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हिंदू पंचांग के अनुसार, आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को शरद पूर्णिमा कहा जाता है. इस वर्ष यह शुभ तिथि आज (6 अक्टूबर) पड़ रही है. धार्मिक मान्यता है कि इस दिन मां लक्ष्मी का प्राकट्य दिवस मनाया जाता है. यह रात अत्यंत शुभ और आध्यात्मिक दृष्टि से प्रभावशाली होती है क्योंकि इसी रात चंद्रमा अपनी सोलह कलाओं से पूर्ण होता है. आइए जानते हैं इस दिन का शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और करने योग्य कार्य.
शरद पूर्णिमा की विशेषता
शरद पूर्णिमा को कोजागरी पूर्णिमा भी कहा जाता है, जिसका अर्थ है- ‘कौन जाग रहा है?’ मान्यता है कि इस रात मां लक्ष्मी पृथ्वी पर भ्रमण करती हैं और जो व्यक्ति जागकर भक्ति और दान में लगा रहता है, उस पर देवी कृपा करती हैं. इस दिन स्नान, दान और पूजन का विशेष महत्व होता है. लोग सफेद वस्तुएं जैसे दूध, चावल, चीनी और वस्त्र दान करते हैं.
शरद पूर्णिमा के शुभ मुहूर्त
ब्रह्म मुहूर्त:- सुबह 04:39 से 05:28 तक
लाभ-उन्नति मुहूर्त:- 10:41 से 12:09 तक
अमृत-सर्वोत्तम मुहूर्त:- 12:09 से 01:37 तक
चंद्रोदय का समय:- शाम 05:27 बजे
शरद पूर्णिमा पर करें ये काम
1. पवित्र नदियों में स्नान करें या घर पर गंगाजल मिले जल से स्नान करें.
2. चंद्रमा को दूध और जल से अर्घ्य दें.
3. सफेद रंग की वस्तुओं का दान करें.
4. मां लक्ष्मी और भगवान विष्णु की पूजा करें.
कोजागरी पूजा विधि
पूजा स्थान को साफ कर लाल कपड़ा बिछाएं.
उस पर भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की मूर्ति स्थापित करें.
मां लक्ष्मी को खीर का भोग लगाएं.
‘ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद’ मंत्र का 108 बार जाप करें.
रात में चंद्रमा को अर्घ्य दें और खीर को खुले आसमान के नीचे रखें.
अगली सुबह खीर को प्रसाद के रूप में ग्रहण करें.
खीर का धार्मिक और वैज्ञानिक महत्व
शरद पूर्णिमा की रात चंद्र किरणों में औषधीय गुण माने जाते हैं. जब खीर को खुले में रखा जाता है, तो यह किरणें उसमें समा जाती हैं. इससे व्यक्ति को रोगों से मुक्ति और शारीरिक संतुलन मिलता है. आयुर्वेद के अनुसार, यह खीर अमृत समान होती है जो पित्त दोष को शांत करती है और नींद व रक्तचाप को संतुलित रखती है.
खीर रखने और खाने का सही समय
खीर को सूती सफेद कपड़े से ढककर खुले स्थान पर रखें. उसे सूर्योदय से पहले ही खा लें, क्योंकि सूरज निकलने के बाद इसका प्रभाव कम हो जाता है. सुबह 4 बजे से 5:30 बजे के बीच स्नान के बाद खीर ग्रहण करना सबसे शुभ माना गया है.
शरद पूर्णिमा न सिर्फ आध्यात्मिक साधना की रात है बल्कि स्वास्थ्य और समृद्धि का प्रतीक भी है. इस रात जागरण, दान, और खीर की परंपरा का पालन करने से मां लक्ष्मी की कृपा और दीर्घायु का आशीर्वाद मिलता है.
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