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Surya Grahan 2024: राहु-केतु का सूर्य ग्रहण से क्या है रिश्ता, ये ज्योतिष उपाय बनाएंगे मालामाल

Surya Grahan 2024: साल 2024 का पहला सूर्य ग्रहण लगने वाला है. इस दिन राहु और केतु के प्रभाव भी लोगों के जीवन पर पड़ते हैं. सूर्य ग्रहण से राहु-केतु का क्या संबंध है आइए जानते हैं.

Updated on: 08 Apr 2024, 09:30 AM

New Delhi:

Surya Grahan 2024: हिंदू धर्म में, राहु और केतु को छाया ग्रह माना जाता है. इनका कोई भौतिक रूप नहीं है, और ये सूर्य और चंद्रमा की कक्षाओं के प्रतिच्छेदन बिंदुओं पर स्थित होते हैं. सूर्य ग्रहण तब होता है जब राहु सूर्य के बीच में आ जाता है और पृथ्वी पर सूर्य की रोशनी को रोक देता है. ज्योतिष शास्त्र में, यह माना जाता है कि राहु एक ग्रहणकारी ग्रह है, और यह सूर्य ग्रहण के दौरान सूर्य को ग्रहण करता है. राहु और केतु ज्योतिष में दो महत्वपूर्ण ग्रह हैं, जो चंद्रमा के राशि में चलते हैं. इन्हें छाया ग्रह भी कहा जाता है, क्योंकि ये चंद्रमा की चायनी से उत्पन्न होते हैं. राहु को भाग्य का कारक माना जाता है, जबकि केतु को कर्म का कारक माना जाता है. ये दोनों ही ग्रह व्यक्ति के जीवन में विभिन्न प्रकार के प्रभाव डालते हैं और जन्मकुंडली में उनकी स्थिति और दशाओं का महत्वपूर्ण रोल होता है. राहु को भविष्य और कर्मक्षेत्र में प्रवृत्ति का प्रतिनिधित्व करते हुए देखा जाता है, जबकि केतु अन्तःशक्ति और आत्मा के प्रति दृढ़ संकल्प का प्रतिनिधित्व करता है. इन ग्रहों के प्रभाव को समझकर व्यक्ति अपने जीवन को सफल और सुखमय बनाने के लिए उचित कदम उठा सकता है.

राहु और केतु का सूर्य ग्रहण से संबंध

राहु सूर्य ग्रहण का मुख्य कारण है. राहु और केतु को क्रमशः उत्तरी और दक्षिणी चंद्र नोड्स के रूप में जाना जाता है. ये हमेशा 180 डिग्री एक दूसरे के विपरीत होते हैं. राहु और केतु को क्रमशः सिर और पूंछ के रूप में जाना जाता है. राहु और केतु को क्रमशः कालसर्प योग और पितृ दोष का कारण माना जाता है.  सूर्य ग्रहण के दौरान राहु के प्रभाव जटिल और अस्पष्ट हो सकते हैं. ये स्वास्थ्य, व्यक्तिगत जीवन, और आध्यात्मिक जीवन पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है. राहु के प्रभावों को कम करने के लिए ज्योतिषी से सलाह लेना महत्वपूर्ण है. 

सूर्य ग्रहण के दौरान दान-पुण्य करना शुभ माना जाता है. आप गरीबों और जरूरतमंदों को भोजन, कपड़े, और दान कर सकते हैं. सूर्य ग्रहण के दौरान राहु और केतु के लिए विशेष मंत्रों का जाप करने से उनके नकारात्मक प्रभावों को कम करने में मदद मिल सकती है. आप "ओम नमो नारायणाय", "ओम विष्णवे नमः", "ओम नमः शिवाय", "ओम गं गणपतये नमः" और "ओम श्रीं लक्ष्मी नमः" मंत्रों का जाप कर सकते हैं. भगवान विष्णु की पूजा-पाठ करने से उनकी कृपा प्राप्त होती है. मंदिर में जाकर पूजा-पाठ कर सकते हैं या घर पर भी पूजा-पाठ कर सकते हैं. 

ज्योतिषी की सलाह से राहु और केतु के लिए उपयुक्त रत्न धारण करने से उनके नकारात्मक प्रभावों को कम करने में मदद मिल सकती है. ज्योतिषी आपको सूर्य ग्रहण के दौरान राहु और केतु के प्रभावों को कम करने के लिए कुंडली के अनुसार उपाय बता सकते हैं. 

सूर्य ग्रहण के दौरान गर्भवती महिलाओं को विशेष सावधानी बरतनी चाहिए. सूर्य को नग्न आंखों से नहीं देखना चाहिए. गर्भधारण करने से बचना चाहिए. सूर्य ग्रहण के दौरान मांसाहार, शराब और धूम्रपान ना करें. घर में सकारात्मक वातावरण बनाए रखना चाहिए. ध्यान और योग करना शुभ माना जाता है.  सूर्य ग्रहण एक महत्वपूर्ण घटना है और इसका प्रभाव सभी पर पड़ता है. इन ज्योतिषीय उपायों को करने से राहु और केतु के नकारात्मक प्रभावों को कम करने में मदद मिल सकती है.

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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. न्यूज नेशन इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)

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