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विनायक चतुर्थी आज, गणपति की पूजा-अर्चना से पूरी होती हैं सभी मनोकामनाएं  

हर माह के कृष्ण पक्ष को पड़ने वाली चतुर्थी को संकष्टी चतुर्थी (Sankashti Chaturthi 2021) कहा जाता है और शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को विनायक चतुर्थी (Vinayak Chaturthi 2021) का नाम दिया जाता है.

Updated on: 07 Dec 2021, 08:29 AM

नई दिल्ली:

Vinayak Chaturthi 2021: हिंदू धर्म में किसी भी शुभ या मांगलिक कार्य की शुरुआत भगवान गणेश की आराधना से होती है। प्रथम पूजनीय भगवान गणेश जी    को चतुर्थी तिथि समर्पित है. हर माह की चतुर्थी तिथि को भगवान गणेश की पूजा-अर्चना होती है. इस दिन गणपति का व्रत (Ganpati Vrat) रखने से भक्तों की सभी बाधाएं दूर होती हैं। इससे गणेश जी प्रसन्न होकर भक्तों पर कृपा करते हैं और उनकी सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं. हर माह के कृष्ण पक्ष को पड़ने वाली चतुर्थी को संकष्टी चतुर्थी (Sankashti Chaturthi 2021) कहा जाता है और शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को विनायक चतुर्थी (Vinayak Chaturthi 2021) का नाम दिया जाता है. इस माह आज विनायक  चतुर्थी है. मंगलवार के दिन चतुर्थी होने पर इसे अंगारकी चतुर्थी (Angarki Chaturthi 2021) कहा जाता है. आइए जानने की कोशिश करते हैं कि विनायक चतुर्थी के दिन किस समय पूजन करना चाहिए और क्या है पूजन विधि.

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पूजन के लिए दोपहर का समय शुभ है

मार्गशीर्ष या अगहन माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को विनायक चतुर्थी (Vinayak Chturthi 2021) का नाम दिया जाता है। इस दिन व्रत और पूजन किया जाता है.  मान्यता है कि भगवान गणेश का पूजन (Bhagwan Ganesh Pujan) दोपहर के समय करना सबसे उत्तम माना जाता है और ये शुभ भी माना जाता है. 

विनायक चतुर्थी पूजन विधि 

भगवान गणेश (Shri Ganesh) को विघ्नहर्ता के नाम से पुकारा जाता है. कहा जाता है कि मंगलवार के दिन पड़ने वाली चतुर्थी को अंगारकी चतुर्थी कहा जाता है. इस दिन भगवान गणेश के साथ-साथ भगवान हनुमान का आशीर्वाद भी मिलता है. इस दिन भगवान गणेश की पूजा करने से मंगल दोष का खात्मा होता है। 

चतुर्थी के दिन सुबह के वक्त स्नानादि से निवृत्त होकर व्रत का संकल्प लें. भगवान गणेश का पूजन दोपहर के वक्त पीले रंग के वस्त्र धारण करके करना चाहिए. पूजन से पहले भगवान गणेश को लाल सिंदूर से तिलक लगाएं. फिर उन पर धूप, दीप, अक्षत, नैवेद्य आदि चढ़ाएं. भगवान गणेश को पूजा के समय लड्डू और दूर्वा का भोग जरूर लगाएं. इसके बाद भगवान गणेश के मंत्रों और स्तुति का पाठ करना चाहिए. पूजन के अंत में आरती करें.