सावन के पहले सोमवार पर जानिए शुभ मुहूर्त और जलाभिषेक करने का सही समय

Pahla Sawan Somwar 2025: सावन का महीना और सोमवार भगवान शिवजी और माता पार्वती को समर्पित होता है. इस दिन भक्त विशेष पूजा-अर्चना करते हैं.

Pahla Sawan Somwar 2025: सावन का महीना और सोमवार भगवान शिवजी और माता पार्वती को समर्पित होता है. इस दिन भक्त विशेष पूजा-अर्चना करते हैं.

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Nidhi Sharma
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Jalabhishek

Jalabhishek Photograph: (Freepik)

Pahla Sawan Somwar 2025:  सावन का पावन महीना शुरु हो गया है. वहीं इस बार सावन में 4 सोमवार पड़ेंगे. सावन के सोमवार कल यानी 14 जुलाई से शुरू हो रहे हैं. वहीं इसका समापन 9 अगस्त रक्षाबंधन के साथ होगा. सावन का महीना भगवान शिव जी और पार्वती माता को समर्पित होता है. मान्यता है कि इस महीने में जो भक्त सच्चे मन से भगवान शिव की आराधना और सोमवार का व्रत करते हैं उनकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती है.  मान्यता है कि भगवान शिव जी ने माता पार्वति को पाने के लिए सावन में कठोर तपस्या और व्रत किया था. इसलिए अविवाहित कन्याओं के लिए अच्छे वर की कामना हेतु और विवाहित महिलाओं के लिए सुखी वैवाहिक जीवन के लिए यह व्रत बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है. 

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जलाभिषेक का शुभ मुहूर्त

सावन के पहले सोमवार के दिन शिवलिंग जलाभिषेक के लिए सर्वश्रेष्ठ मुहूर्त प्रदोष काल का है जो कि शाम 5:38 से 7:22 बजे तक रहे वाला है. सावन के पहले सोमवार पर स्नान एवं भगवान शिव के ध्यान के लिए ब्रह्म मुहूर्त सुबह 04:02 बजे से सुबह 04:43 बजे तक है.

योग 

भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा के लिए प्रीति योग सुबह 10 बजे से रात 10:30 बजे तक रहेगा. इसके अलावा, पूजा के लिए दूसरा मुहूर्त जो कि अभिजीत मुहूर्त है वह दोपहर 12:05 से 12:58 तक है. सावन के पहले सोमवार पर आयुष्मान योग दोपहर 12:18 बजे से 1:51 बजे तक है, सुकर्मा योग दोपहर 1:43 बजे से 2:33 बजे तक है, शोभन और सर्वार्थ सिद्धि योग दोपहर 2:37 बजे से शाम 4:58 बजे तक है. इन योगों में आप दान-पुण्य कर सकते हैं. भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा के लिए शाम के मुहूर्त शिव योग में बन रहा है जो शाम 5:19 बजे से 7:11 बजे तक रहेगा.

व्रत रखने की मान्यता 

सावन सोमवार का व्रत रखने से भगवान शिव और माता पार्वती की विशेष कृपा मिलती है. मान्यता है कि यह व्रत रखने से जीवन में सुख, शांति, धन-समृद्धि आती है और सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं. खासकर अविवाहित कन्याओं को मनचाहा जीवनसाथी मिलता है और विवाहित महिलाओं के वैवाहिक जीवन में खुशहाली आती है. यह व्रत रोगों से मुक्ति, संतान सुख और अकाल मृत्यु के भय को दूर करने में भी सहायक माना जाता है.

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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. न्यूज नेशन इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)

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