Guru Nanak 550th Birth Anniversary: जानें क्यों खास है करतारपुर साहिब गुरुद्वारा
इस साल गुरुनानक देव की 550वीं जयंती मनाने के लिए यहां सभी तैयारियां पूरी कर ली गई है. भारत से रवाना श्रद्धालुओं का जत्था भी गुरुनानक की 550वीं जयंती यहीं मनाएगा
नई दिल्ली:
करतारपुर कॉरिडोर आखिरकार 9 नवंबर को श्रद्धालुओं के लिए खुल जाएगा. इसका उद्घाटन खुद भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान करेंगे. करतारपुर साहिब गुरुद्वारा भारत-पाकिस्तान दोनों के लिए बेहद खास है. इस साल गुरुनानक देव की 550वीं जयंती मनाने के लिए यहां सभी तैयारियां पूरी कर ली गई है. भारत से रवाना श्रद्धालुओं का जत्था भी गुरुनानक की 550वीं जयंती यहीं मनाएगा. ऐसे में आइए जानते हैं क्यों खास है करतारपुर साहिब गुरुद्वारा-
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क्यों खास है करतारपुर साहिब?
गुरुनानक देव ने करतारपुर साहिब में 18 साल बिताए.
करतारपुर साहिब गुरुद्वारा को पहला गुरुद्वारा माना जाता है.
गुरुद्वारे की नींव खुद गुरु नानक देव ने रखी थी.
पहला गुरुद्वारा रावी नदी की बाढ़ में बह गया था.
वर्तमान गुरुद्वारे को महाराजा रंजीत सिंह ने बनवाया
गवर्नर दुनीचंद ने दान में दी थी 100 एकड़ जमीन
गुरु नानक देव ने इस जमीन पर छोटी इमारत का निर्माण कराया
इस जमीन की जुताई कर गुरु नानक देव ने कई फसलें भी उगाईं
करतारपुर गुरुद्वारा शकरगढ़ तहसील के कोटी पिंड में स्थित है
गुरुद्वारे के अंदर गुरु नानक देव के समय का बना कुआं मौजूद है
गुरुद्वारे में सेवा करने वालों में सिख और मुसलमान दोनों शामिल होते हैं
रावी नदी की बाढ़ से गुरुद्वारे को काफी नुकसान हुआ था
1920 से 1929 तक महाराजा पटियाला ने गुरुद्वारे का जीर्णोद्धार कराया
गुरुद्वारे के जीर्णोद्धार पर 1,35,600 रुपये का खर्च आया था.
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बता दें, पाकिस्तान (Pakistan) ने गुरु नानक देव जी (Guru Nanak Dev Ji) की 550वीं जयंती से पहले करतारपुर साहिब गुरुद्वारा और करतारपुर कॉरिडोर (Kartarpur Sahib Gurudwara) का एक वीडियो जारी किया है. इस वीडियो में दिख रहा है कि पाकिस्तान में गुरु नानक देव की जयंती को लेकर किस तरह से करतारपुर कॉरिडोर को सजाया गया है. इसमें सिख धर्म के संस्थापक गुरु नानक देव (Guru Nanak Dev) की आगामी 550वीं जयंती पर पंजाब प्रांत के करतारपुर साहिब गुरुद्वारा में आयोजित होने वाले समारोह के लिए सजाया गया है.
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