सावन के दूसरे सोमवार को बन रहा अद्भुत योग, जानें, कैसे प्रसन्न होंगे भोले भंडारी
अगर इस दिन और इस अद्भुत योग में भोले शंकर की पूरे विधि विधान के साथ पूजा अर्चना की जाए तो भक्त की हर मनोकामना पूरी होती है, ऐसी मान्यता है.
नई दिल्ली:
सावन का पहला सोमवार जहां पंचक की वजह से बहुत शुभ फलदायक नहीं था वहीं दूसरा सोमवार शिव भक्तों के लिए अद्भुत है. सावन के इस दूसरे सोमवार यानी 29 जुलाई को प्रदोष व्रत भी पड़ रहा है. सावन माह और प्रदोष व्रत दोनों ही भगवान शंकर को समर्पित होते हैं. अगर इस दिन और इस अद्भुत योग में भोले शंकर की पूरे विधि विधान के साथ पूजा अर्चना की जाए तो भक्त की हर मनोकामना पूरी होती है, ऐसी मान्यता है.
सावन में इस बार दूसरे सोमवार के दिन ही प्रदोष व्रत पड़ने से यह दिन और भी ज्यादा शुभ हो गया है. हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार, जो भक्त पूरे विधि विधान के साथ नियमों का पालन करते हुए प्रदोष व्रत करते हैं उन्हें मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है. आइए जानते हैं सावन में प्रदोष व्रत की पूजा विधि और महत्व
प्रदोष व्रत की पूजा-विधि
प्रदोष व्रत करने वाले भक्तों को सुबह सूर्योदय से पहले उठ जाना चाहिए. इसके बाद स्नान कर पूरे विधि-विधान के साथ भोले भंडारी का भजन कीर्तन और पूजा-पाठ करना चाहिए. साफ सफाई के बाद पूजाघर समेत पूरे घर में गंगाजल से पवित्र करना चाहिए. अगर पूजाघर को गाय के गोबर से लीप सकें तो इससे अच्छा कुछ भी नहीं. मान्यता है कि जो भी भक्त ये व्रत करता है उसे किसी ब्राह्मण को गोदान (गाय का दान) करने के समान पुण्य लाभ होता है.
इस मंत्र का करें जाप
रेशम के वस्त्रों और केले के पत्तों की सहायता से एक मंडप तैयार करें. अब चाहे तो आटे, हल्दी और रंगों की सहायता से पूजाघर में एक अल्पना (रंगोली) बना लें. इसके बाद आप कुश के आसन पर बैठ कर उत्तर-पूर्व की दिशा में मुंह करके भगवान शिव की पूजा-अर्चना करें. पूजा के समय 'ॐ नमः शिवाय' और शिवलिंग पर दूध, जल और बेलपत्र अर्पित करें.
यह कभी न करें
अगर आप भगवान शिव से किसी वरदान की अपेक्षा कर रहे है तो सावन का महीना आपके लिए सही समय लेकर आयेगा और शिव पूजा विधि विधान से करने पर ही मनोरथपूर्ण हो सकेंगे. पर क्या आप जानते हैं कि कुछ चीजें ऐसी हैं जिनका प्रयोग शिव पूजा में भूलकर भी नहीं करना चाहिए.
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नारियल : पुराणों में माना गया हैं कि नारियल के पानी से भगवान शिव का अभिषेक नहीं किया जाना चाहिए. नारियल आमतौर पर भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी को चढ़ाया जाता है, भगवान शंकर को नहीं. उनकी पूजा की थाली में भी नारियल नहीं रखा जाता.
कुमकुम: शिवलिंग या शिव की मूर्ति पर कुमकुम का टीका कभी ना लगाएं. इसकी जगह चंदन या भस्म लगानी चाहिए. चूंकि कुमकुम लगाना ही है तो मां पार्वती को लगा सकते हैं.
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हल्दी: पुराणों में भगवान शिव की पूजा में हल्दी का प्रयोग करने पर मनाही हैं. इसकी वजह ये है कि उन्हें बैरागी माना जाता है. आप उन्हें सफेद या लाल चंदन चढ़ाना सकते हैं.
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केतकी के फूल: भगवान शिव को धतूरा के फूल चढ़ाए जाते हैं. अन्य फूल भी चढ़ा सकते हैं पर केतकी के फूल नहीं चढ़ाए जाते.
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तुलसी का पत्ता: भगवान शिव की पूजा करते समय इस बात का खास तौर पर ध्यान दें कि उनकी पूजा में तुलसी के पत्तों का प्रयोग नहीं किया जाना चाहिए. तुलसी का पत्ता शुद्ध माना गया है. पर ये भगवान शिव को नहीं भगवान विष्णु को चढ़ाया जाता है. इसलिए शिव को तुलसी का पत्ता नहीं चढ़ाना चाहिए. दूध या पानी में डालकर भी नहीं.
सावन के सोमवार
- सावन का पहला सोमवार 22 जुलाई 2019 को था
- दूसरा सोमवार कल (29 जुलाई) हैं.
- तीसरा सोमवार 5 अगस्त को है.
- चौथा सोमवार 12 अगस्त को है.
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