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Rakshabandhan 2019: इस साल 19 साल बाद बन रहा है ऐसा खास संयोग, जानिए क्या है शुभ मुहूर्त

बताया जा रहा है कि इस साल रक्षाबंधन पर राखी बांधने का मुहूर्त काफी अच्छा है और बहनें सूर्यास्त तक भाइयों को राखी बांध सकती हैं.

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Aditi Sharma
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Rakshabandhan 2019: इस साल 19 साल बाद बन रहा है ऐसा खास संयोग, जानिए क्या है शुभ मुहूर्त
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इस साल स्वतंत्रता दिवस के मौके पर ही रक्षाबंधन का त्योहार मनाया जाएगा. ऐसा संयोग करीब 19 साल बाद बना है, जब भाई-बहन के प्यार का प्रतीक रक्षाबंधन स्वतंत्रता दिवस के दिन यानी 15 अगस्त को पड़ा है. इससे पहले ये संयोग साल 2000 में पड़ा था. हर साल सावन महीने की पूर्णिमा को मनाया जाने वाला ये त्योहार देशभर में बड़े धूमधाम से मनाया जाता है. बताया जा रहा है कि इस साल रक्षाबंधन पर राखी बांधने का मुहूर्त काफी अच्छा है और बहनें सूर्यास्त तक भाइयों को राखी बांध सकती हैं.

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क्या है राखी बांधने का शुभ मुहूर्त

इस साल राखी बांधने का शुभ मुहूर्त करीब 16 घंटे तक रहेगा जो 14 अगस्त को दोपहर 3:45 बजे शुरू होकर 15 अगस्त को रात 7.45 पर खत्म होगा. यानी पहने 15 को पूरे दिन अपने भाइयों को राखी बांध सकती हैं.

भाई-बहन के अटूट रिश्ते का प्रतिक है रक्षाबंधन

रक्षाबंधन भाई-बहन के अटूट रिश्ते का प्रतिक है. इस मौके पर बहनें अपनी भाई के कलाई पर राखी बांधती है और बदले में उनसे ताउम्र रक्षा करने का वादा लेती हैं. भारत में रक्षाबंधन का इतिहास सैकड़ों वर्ष पुराना है. राखी से जुड़ी एक नहीं बल्कि कई कहानियां हैं और ये सभी अपने आप में काफी विविध हैं. रक्षाबंधन मुख्य तौर पर हिन्दुओं का त्योहार माना जाता है, जो श्रावण माह की पूर्णिमा को मनाया जाता है.  हालांकि रक्षाबंधन के इतिहास में मुस्लिम से लेकर वो लोग भी शामिल हैं जो सगे भाई-बहन नहीं थे.

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रक्षाबंधन का इतिहास

राजपूत जब लड़ाई पर जाते थे तब महिलाएं उनको माथे पर कुमकुम तिलक लगाने के साथ साथ हाथ में रेशमी धागा भी बांधती थी, इस विश्वास के साथ कि यह धागा उन्हे विजयश्री के साथ वापस ले आयेगा. राखी के साथ एक और प्रसिद्ध कहानी जुड़ी हुई है. कहते हैं, मेवाड़ की रानी कर्मावती को बहादुरशाह द्वारा मेवाड़ पर हमला करने की पूर्व सूचना मिली. रानी लड़ने में असमर्थ थी अत: उसने मुगल बादशाह हुमायूं को राखी भेज कर रक्षा की याचना की. हुमायूं ने मुसलमान होते हुए भी राखी की लाज रखी और मेवाड़ पहुंच कर बहादुरशाह के विरुद्ध मेवाड़ की ओर से लड़ते हुए कर्मावती व उसके राज्य की रक्षा की.

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