Mahakumbh 2025: प्रयागराज को टक्कर देता है थिरुमकुदालु का महाकुंभ, जानें इसकी खासियत

Mahakumbh 2025: अगर आप ऐसा लगता है कि महाकुंभ का मेला उत्तर भारत में ही लगता है तो आपको बता दें कि दक्षिण भारत में भी त्रिवेणा का संगम घाट है. जहां महाकुंभ का भव्य आयोजन होता है.

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Inna Khosla
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Thirumakudalu Maha Kumbh

Thirumakudalu Maha Kumbh Photograph: (News Nation)

Mahakumbh 2025: इन दिनों भारत समेत पूरे विश्व में महाकुंभ की चर्चा हो रही है. सब लोग उत्तर भारत के प्रयागराज में महाकुंभ के दौरान त्रिवेणी में डुबकी लगाने आ रहे हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं कि त्रिवेणी का संगम उत्तर भारत में ही नहीं बल्कि दक्षिण भारत में भी होता है. महाकुंभ का नाम सुनते ही प्रयागराज की याद आती है, लेकिन दक्षिण भारत का थिरुमकुदालु नरसीपुर भी उतना ही प्रसिद्ध है. इसे दक्षिण का प्रयाग कहा जाता है. यहां भी तीन नदियों कावेरी, कबिनी और हेमावती का संगम होता है, जिसे पवित्र त्रिवेणी संगम माना जाता है. इस स्थान पर हर 12 साल में महामेला का आयोजन किया जाता है जो दक्षिण भारत में कुंभ के समान महत्व रखता है.  

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धार्मिक महत्व और इतिहास

थिरुमकुदालु नरसीपुर का उल्लेख प्राचीन ग्रंथों में मिलता है. मान्यता है कि यह स्थान अत्रि ऋषि और अनसूया की तपस्थली था. यहां स्थित अग्निश्वर मंदिर को भगवान शिव का निवास माना जाता है. इसके अलावा, यह स्थान विश्वरूप भगवान विष्णु की पूजा के लिए प्रसिद्ध है. माना जाता है कि यहां स्नान करने से सभी पापों से मुक्ति मिलती है और मोक्ष की प्राप्ति होती है. ये संगम न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि प्राकृतिक सौंदर्य का अद्भुत उदाहरण भी है. श्रद्धालु यहां स्नान करके पवित्रता का अनुभव करते हैं. कावेरी नदी को दक्षिण गंगा के नाम से जाना जाता है, जिससे इसका महत्व और भी बढ़ जाता है.

फरवरी में लगेगा महामेला

फरवरी 2025 में यहां महामेला का आयोजन होगा जिसमें लाखों श्रद्धालु हिस्सा लेंगे. इस मेले में संगम स्नान के साथ पूजा-अर्चना और धार्मिक अनुष्ठान विशेष महत्व रखते हैं. थिरुमकुदालु नरसीपुर को दक्षिण का प्रयाग इसलिए कहा जाता है क्योंकि यह स्थान धार्मिक और आध्यात्मिक दृष्टि से प्रयागराज के समान पवित्र है. यहां शिव और विष्णु के मंदिर भी हैं जो इस स्थान की महत्ता को और बढ़ाते हैं. जो लोग उत्तर भारत के कुंभ मेले तक नहीं पहुंच पाते, उनके लिए यह स्थान एक अद्भुत विकल्प है. त्रिवेणी संगम पर स्नान और महामेला में भाग लेना दक्षिण भारत की धार्मिक और सांस्कृतिक धरोहर का अनुभव कराने का एक विशेष अवसर है.

थिरमकुदालु नरसीपुर कुंभ को मैसूर कुंभ या दक्षिण का प्रयाग भी कहा जाता है. ये पवित्र स्थान कर्नाटक के मैसूर जिले के थिरुमकुदालु नरसीपुर में स्थित है. इसे दक्षिण भारत का त्रिवेणी संगम माना जाता है. यहां स्नान करने से श्रद्धालुओं को पापों से मुक्ति और मोक्ष की प्राप्ति होती है.

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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. न्यूज नेशन इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)

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