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बांके बिहारी मंदिर
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Banke Bihari Mandir: यदि आप भी बांके बिहारी मंदिर में दर्शन करने जा रहे हैं, तो नए समय के अनुसार ही प्लान करें. यह क्रम होली के बाद दौज तक चलेगा.
बांके बिहारी मंदिर
Banke Bihari Mandir: विश्व प्रसिद्ध ठाकुर बांके बिहारी मंदिर की दर्शन नियमावली में हर साल की तरह इस बार भी बदलाव हो गया है. अब ठाकुर बांके बिहारी के पट सुबह 8:45 से दोपहर 1:00 तक और शाम को 4:30 से 8:30 तक खुलेंगे. मौसम के अनुसार दर्शन के समय में परिवर्तन किया गया है. यानि अब भक्त ठाकुरजी के दर्शन सुबह 7:30 बजे की जगह 8:45 बजे और शाम को 4 बजे के स्थान पर 4:30 बजे कर पाएंगे. यह क्रम होली के बाद दौज तक चलेगा. यदि आप भी बांके बिहारी मंदिर में दर्शन (banke bihari temple darshan timings) करने जा रहे हैं, तो नए समय के अनुसार ही प्लान करें.
8:45 बजे पट खोलने के बाद ठाकुर बांके बिहारी महाराज की 8:55 पर श्रृंगार आरती होगी. इसके बाद ठाकुर बांके बिहारी महाराज के दोपहर 1:00 बजे तक लगातार दर्शन होंगे. इसी के बीच में 12:55 पर ठाकुर बांके बिहारी महाराज का राजभोग लगेगा और राजभोग आरती होगी. शाम को 4:30 से लेकर 8:30 बजे तक ठाकुर बांके बिहारी महाराज भक्तों को दर्शन देंगे और शयन भोग आरती 8:25 से प्रारंभ होगी.
बांके बिहारी लाल के दर्शन करते समय भक्तों की आंखों से अपने आप ही आंसू बहने लगते हैं.
बांके बिहारी मंदिर में बार-बार पर्दा लगाने की परंपरा है. क्योंकि मान्यता है कि कहीं भगवान अपने भक्तों की भक्ति देखकर वशीभूत न हो जाएं.
बांके बिहारी जी के चरणों के विग्रह के दर्शन रोजाना नहीं कर सकते. बल्कि यह दर्शन साल में एक बार अक्षया तृतीया के दिन होते हैं.
बांके बिहारी मंदिर में साल में केवल एक बार जन्माष्टमी के दिन मंगला आरती होती है.
बांके बिहारी जी के विग्रह में भगवान कृष्ण और राधा जी दोनों की छवि है.
बांके बिहारी मंदिर में रोजाना रात को लड्डू का भोग रखा जाता है जो कि सुबह फूटा हुआ मिलता है.
बांके बिहारी जी की मूर्ति का श्रृंगार करते समय आधा पुरुष और आधा स्त्री की तरह श्रृंगार किया जाता है.
मान्यता हैं कि बांके बिहारी आज भी रात में निधिवन जाते हैं इसलिए कोई रात के समय निधिवन जाना वर्जित है.
भगवान कृष्ण को बांके बिहारी नाम संत हरिदास ने दिया था और यह नाम तीन कोण में झुकी हुई मुद्रा की वजह से दिया गया.
बांके बिहारी जी के दर्शन करते समय भक्त आंखे बंद नहीं करते बल्कि अपलक उन्हें निहारते रहते हैं.
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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. न्यूज नेशन इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)