Sawan 2025: सावन में शिवलिंग पर क्या है बेलपत्र चढ़ाने का नियम, इन बातों का रखेंगे ध्यान तो मिलेगा महादेव का आशीर्वाद

सावन का पावन महीना 11 जुलाई से शुरू हो रहा है. इस दौरान भगवान भोलेनाथ की गूंज सभी शिवालयों में सुनाई देगी. आप भी भोले बाबा को प्रसन्न करना चाहते हैं तो बेलपत्र चढ़ाने का सही नियम जान लें.

सावन का पावन महीना 11 जुलाई से शुरू हो रहा है. इस दौरान भगवान भोलेनाथ की गूंज सभी शिवालयों में सुनाई देगी. आप भी भोले बाबा को प्रसन्न करना चाहते हैं तो बेलपत्र चढ़ाने का सही नियम जान लें.

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Dheeraj Sharma
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Rule of Belpatra on shivling in sawan month

Sawan 2025: सावन का महीना शिवभक्तों के लिए अत्यंत शुभ और पावन माना जाता है.  यह महीना भगवान शिव की भक्ति, उपासना और अनुष्ठानों के लिए भी विशेष महत्व रखता है.  इस वर्ष सावन 11 जुलाई यानी शुक्रवार से शुरू हो रहा है. इस पूरे महीने शिवालयों में "हर हर महादेव" की गूंज सुनाई देगी. वहीं  भोलेनाथ को प्रसन्न करने के लिए भक्त कई तरह के जतन भी करेंगे. इस दौरान लोग विभिन्न पूजा विधियां अपनाते हैं. वहीं माना जाता है कि इस दौरान शिव पर  बेलपत्र चढ़ाने से विशेष फल प्राप्त होता है. यही नहीं इस दौरान शिव को बेलपत्र चढ़ाने से वह जल्दी प्रसन्न भी होते हैं. 

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क्या है बेलपत्र का धार्मिक महत्व

बेलपत्र को भगवान शिव का सबसे प्रिय पत्र माना गया है. मान्यता है कि शिवलिंग पर बेलपत्र अर्पित करने से शिवजी शीघ्र प्रसन्न होकर भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं.  शास्त्रों के अनुसार, बेलपत्र त्रिदेव - ब्रह्मा, विष्णु और महेश का प्रतीक होता है. 

क्या है बेलपत्र की तीन पत्तियों का रहस्य 

बता दें कि भगवान शिव के सबसे प्रिय पत्र यानी बेलपत्र की तीन पत्तियों का भी अपना रहस्य है. इसकी तीन पत्तियां त्रिगुण - सत्व, रजस और तमस  केसाथ  शरीर के तीन दोषों - वात, पित्त और कफ का भी प्रतिनिधित्व करती हैं. यही वजह है कि इन तीन पत्तियों यानी बेलपत्र को शिव पर चढ़ाने से सेहत संबंधी सुधार भी देखने को मिलते हैं. 

क्या है शिवलिंग पर बेलपत्र चढ़ाने के नियम

- दरअसल शिव को प्रसन्न करना चाहते हैं तो आप हमेशा तीन पत्ती वाला बेलपत्र ही अर्पित करें.  शिवलिंग पर केवल पूर्ण और तीन पत्ती वाला बेलपत्र चढ़ाना चाहिए. टूटा हुआ, खंडित या कटा बेलपत्र भगवान को नहीं चढ़ाया जाता है. 

- इसके अलावा ताजा और स्वच्छ बेलपत्र होना चाहिए.  मुरझाया या सूखा बेलपत्र भगवान शिव को नहीं चढ़ाया जाता. 

- आपको अगर ताजा बेलपत्र उपलब्ध न हो, तो पहले चढ़ाया गया बेलपत्र उठाकर धोकर दोबारा चढ़ाया जा सकता है. धार्मिक मान्यता के अनुसार, बेलपत्र छह महीने तक बासी नहीं माना जाता, जब तक वह सूखा या मुरझाया न हो. 

- चिकनी सतह शिवलिंग की ओर रख कर ही इसे भगवान भोलेनाथ को चढ़ाएं.  बेलपत्र चढ़ाते समय उसकी चिकनी सतह शिवलिंग की तरफ और डंठल अपनी ओर होना ही सही तरीका है.

- इसके साथ ही तीनों पत्तियों पर चंदन का तिलक लगाकर ही शिवलिंग पर चढ़ाएं.  इससे बेलपत्र शुद्ध और पूजनीय हो जाता है. 

-  जब भी आप भोलेनाथ को बेलपत्र चढ़ाएं तो उसक वक्त मंत्रों का जाप भी करें. इस दौरान आप  "ॐ नमः शिवाय" मंत्र का जाप करते रहें. इससे वातावरण में सकारात्मक ऊर्जा फैलती है और मानसिक शांति प्राप्त होती है. 

बता दें कि सावन के पवित्र महीने में वैसे तो भोलेनाथ जल्द ही प्रसन्न हो जाते हैं, लेकिन बेलपत्र को सही विधि से अर्पण किया जाए तो शिव कृपा बनी रहती है.  बल्कि जीवन के कष्ट भी दूर होते हैं.  

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