Mahakumbh 2025: इस बार महाकुंभ 2025 में कई नई तैयारियां की गई है. यूपी सरकार नए वर्ल्ड रिकॉर्ड भी बनाने वाली है. इसके अलावा सीएम योगी आदित्यनाथ ने दशकों से चली आ रही महाकुंभ की शब्दावली से दो शब्द बदले हैं. हिंदू धर्म में महाकुंभ के दौरान शाही स्नान का खास महत्व होता है, लेकिन इस बार से शाही स्नान का नाम बदल दिया गया है. इसके अलावा गाजे बाजे के साथ अखाड़ों के संतों की पेशवाई होती है, इस पेशवाई शब्द को भी अब बदल दिया गया है. नए नाम क्या हैं और इसका प्रमुख कारण क्या है आइए जानते हैं.
शाही स्नान का नाम बदलकर अमृत स्नान किया गया, जानें कारण
संतों की सलाह पर इस पर शाही स्नान का नाम बदलकर अमृत स्नान कर दिया गया है. शाही शब्द मुगल काल से जुड़ा हुआ है. संतों का मानना है कि यह शब्द हमारे धार्मिक अनुष्ठानों से मेल नहीं खाता. अमृत शब्द का हिंदू धर्म में बहुत महत्व है. यह अमरत्व और पवित्रता का प्रतीक है. अमृत स्नान से यह संदेश जाता है कि यह स्नान न केवल शारीरिक रूप से शुद्ध करता है बल्कि आध्यात्मिक रूप से भी उन्नत करता है. अमृत शब्द को सनातन धर्म से अधिक गहराई से जोड़ा जा सकता है.
पेशवाई का नाम बदलकर हुआ नगर प्रवेश, जानें कारण
महाकुंभ 2025 में पेशवाई को अब नगर प्रवेश के नाम से जाना जाएगा. पेशवाई महाकुंभ की परंपरा का अभिन्न हिस्सा है जिसमें अखाड़ों के साधु-संत और महंत भव्य जुलूस के रूप में आयोजन स्थल (नगर) में प्रवेश करते हैं. इसे देवताओं का नगर में स्वागत और धर्म का प्रचार-प्रसार का प्रतीक माना जाता है. इस दौरान साधु-संत घोड़ों, हाथियों और रथों पर सवार होकर भक्तों के बीच पहुंचते हैं.
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पेशवाई शब्द ऐतिहासिक और परंपरागत है, लेकिन इसे एक नया और व्यापक रूप देने के लिए "नगर प्रवेश" नाम चुना गया. यह नाम आम जनता को ज्यादा आसानी से समझ आने वाला और उनकी भागीदारी को प्रेरित करने वाला है. नगर प्रवेश नाम इस बात को दर्शाता है कि यह केवल साधु-संतों का ही नहीं, बल्कि पूरे समाज का आयोजन है. महाकुंभ में सभी के स्वागत और एकता का संदेश देता है. नए नाम के जरिए परंपरा को युवाओं और अंतरराष्ट्रीय समुदाय के बीच और अधिक प्रासंगिक बनाया जा सकता है.
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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. न्यूज नेशन इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)