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माघ पूर्णिमा : पांचवें शाही स्नान के लिए उमड़े श्रद्धालु, जानें इस स्नान का महत्व और शुभ मुहूर्त

मंगलवार को माघ पूर्णिमा है. इस दिन महाकुंभ में लाखों श्रद्धालु आस्था की डुबकी लगाएंगे.

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Deepak Pandey
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माघ पूर्णिमा : पांचवें शाही स्नान के लिए उमड़े श्रद्धालु, जानें इस स्नान का महत्व और शुभ मुहूर्त

कुंभ में शाही स्नान (फाइल फोटो)

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मंगलवार को माघ पूर्णिमा है. इस दिन महाकुंभ में लाखों श्रद्धालु आस्था की डुबकी लगाएंगे. बताया जा रहा है कि इस बार माघ पूर्णिमा में करीब 50 लाख श्रद्धालुओं के आने की उम्मीद है. इसे लेकर शासन-प्रशासन की ओर तैयारी पूरी कर ली गई है. श्रद्धालु आज शुभ मुहूर्त पर गंगा में स्नान करेंगे.

गौरतलब है कि प्रयागराज में जनवरी से कुंभ मेला शुरू है. कुंभ में स्‍नान करने आने वाले भक्‍तों को किसी भी तरह की दिक्‍कत न हो इसका विशेष ध्‍यान रखा रहा है. कुंभ में शाही स्‍नान का विशेष महत्‍व है. इस साल कुंभ में छह ऐसे शाही स्नान हैं, जिसमें गंगा में डूबकी लगाने श्रद्धालुओं की मनोकामना पूपी होती है. पहला शाही स्नान मकर संक्राति के दिन 14 और 15 जनवरी को, दूसरा शाही स्नान पौष पूर्णिमा में 21 जनवरी को, तीसरा शाही स्नान मौनी अमावस्या में 4 फरवरी को, चौथा शाही स्नान बसंत पंचमी में 10 फरवरी को हो चुका है. आज माघू पूर्णिमा पर पांचवां शाही स्नान चल रहा है. इसमें काफी श्रद्धालु जुटे हुए हैं, अब अंतिम शाही स्नान महाशिवरात्री में चार मार्च हो होगा.

ये हैं मान्यताएं
मघा नक्षत्र में माघ पूर्णिमा आई है. मान्यता है कि इस दौरान गंगा स्नान करने से इसी जन्म में मुक्ति की प्राप्ति होती है. स्नान के जल में गंगा जल डालकर स्नान करना भी फलदायी होता है. ऐसी मान्यता है कि माघ पूर्णिमा पर स्नान करने वाले लोगों पर श्री कृष्ण की विशेष कृपा होती है. साथ ही भगवान कृष्ण प्रसन्न होकर व्यक्ति को धन-धान्य, सुख-समृद्धि और संतान के साथ मुक्ति का आर्शिवाद प्रदान करते हैं.

स्नान के बाद ये करने से होगा लाभ

- स्नान के बाद दान ध्यान और पूजा करें.

- भूमि, मकान, वाहन, संतान का सुख मिलेगा.

- मनचाहे अकूत धन की प्राप्ति मिलेगी.

कल्पवास खत्म होगा
प्रयागराज में गंगा-यमुना और अदृश्य सरस्वती के संगम स्थल पर कल्पवास की परंपरा आदिकाल से चली आ रही है. तीर्थराज प्रयाग में संगम के निकट हिन्दू माघ महीने में कल्पवास करते हैं. पौष पूर्णिमा से कल्पवास आरंभ होता है और माघी पूर्णिमा के साथ संपन्न होता है. इस कल्पवास का भी माघ पूर्णिमा के दिन स्नान के साथ अंत हो जाता है. इस मास में देवी-देवताओं का संगम तट पर निवास करते हैं. इससे कल्पवास का महत्त्व बढ़ जाता है. मान्यता है कि माघ पूर्णिमा पर ब्रह्म मुहूर्त में नदी स्नान करने से शारीरिक समस्याएं दूर हो जाती हैं. इस दिन तिल और कंबल का दान करने से नरक लोक से मुक्ति मिलती है.

गंगा जल से स्नान के बाद क्या करें

- स्नान के बाद सूर्यदेव को प्रणाम करें.

- ऊँ घृणि सूर्याय नमः मन्त्र का जाप करें.

- सूर्य को अर्घ्य दें. इसके बाद माघ पूर्णिमा व्रत का संकल्प लें.

- भगवान विष्णु की पूजा करें.

- पूजा के बाद दान दक्षिणा करें और दान में विशेष रूप से काले तिल प्रयोग करें.

- काले तिल से ही हवन और पितरों का तर्पण करें.

- इस दिन झूठ बोलने से बचें.

Source : News Nation Bureau

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