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Makar Sankranti 2019 : इस बार 14 नहीं 15 जनवरी को मनाई जाएगी मकर संक्रांति, जानिए क्या है वजह

जिसके चलते उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में शुरू हो रहा कुंभ महोत्सव 15 जनवरी से शुरू होगा. साथ ही पहला स्नान भी 14 नहीं 15 जनवरी को होगा.

Updated on: 12 Jan 2019, 08:29 AM

नई दिल्ली:

क्या आपको मालूम है कि लगभग हर साल 14 जनवरी को आने वाली मकर संक्राति(Makar Sankranti) इस वर्ष एक दिन बाद यानी 15 जनवरी को पड़ रही है. जिसके चलते उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में शुरू हो रहा कुंभ महोत्सव 15 जनवरी से शुरू होगा. साथ ही पहला स्नान भी 14 नहीं 15 जनवरी को होगा. मकर संक्रांति के दिन सूर्य धनु राशि को छोड़ मकर राशि में प्रवेश करता है. इसी वजह से इस संक्रांति को मकर संक्रांति के नाम से जाना जाता है. इस साल राशि में ये परिवर्तन 14 जनवरी को देर रात को हो रहा है, इसीलिए इस बार 15 जनवरी को मकर संक्रांति मनाई जाएगी.

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कब है मकर संक्रांति यानि प्रथम शाही स्नान की तिथि-

इस वर्ष मकर संक्रांति पौष माह के शुक्ल पक्ष की नवमी को पड़ेगी. 14 को रात्रि में तथा 15 जनवरी को उदय तिथि पड़ने के कारण मकर संक्रांति 15 को ही मनाई जानी चाहिए. मकर संक्रांति का पुण्य काल 15 जनवरी प्रातःकाल से सूर्यास्त तक रहेगी. पूरे दिन पर्व का शुभ मुहूर्त है. इसी दिन प्रथम शाही स्नान रहेगा. प्रातः सुर्योदय के बाद ही पूरे दिन शुभ मुहूर्त है. अश्वनी नक्षत्र है. चंद्रमा मेष में रहेंगे.

कुछ विशेष शुभ मुहूर्त-

1. अभिजीत मुहूर्त- 12:15 रात से 12:58 रात तक
2. अमृत सिद्धि योग- सुबह 07:15 से 01:56 रात तक
3. सर्वार्थ सिद्ध योग- सुबह 07:15 से 01:57 रात तक
4. रवि योग- 01:56 रात से पूरे दिन
5. विजय मुहूर्त- 02:25 रात से 03:06 तक

मकर संक्रांति के दिन सूर्य धनु राशि को छोड़ मकर राशि में प्रवेश करता है. इसी वजह से इस संक्रांति को मकर संक्रांति के नाम से जाना जाता है. इस साल राशि में ये परिवर्तन 14 जनवरी को देर रात को हो रहा है, इसीलिए इस बार 15 जनवरी को मकर संक्रांति मनाई जाएगी.

प्रथम शाही स्नान प्रयाग राज में पूरी श्रद्धा से मनाई जाती है. प्रातः से ही स्नान प्रारम्भ हो जाता है. भगवान सूर्य की उपासना की जाती है. श्री आदित्यहृदयस्तोत्र का पाठ किया जाता है. जगह जगह पंडालों में भागवत तथा श्री राम कथा व शिव पुराण की कथाएं होती हैं. पूरे विश्व के कोने कोने से श्रद्धालु आते हैं तथा पूरे कुम्भ तक रुककर अनंत पुण्य की प्राप्ति करते हैं. प्रथम शाही स्नान का महत्व सर्वाधिक है. इसी दिन से कुम्भ का श्री गणेश होता है. अतः प्रथम दिवस के दिन प्रयागराज में कुम्भ स्नान का महत्व सर्वाधिक है.