विनायक चतुर्थी पर बनेंगे ये शुभ योग, बिगड़े हुए काम होंगे पूरे, जानें पूजा का मुहूर्त

सनातन धर्म में कोई भी शुभ काम करने से पहले गणेश जी को मनाया जाता है. विनायक चतुर्थी के दिन भगवान गणेश की विशेष पूजा की जाती है. साथ ही मनोवांछित फल की प्राप्ति के लिए चतुर्थी का व्रत रखा जाता है.

सनातन धर्म में कोई भी शुभ काम करने से पहले गणेश जी को मनाया जाता है. विनायक चतुर्थी के दिन भगवान गणेश की विशेष पूजा की जाती है. साथ ही मनोवांछित फल की प्राप्ति के लिए चतुर्थी का व्रत रखा जाता है.

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Nidhi Sharma
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विनायक चतुर्थी

विनायक चतुर्थी Photograph: (Freepik AI)

इस बार विनायक चतुर्थी 30 मई 2025 को मनाई जाने वाली है. से तो ये व्रत प्रत्येक माह की शुक्ल पक्ष चतुर्थी तिथि को मनाया जाता है लेकिन इस बार रवि और सर्वार्थ सिद्धि योग के मिलाप से ये व्रत और भी फलकारी माना जा रहा है. इस दिन भगवान गणेश की विधि-विधान से पूजा की जाती है. साथ ही मनोवांछित फल की प्राप्ति के लिए चतुर्थी का व्रत रखा जाता है. वह जीवन से सारे कष्टों को हर लेते हैं. इसके अलावा विशेष कार्यों में सफलता पाने के लिए व्रत भी रखा जाता है. इस बार विनायक चतुर्थी पर कई शुभ योग बन रहे है. 

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शुभ मुहूर्त

वैदिक पंचांग के अनुसार, ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि की शुरुआत 29 मई को रात 11: 58 मिनट से शुरू होगी. वहीं, इस तिथि का समापन 30 मई को रात 09 बजकर 22 मिनट पर होग.ऐसे में 30 मई को विनायक चतुर्थी को मनाई जाएगी.

शुभ योग

विनायक चतुर्थी पर दुर्लभ वृद्धि योग का संयोग बन रहा है. वृद्धि योग का संयोग दोपहर 12:58 मिनट से हो रहा है. इसके साथ ही सर्वार्थ सिद्धि योग और रवि योग का भी संयोग है. रवि योग और सर्वार्थ सिद्धि योग सुबह 05:24 मिनट से लेकर रात 09:29 मिनट तक है. इस योग में स्नान-दान कर भगवान गणेश की पूजा करने से आरोग्यता का वरदान मिलेगा। साथ ही सकल मनोरथ सिद्ध होंगे.

पूजा विधि

श्रद्धालू इस दिन सुबह जल्दी उठकर भगवान गणेशजी की पूजा करते हैं एवं व्रत रखते हैं. शाम के समय गणेशजी की प्रतिमा को ताजे फूलों से सजाया जाता है. चन्द्र दर्शन के बाद पूजा की जाती है एवं व्रत कथा पढ़ी जाती है तथा इसके बाद ही विनायकी चतुर्थी का व्रत पूर्ण होता है.

विनायकी चतुर्थी का महत्व

विनायक चतुर्थी को वरद विनायक चतुर्थी के नाम से भी जाना जाता है. भगवान से अपनी किसी भी मनोकामना की पूर्ति के आशीर्वाद को वरद कहते हैं. जो श्रद्धालु विनायक चतुर्थी का उपवास करते हैं भगवान गणेश उसे ज्ञान और धैर्य का आशीर्वाद देते हैं. ज्ञान और धैर्य दो ऐसे नैतिक गुण है जिसका महत्व सदियों से मनुष्य को ज्ञात है. जिस मनुष्य के पास यह गुण हैं वह जीवन में काफी उन्नति करता है और मनवान्छित फल प्राप्त करता है.

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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. न्यूज नेशन इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)

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