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Mahakumbh 2025 Digital Guide
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Mahakumbh 2025 Digital Guide: इस बार 13 जनवरी 2025 से प्रयागराज में महाकुंभ मेले की शुरुआत हो रही है. देश-विदेश से आने वाले करोड़ों श्रद्धालूओं की सुविधा के लिए इस बार गूगल से डिजिटल हेल्प ली गयी है.
Mahakumbh 2025 Digital Guide
Mahakumbh 2025 Digital Guide: महाकुंभ 2025 को डिजिटल युग के हिसाब से तैयार किया गया है. गूगल और मेला प्राधिकरण की इस साझेदारी ने न केवल श्रद्धालुओं की यात्रा को आसान बनाया है बल्कि महाकुंभ की विराटता को भी नए आयाम दिए हैं. डिजिटल सेवाओं के माध्यम से महाकुंभ 2025 (maha kumbh 2025) में न केवल भारत बल्कि दुनिया भर के श्रद्धालुओं को मदद मिलेगी. हर 12 साल में एक बार इस मेले का आयोजन होता है. बदलते भारत की ये नई तस्वीर पूरे विश्व में देश का नाम रोशन करेगी. आधुनिक तकनीक की मदद से इस बार श्रद्धालुओं की यात्रा और आयोजन से जुड़ी चुनौतियां आसान होंगी.
महाकुंभ में सही घाट या धर्मस्थल की तलाश करना, वहां तक पहुंचना, और किसी विशेष जगह पर किसी से मिलना अक्सर कठिन होता था. इस बार मेला प्राधिकरण और गूगल के बीच हुए करार ने इन सभी समस्याओं का समाधान कर दिया है. पहली बार, गूगल (Google) ने किसी अस्थायी शहर को अपने नेविगेशन सिस्टम (navigation system) में इंटीग्रेट किया है. इस डिजिटल सुविधा से प्रमुख घाट, सड़कें, धर्मस्थल, और अखाड़ों तक पहुंचना बेहद सरल हो गया है. श्रद्धालु अब गूगल मैप्स की मदद से न केवल अपनी मंजिल तक पहुंच सकते हैं बल्कि रास्ते में उपलब्ध सुविधाओं और प्रमुख स्थानों की जानकारी भी प्राप्त कर सकते हैं. यह पहल महाकुंभ को एक डिजिटल युग में ले जाने का प्रतीक है.
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इस महाकुंभ में श्रद्धालुओं की मदद के लिए Kumbh SahaAlyak नामक एक नई डिजिटल सुविधा शुरू की गई है. इस अत्याधुनिक ऐप से श्रद्धालुओं को 11 भाषाओं में लिखने या बोलने की सुविधा मिलेगी. इसका उद्देश्य महाकुंभ (Mahakumbh 2025 Digital Guide) में आने वाले हर व्यक्ति को उनकी भाषा में सही जानकारी देना है. श्रद्धालु अपनी शंकाओं को लिख या बोलकर समाधान पा सकते हैं. प्रमुख घाटों, धर्मस्थलों और सुविधाओं की सटीक जानकारी भी इसके माध्यम से प्राप्त कर सकते हैं. Kumbh SahaAlyak का इतनी भाषाओं में जानकारी देना इस बात का प्रतीक है कि महाकुंभ (Mahakumbh 2025) किस हद तक एक वैश्विक आयोजन बन चुका है. यह सुविधा तकनीक और धर्म के बीच एक खूबसूरत संगम का उदाहरण है.
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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. न्यूज नेशन इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)