Plant Soul: वैज्ञानिक शोधों में यह साबित हो चुका है कि पेड़-पौधों में भी जान होती है. यह भी अन्य जीवों की तरह प्रतिक्रिया देते हैं. इन्हें काटने पर दर्द होता है. यह भी सांस लेते हैं और छोड़ते हैं. इसी तरह भारतीय संस्कृति में भी ऐसी ही धारणा है. पेड़-पौधों को पूजनीय माना गया है. उनकी आत्मा की अवधारणा धर्म ग्रंथों में काफी विस्तार से बताई गई है. हिंदू धर्म में पीपल के पेड़ की पूजा सबसे अधिक होती है. बताया जाता है कि इस पर देवता निवास करते हैं. धर्म ग्रंथों में बताया गया है कि पूजा-अर्चना से मानव को आध्यात्मिक और भौतिक लाभ होता है.
हिंदू धर्म में पेड़ों को त्रिदेवों के रूप में रखा
वेदों और पुराणों में पेड़ और पौधों को जीवित प्राणियों के रूप में रखा गया है. इनमें भी आत्मा वास करती है. हिंदू धर्म में पेड़ों को त्रिदेवों (ब्रह्मा, विष्णु और महेश) के रूप में रखा है. उनकी पूजा करने से मानव की कृपा है.
धर्म ग्रंथों में पवित्र पेड़-पौधे
- तुलसी: हिंदू धर्म में तुलसी का पौधा काफी पवित्र माना जाता है. इसकी पूजा से मानव को भगवान विष्णु की कृपा मिलती है.
- वटवृक्ष: वटवृक्ष को हर मनोकामनाएं पूरी करने वाला कल्पवृक्ष कहा जाता है. इसकी पूजा करने से मानव को लंबी आयु के साथ सुख-समृद्धि भी मिलती है.
- पीपल: पीपल के पेड़ को ब्रह्म स्वरूप कहा गया है. इसकी पूजा करने से मानव को आध्यात्मिक ज्ञान और मोक्ष की प्राप्ति होती है.
- नीम: नीम का पेड़ का आयुर्वेद में खासा महत्व होता है. इस पूर्जा अर्चना से मनुष्य को स्वास्थ्य और दीर्घायु मिलती है.
पेड़-पौधों की पूजा क्यों है जरूरी?
पेड़-पौधों की पूजा करने वाले मनुष्य को प्रकृति के साथ जुड़ने का अवसर मिलता है. इससे पर्यावरण संरक्षण प्राप्त होता है. इसकी पूजा करने से मानव को आध्यात्मिक ज्ञान और मोक्ष मिलता है. इससे जीवन में सकारात्मक बदलाव होता है. भारतीय संस्कृति में पेड़-पौधों को पूजनीय कहा जाता है. उनकी आत्मा की अवधारणा धर्म ग्रंथों में विस्तार से बताई है.पेड़-पौधों की पूजा करने से मनुष्य को आध्यात्मिक और भौतिक लाभ मिलता है. इससे पर्यावरण संरक्षण में सहायता प्राप्त होती है.