मरने के बाद 1 घंटे तक आत्मा के साथ होती है ये चीजें, गरुड़ पुराण ने बताई सच्चाई

मृत्यु जीवन का वह कड़वा सच है, जिसे कोई भी मिटा नहीं सकता है. मृत्यु के बारे में लोग पढ़ने से भी डरते हैं और उसके बारे में जानना भी चाहते हैं. वहीं गरुड़ पुराण में मरने के बाद आत्मा के साथ क्या होता है, वो सब कुछ बताया गया है.

मृत्यु जीवन का वह कड़वा सच है, जिसे कोई भी मिटा नहीं सकता है. मृत्यु के बारे में लोग पढ़ने से भी डरते हैं और उसके बारे में जानना भी चाहते हैं. वहीं गरुड़ पुराण में मरने के बाद आत्मा के साथ क्या होता है, वो सब कुछ बताया गया है.

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Nidhi Sharma
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आत्मा

आत्मा Photograph: (Freepik (AI))

मृत्यु, यह एक ऐसा सत्य है जिसे जितना समझा जाता है उतना ही इसकी पहेली उलझती चली जाती है. यह एक रहस्य है और एक पहेली भी. मृत्यु के बाद शरीर भले ही नष्ट हो जाता है, लेकिन शरीर में मौजूद ऊर्जा यानी की आत्मा समाप्त नहीं होती. मरने के बाद आत्मा को कई समय तक अजीब अनुभव होते हैं. जो कि उनके लिए काफी दुखदायी होता है. मृत्यु के बाद शरीर नष्ट हो जाता है. इसलिए उसे जला दिया जाता है या दफना दिया जाता है. लेकिन आत्मा कभी समाप्त नहीं होती, बस एक शरीर से दूसरे शरीर में रूपान्तरित होती रहती है. गरुड़ पुराण के भीतर यह उल्लेख मिलता है कि यमलोक पहुंचने में आत्मा को 40 दिन का समय लगता है। लेकिन क्या आप जानते हैं मृत्यु के पश्चात का 1 घंटा यानी 60 मिनट उस आत्मा के लिये बहुत महत्वपूर्ण होते हैं. उसे अजीबोगरीब हालातों का सामना करना पड़ता है। 

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अचेत अवस्था

मृत्यु के बाद जब आत्मा शरीर से निकलती है तो कुछ समय के लिए अचेत अवस्था में रहती है. यह कुछ इस तरह का अनुभव होता है, जैसे कोई मनुष्य बहुत परिश्रम करने के बाद खुद को थका-थका सा या गहरी नींद में महसूस करता है. लेकिन कुछ समय बाद फिर से सचेत हो जाती है.

सामान्य सा व्यवहार

मृत्यु के बाद जब आत्मा शरीर से निकलती है तो उसके साथ क्या घटित हुआ है इस बात का अनुभव उसे नहीं रहता. इसलिए जब आत्मा शरीर से बाहर आ जाती है तो उसके बाद भी वह पहले की तरह ही सामान्य व्यवहार करती है.

बेचैनी और घबराहट

आत्मा को तब बेचैनी और घबराहट होने लगती है,जब वह अपने परिजनों को पुकारती है उनसे कुछ कहना चाहती है लेकिन कोई उसे देख या सुन नहीं पाता. उसकी आवाज बस उसी तक ही रहती है. ऐसे में आत्मा घबरा जाती है. ऐसा इसलिए होता है, क्योंकि व्यक्ति केवल भौतिक चीजों को ही देख पाता और महसूस कर पाता है.

सांसारिक माया

आत्मा को शरीर त्यागने में दुख होता है. इसलिए वह अपने सगे-संबंधियों से मिलने और बात करने की कोशिश करती है. लेकिन उसकी कोशिश नाकाम होती है. ऐसा इसलिए होता है क्योंकि आत्मा भी सांसारिक मोह-माया के जाल में फंसकर शरीर को छोड़ने मे दुखी हो जाती है.

शरीर में जाने का प्रयास

आत्मा कई सालों तक जिस शरीर में रहती है वह फिर से उसी शरीर में प्रवेश करने का प्रयास करती है. लेकिन यमराज के दूत उसे शरीर में प्रवेश करने से रोकते हैं. शुरुआत में उसके लिए यह मुश्किल होता है. लेकिन धीरे-धीरे आत्मा भी यह स्वीकार कर लेती है कि शरीर से बिछड़ने का समय आ गया है.

दुख

मृत शरीर से अलग होने के कुछ समय बाद आत्मा अपने कर्मों को याद करती है. इस दौरान खासकर उसे अपने बुरे कर्म याद आते हैं. वह अपने परिवार वालों और संगे-संबंधियों को रोता-बिलखता देखती है और याद करती है कि किसके साथ उसने क्या अच्छा या बुरा किया. इसके बाद आत्मा यमलोक के मार्ग की ओर चल पड़ती है.

कर्म के अनुसार नया जन्म

यममार्ग में पहुंचने के बाद आत्मा को उसके कर्म के अनुसार नया जन्म मिलता है. कुछ आत्माओं को तुरंत ही नया जन्म मिल जाता है तो वहीं कुछ आत्मा को इंतजार करना पड़ता है.

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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. न्यूज नेशन इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)

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