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जौ बोने के पीछे की धार्मिक मान्यताएं (Social Media)
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जौ बोने के पीछे की धार्मिक मान्यताएं (Social Media)
Navratri 2024: दशहरा हिंदू धर्म का सबसे प्रसिद्ध त्योहारों में से एक है. नवरात्रि का त्योहार माता दुर्गा के 9 रूपों को समर्पित होता है. इन नौ दिनों में हर दिन माता दुर्गा के अलग-अलग रूपों की पूजा की जाती है. नवरात्रि में देवी दुर्गा की विशेष पूजा करने और उनका आशीर्वाद पाने का एक विशेष त्योहार है. ऐसे में हम नवरात्रि में जगत जननी मां आदिशक्ति के नौ रूपों का विधि – विधान से हवन पूजन करते हैं. साथ ही नवरात्रि की घट स्थापना करते समय जौ बोते हैं. नवरात्रि में मां दुर्गा की पूजा बिना जौ के अधूरी मानी जाती है. आइए जानते हैं आखिर नवरात्रि के घट स्थापना में जौ क्यों बोया जाता है? क्या है इसके पीछे की धार्मिक मान्यताएं.
नवरात्रि में जौ बोने के पीछे की धार्मिक मान्यताएं-
मां दुर्गा की पूजा
शास्त्रों के मुताबिक, जब सृष्टि की रचना हुई तो सबसे पहले जौ की फसल की गयी थी. इसलिए जब भी नवरात्रि में माता दुर्गा की पूजा की जाती है तो जौ चढ़ाया जाता है. जौ के बीज से माता दुर्गा का आशीर्वाद प्राप्त होता है. इसे नवरात्रि में कलश स्थापना के दिन "माँ गौरी" या "माँ दुर्गा" के स्वागत के रूप में देखा जाता है.
माता दुर्गा का प्रसाद
नवरात्रि में जौ को मां दुर्गा का प्रसाद माना जाता है. मान्यता है कि जौ के बीजों से मां दुर्गा की पूजा करने पर भक्तों की मनोकामनाएं पूरी होती हैं. इसके अलावा जब जौ को बोने के बाद जब वह अंकुरित होता है, तो इसे देवी मां को चढ़ाया किया जाता है.
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सृष्टि का प्रतीक
जौ को सृष्टि का प्रतीक माना जाता है. यह अनाज सबसे पहले उगने वाले अनाजों में से एक है. इसलिए इसे नवजीवन और नई शुरुआत का प्रतीक माना जाता है. इसके अलावा जौ को सकारात्मक ऊर्जा का प्रतीक भी माना जाता है. माना जाता है, जौ उगाने से घर में सकारात्मक ऊर्जा का आगमन होता है.
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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. न्यूज नेशन इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)