Mahakumbh 2025 Population Census: महाकुंभ 2025 में श्रद्धालुओं की गिनती के लिए उत्तर प्रदेश सरकार अत्याधुनिक तकनीकों का उपयोग कर रही है. मुख्य रूप से आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) आधारित सीसीटीवी कैमरों का नेटवर्क स्थापित किया गया है जो मेले में उपस्थित लोगों की संख्या का सटीक अनुमान लगाने में सहायक है. इसके अलावा मेले के 48 घाटों पर हर घंटे स्नान करने वाले लोगों की संख्या का आकलन करने के लिए एक विशेष टीम तैनात है. ड्रोन तकनीक का उपयोग करके भी भीड़ के घनत्व को मापा जाता है और ये डेटा क्राउड असेसमेंट टीम को भेजा जाता है. साथ ही, एक समर्पित ऐप के माध्यम से मेले में उपस्थित लोगों के मोबाइल फोनों की औसत संख्या को ट्रैक किया जाता है. इन तकनीकों के संयोजन से मेले में उपस्थित श्रद्धालुओं की संख्या का वास्तविक समय में सटीक आकलन संभव हो पा रहा है जिससे प्रशासन को भी भीड़ प्रबंधन में सहायता मिल रही है.
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) का उपयोग
मेला क्षेत्र में हजारों सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं. ये कैमरे आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से लैस हैं और हर सैकेंड डेटा अपडेट करते रहते हैं. ये कैमरे भीड़ के घनत्व का विश्लेषण करते हैं और लोगों की संख्या का अनुमान लगाते हैं.
ये डेटा एक केंद्रीय सर्वर पर भेजा जाता है जहां इसे रियल टाइम में संसाधित किया जाता है. इस तकनीक की मदद से श्रद्धालुओं की संख्या का सटीक अनुमान लगाया जा सकता है.
मोबाइल नेटवर्क के डेटा का उपयोग करके भी श्रद्धालुओं की संख्या का अनुमान लगाया जा सकता है. कुछ श्रद्धालुओं के मोबाइल फोन में GPS ट्रैकिंग को चालू करने से भी उनकी गतिविधियों का पता लगाया जा सकता है.
क्यों जरूरी है श्रद्धालुओं की गिनती?
श्रद्धालुओं की संख्या के आधार पर ही मेला प्रशासन व्यवस्थाएं बनाता है, जैसे कि पानी, भोजन, शौचालय आदि की व्यवस्था. भीड़ का सटीक आंकड़ा होने से सुरक्षा व्यवस्था को बेहतर ढंग से नियंत्रित किया जा सकता है. ये डेटा भविष्य के महाकुंभों के लिए योजना बनाने में मदद करेगा.
महाकुंभ जैसे विशाल धार्मिक आयोजन में लाखों श्रद्धालुओं की संख्या का सटीक आकलन करना एक चुनौतीपूर्ण कार्य है. लेकिन इस बार प्रयागराज कुंभ 2025 में इस चुनौती को पार करने के लिए आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल किया जा रहा है.