णु अपने प्रिय अनंत नाग पर लेटे हुए मुद्रा में विराजमान हैं. इस प्रसिद्ध मंदिर के दर्शन करने भक्त दूर- दूर से आते हैं.
भक्तों के लिए एक सुनहरा मौका
बी. श्रीकुमार ने बताया कि 'महा कुंभाभिषेकम' से पहले भी आचार्य वरनम, प्रसाद शुद्धि, धारा, कलशम समेत कई पूजा होंगी. महा अनुष्ठान के दौरान नए 'थज़िकाकुडम' गर्भगृह के ऊपर तीन और ओट्टाक्कल मंडपम के ऊपर एक कलश की स्थापना होगी. विश्वक्सेना की मूर्ति को फिर से स्थापित किया जाएगा और तिरुवम्बाडी श्री कृष्ण मंदिर में 'अष्टबंध कलशम' होगा. मंदिर प्रबंधन का कहना है कि वे यह सुनिश्चित कर रहे हैं कि सभी रस्में ठीक से हों, ताकि मंदिर की पुरानी परंपरा बनी रहे. यह भगवान पद्मनाभ के भक्तों के लिए एक सुनहरा मौका है कि वे इतने सालों बाद इन पूजाओं को देख सकेंगे.
270 साल बाद क्यों
श्री पद्मनाभस्वामी मंदिर के प्रबंधक बी. श्रीकुमार ने बताया कि सदियों पुराने इस मंदिर में लगभग 270 साल के अंतराल के बाद व्यापक जीर्णोद्धार कराया गया है. इसके बाद ही मंदिर में महा कुंभअभिषेकम का आयोजन किया जा रहा, जिसमें इससे जुड़ी सभी रस्मों का निर्वहन किया जाएगा.
उन्होंने कहा कि श्री पद्मनाभ स्वामी मंदिर परिसर में आठ जून को महा कुंभभिषेकम अनुष्ठान का आयोजन होगा. इस योजन के तहत अलग-अलग कई अनुष्ठान किए जाएंगे. इसमें मंदिर में नवनिर्मित ‘तजिकाकुडम’ (गर्भ गृह के ऊपर तीन और ओट्टक्कल मंडपम के ऊपर एक) का अभिषेक किया जाएगा. विश्वसेन की मूर्ति की फिर से स्थापना और मुख्य मंदिर परिसर में ही स्थित तिरुवंबाडी श्री कृष्ण मंदिर में अष्टबंध कलसम जैसे अनुष्ठान शामिल हैं. मंदिर प्रबंधक बी श्रीकुमार के अनुसार इस तरह के व्यापक जीर्णोद्धार और इससे जुड़ी रस्में अगले कई दशकों में फिर से होने की फिलहाल संभावना नहीं है.
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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. न्यूज नेशन इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)