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Kumbh Mela 2021: हरिद्वार में कुंभ स्नान का है खास महत्व, जानें धार्मिक मान्यता

इस साल उत्तराखंड (Uttarakhand) के हरिद्वार में कुंभ मेला  (Haridwar Kumbh Mela 2021) का आयोजन किया जा रहा है. कुंभ मेला सबसे बड़े धार्मिक आयोजन के रूप में से एक माना जाता है.

Updated on: 15 Mar 2021, 05:43 PM

हरिद्वार:

इस साल उत्तराखंड (Uttarakhand) के हरिद्वार में कुंभ मेला  (Haridwar Kumbh Mela 2021) का आयोजन किया जा रहा है. कुंभ मेला सबसे बड़े धार्मिक आयोजन के रूप में से एक माना जाता है. कुंभ मेला 12 साल बाद आयोजित किया जाता है. मान्यता है कि कुंभ स्नान करने वाले श्रद्धालुओं को सभी पापों से मुक्ति मिल जाती है और उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है. कुंभ मेला हरिद्वार के अलावा उज्जैने में शिप्रा नदी में, नासिक में गोदावरी किनारे और प्रयागराज (इलाहाबाद) के गंगा, यमुना और सरस्वती के संगम स्थल पर लगता हैं.

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धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक, समुद्र मंथन के दौरान जब समुद्र से अमृत कलश निकला तो देवताओं और असुरों के बीच अमृत के लिए युद्ध शुरू हो गया है. इस दौरान जिस-जिस स्थान पर अमृत गिरा तो उन्हीं पवित्र स्थानों पर कुंभ मेले आयोजित किया जाने लगा. पौराणिक कथाओं के अनुसार, कुंभ मेले में स्वर्ग से सभी देवी-देवता धरती पर भ्रमण के लिए उतरते हैं. तो जो भी श्रद्धालु कुंभ स्नान करता है उनपर देवी-देवता विशेष रूप से अपनी कृपा बरसाते हैं.

हरिद्वार में कुंभ स्नान का भी खास महत्व है. हरिद्वार में कुंभ का आयोजन हर की पौड़ी गंगा किनारे आयोजित किया जाता है. हरिद्वार सबसे पवित्र धार्मिक स्थल के रूप में जाना जाता है. मान्यता है कि हर की पौड़ी पर भगवान हरि यानि कि विष्णु जी के चरण पड़े थे, तभी से इस स्थान का नाम हरि कि पौड़ी पड़ा.

हर की पौड़ी या ब्रह्मकुण्ड पवित्र नगरी हरिद्वार का मुख्य घाट है हर शाम सूर्यास्त के समय साधु संन्यासी गंगा आरती करते हैं, उस समय नदी का नीचे की ओर बहता जल पूरी तरह से रोशनी में नहाया होता है और याजक अनुष्ठानों में मग्न होते हैं.

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हिंदू धर्म में कुंभ स्नान का विशेष महत्व बताया गया है. वहीं अगर आप कुंभ के दौरान होने वाले शाही स्नान के दिन स्नान करते हैं तो ऐसी मान्यता है कि व्यक्ति को अमरत्‍व के समान पुण्य की प्राप्ति होती है, शरीर और आत्मा शुद्ध हो जाती है, रोग विकार समाप्त हो जाता है. वहीं साधु-संतों को अपने तपोकर्मों का विशिष्‍ट फल मिलता है.

शाही स्नान करने जाते समय साधु संत अपनी अपनी परंपरा अनुसार हाथी या घोड़े पर सवार होकर बैंड बाजे के साथ या फिर राजसी पालकी में निकलते हैं. आगे नागाओं की फौज होती है और पीछे महंत, मंडलेश्वर, महामंडलेश्वर और आचार्य महामंडलेश्वर होते हैं. शाही स्नान कुंभ का सबसे बड़ा आकर्षण होता है और पवित्र स्नान के बाद साधु-संत आसपास के मंदिरों के दर्शन कर अपने मूल स्थान पर लौट जाते हैं. 

वहीं बता दें कि कुंभ की तैयारियों को लेकर उत्तराखंड के मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने कहा कि पूरे मेला क्षेत्र को स्वच्छ और साफ रखने के दिशा-निर्देश अधिकारियों को दिए गए हैं. उन्होंने कहा कि शंकराचार्यों, साधु-संतों और अखाड़ों से बातचीत हुई है, उसके क्रम में शासन-प्रशासन पूरा सहयोग करेगा. हरिद्वार में महाशिवरात्रि और सोमवती अमावस्या के अवसर पर लाखों की संख्या में श्रद्धालु आए. हरिद्वार कुम्भ मेला प्रशासन एवं उत्तराखंड सरकार के मुताबिक हरिद्वार कुम्भ में सभी लोग बिना रोकटोक के बड़ी संख्या में आएं, पर भारत सरकार की गाइडलाइन का पालन जरूरी है. आगामी स्नानों में राज्य सरकार साधु-संतों का और भव्य-दिव्य अभिनंदन करने की तैयारी में है. महाशिवरात्रि पर शाही स्नान के दौरान भी साधु-संतों के अभिनंदन के लिए हैलीकॉप्टर से पुष्पवर्षा कराई गई.