बिना कपड़ों के कैसे जीवन गुजारती हैं महिला नागा साधु, जीवन में करने पड़ते हैं ऐसे-ऐसे काम

पुरुष नागा साधु तो हर किसी ने ही सुने होंगे, लेकिन क्या आपने कभी महिला नागा साधु के बारे में सुना है. जी हां महिला नागा साधु जिनके बारे में कहा जाता है कि वो निर्वस्त्र रहती है लेकिन क्या ये सच है या नहीं. आइए आपको बताते है.

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Nidhi Sharma
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महिला नागा साधु

महिला नागा साधु Photograph: (Social Media)

भारत में कई साधु संत है. जो कि अलग-अलग कैटेगरी के होते है. ये साधु संत कई तरह के होते हैं. इनमें से ही एक होते हैं नागा साधु. नागा साधुओं की जिंदगी काफी ज्यादा रहस्यमयी होती है. नागा साधु आदि शंकराचार्य द्वारा स्थापित विभिन्न अखाड़ों में ऐसे साधु होते हैं जो हमेशा निवस्त्र रहते हैं. पुरुषों की तरह महिला नागा साधु भी होती हैं जिनका जीवन कठिन होता है. इन पर गर्मी या सर्दी का कोई असर नहीं पड़ता है. पुरुषों की तरह महिला नागा साधु भी होती हैं. ऐसे में कई बार हमारे मन में सवाल उठता है कि क्या महिला नागा साधु भी पुरुषों की तरह ही निर्वस्त्र रहती है. क्या वो भी उनकी तरह अपने शरीर पर धुनी लगाकर ही रहती हैं.  आइए आपको बताते है. 

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क्या निर्वस्त्र रहती हैं महिला नागा साधु

नागा साधुओं की तरह महिला नागा साधु भी कठिन तपस्या के साथ अपना जीवन व्यतीत करते हैं और हमेशा ईश्वर की भक्ति में लीन रहती हैं, लेकिन महिला नागा साधु पुरुषों की तरह निर्वस्त्र नहीं रहती हैं. महिला नागा साधु अपने तन पर हमेशा एक गेरुआं वस्त्र धारण करती हैं. महिला नागा साधु सिर्फ एक ही वस्त्र पहन सकती हैं और ये वस्त्र सिला हुआ नहीं होता है. इस वस्त्र को गंती कहा जाता है. इसके साथ ही वो हमेशा माथे पर तिलक धारण करती हैं. आश्रम की अन्य साध्वियां इन्हें माता कहकर बुलाती हैं.

ईश्वर की भक्ति में लीन

महिला नागा साधु बनने के बाद इनका पूरा जीवन ईश्वर को समर्पित हो जाता है. ये हमेशा ईश्वर की भक्ति में लीन रहती हैं, इनकी सुबह ईश्वर की उपासना से शुरू होती है और दिनभर इन्हें भगवान की भक्ति करनी होती है. सुबह जागने से लेकर रात तक ये पूजा-पाठ करती रहती हैं. महिला नागा साधुओं को अन्य साध्वियां माता कहकर बुलाती है. इसके अलावा इन्हें नागिन, अवधूतानी कहकर भी संबोधित किया जाता है.

6 साल की उम्र में ब्रह्मचर्य का पालन

किसी भी महिला को नागा साधु बनने के लिए बचपन से ही कड़ी परीक्षाएं देनी होती हैं. 6 साल की उम्र से ही उन्हें ब्रह्मचर्य का पालन करना पड़ता है. जब वो ऐसा कर पाने में समर्थ होती है तब उसे नागा साधु बनने की अनुमति मिलती है. इस अवधि में उसे कठोर तपस्या के साथ कई नियमों का पालन करना होता है. जैसे गुफाओं में वास, तप, नदी में स्नान, खाने-पीने से जुड़े कठोर नियम आदि.

ऐसे-ऐसे काम 

महिला नागा साधु बनने इन्हें कठोर परीक्षा से होकर गुजरना होता है. इन्हें 6-12 साल तक कठोर ब्रह्मचर्य का पालन जीवन का पालन करना होता है. इसके बाद जब ये पूरी तरह खुद को भगवान के चरणों में सपर्पित कर देती हैं. जब गुरू को लगता है कि अब वो महिला नागा साधु बनने के लिए पूरी तरह तैयार हैं तो वो उन्हें अनुमति देते हैं. इसके बाद उन्हें खुद अपने हाथों से जीते जी पिंडदान करना होता है. इसके बाद उनके सिर का मुंडन किया जाता है और फिर स्नान के बाद पूरी विधि विधान के साथ इन्हें नागा साधु बनाया जाता है. 

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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. न्यूज नेशन इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)

 

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