कुंभ नहाने जाएं तो प्रयागराज के पास इन चार तीर्थों पर जाना न भूलें

दरअसल हम आपको धर्मनगरी प्रयागराज की यात्रा के साथ साथ आपको प्रयाग के पास स्थित कुछ अन्य ऐसे जानेमाने तीर्थ स्थल बताने जा रहे हैं, जहां आप पहुंच कर ईश्वर से खुद को जोड़ सकेंगे.

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yogesh bhadauriya
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कुंभ नहाने जाएं तो प्रयागराज के पास इन चार तीर्थों पर जाना न भूलें

ये चार तीर्थ हैं बेहद खास

अगर आप भी इस बार उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में जनवरी माह से शुरू होने जा रहे अर्द्धकुंभ मेले में पहुंचने वाले हैं तो ये आर्टिकल समझिए बस आप के लिए ही है. दरअसल हम आपको धर्मनगरी प्रयागराज की यात्रा के साथ साथ आपको प्रयाग के पास स्थित कुछ अन्य ऐसे जानेमाने तीर्थ स्थल बताने जा रहे हैं, जहां आप पहुंच कर ईश्वर से खुद को जोड़ सकेंगे.

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वाराणसी

काशी के रूप में वर्णित वाराणसी या बनारस शहर भारत की समृद्ध विरासत को अपने आप में संजोये हुए है. यह प्राचीन काल से ही भारतीय संस्कृतिए दर्शनए परंपराओं और आध्यात्मिक आचरण का एक आदर्श सम्मिलन केंद्र रहा है. यह सप्त पुरियों यथा प्राचीन भारत के सात पवित्र नगरों में से एक है. बनारस शहर गंगा नदी के किनारे पर स्थित है. गंगा की दो सहायक नदियाँ वरुणा और अस्सी के नाम पर इसका नाम वाराणसी हुआ. काशी. पवित्र शहरए गंगा. पवित्र नदी और शिव . सर्वोच्च भगवानए ये तीनों वाराणसी को एक विशिष्ट स्थान बना देते हैं.

आज वाराणसी सांस्कृतिक और पवित्र गतिविधियों का केंद्र है. विशेष रूप से धर्मए दर्शनए योगए आयुर्वेदए ज्योतिषए नृत्य और संगीत सीखने के क्षेत्र में निश्चित रूप से ये नगर अद्वितीय स्थान रखता है. बनारसी रेशमी साड़ी और ज़री के वस्त्र दुनिया भर में अपनी भव्यता के लिए जाने जाते हैं. वाराणसी का हर कोना आश्चर्यों से भरा है. अतः जितना अधिक इसे देखते हैं ए उतना ही इसमें खोते जाते हैं.

दूरी: 120 कि०मी०

विंध्याचल

विंध्याचल गंगा नदी के किनारे मिर्जापुर जिले में स्थित शहर है. यह देवी विंध्यवासिनी का शक्तिपीठ है जो देश में प्रतिष्ठित शक्तिपीठों में से एक है. प्राचीन ग्रंथों में वर्णित देवी विंध्यवासिनी को तत्काल आशीष प्रदान करने वाली देवी माना जाता है. इस स्थान पर देवी को समर्पित अनेकों मंदिर है. यह पवित्र स्थान पर्यटकों को प्राकृति के विभिन्न आश्चर्यों के करीब आने का मौका प्रदान करता है.

हालांकि, विंध्याचल धार्मिक उत्साह की हलचल से भरा शहर है, पर यहाँ कोई भी ऐसा शांत पक्ष नहीं है जो पर्यटकों द्वारा छोडने लायक हो. गंगा नदी के तट पर स्थित यह प्रकृति प्रेमियों को अपने हिस्से का हरित परिदृश्य भी प्रस्तुत करता है.
दूरी: 88 कि०मी०

अयोध्या

अयोध्या फैज़ाबाद जिले में सरयू नदी के तट पर स्थित है. भारत की गौरवशाली आध्यात्मिक एवं सांस्कृतिक परम्परा का प्रतिनिधित्व करने वाली अयोध्या प्राचीनकाल से ही धर्म और संस्कृति की परम, पावन नगरी के रूप में सम्पूर्ण विश्व में विख्यात रही है. अयोध्या की माहात्म्य व प्रशस्ति वर्णन से इस नगरी के महत्व और लोकप्रियता का स्वयं ही अनुभव हो जाता है.

मर्यादा पुरोषत्तम भगवान श्रीराम के जीवन दर्शन से गौरवान्वित इस पावन नगरी के सत्यवादी राजा हरिश्चंद्र और सुरसरि गंगा को स्वर्ग से पृथ्वी पर लाने वाले राजा भगीरथ सिरमौर रहे है. जैन धर्म के प्रणेता श्री आदिनाथ सहित पाँच तीर्थंकर इसी नगरी में जन्मे थे. चीनी यात्री द्वय फाह्यान व ह्वेनसांग के यात्रा .वृत्तान्तों में भी अयोध्या नगरी का उल्लेख मिलता है.
दूरी: 169 कि०मी०

चित्रकूट

चित्रकूट का अर्थ है कई आश्चर्यों से भरी पहाड़ी यह उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश के राज्यों में फैले पहाड़ों की उत्तरी विंध्य श्रृंखला में है. भगवान राम ने यहाँ अपने वनवास का बहुत समय बिताया. महाकाव्य रामायण के अनुसार ए चित्रकूट में भगवान राम के भाई भरत ने उनसे मुलाकात की और उनसे अयोध्या लौटने और राज्य पर शासन करने के लिए कहा. यह माना जाता है कि हिंदू धर्म के सर्वोच्च देवता ब्रह्मा, विष्णु और महेश यहाँ अवतार ले चुके हैं. यहाँ कई मंदिर और कई धार्मिक स्थल हैं.

इस धरा पर संस्कृति और इतिहास के सुन्दर संयोजन की झलकियाँ हैं. चित्रकूट आध्यात्मिक आश्रय स्थल है. जो लोग अनजानी और अनदेखी जगहों के प्रति रुचि रखते हैं उन यात्रियों की यहाँ लगभग पूरे साल भीड़ रहती है . चित्रकूट देवत्व शांति और प्राकृतिक सौंदर्य का एकदम सही मेल है.
दूरी: 130 कि०मी०

Source : News Nation Bureau

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