Kumbh Mela 2019: कुंभ नहाने जा रहे हैं तो इन जगहों पर जाना न भूलें, एक नजर में जानें प्रयागराज को

दरअसल हम आपको प्रयागराज के कुछ और लोकेशन बताने जा रहे हैं जहां आप अपनी इस यात्रा के साथ- साथ उनका भी पूरा आनंद ले सकेंगे.

दरअसल हम आपको प्रयागराज के कुछ और लोकेशन बताने जा रहे हैं जहां आप अपनी इस यात्रा के साथ- साथ उनका भी पूरा आनंद ले सकेंगे.

author-image
yogesh bhadauriya
एडिट
New Update
Kumbh Mela 2019: कुंभ नहाने जा रहे हैं तो इन जगहों पर जाना न भूलें, एक नजर में जानें प्रयागराज को

उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में जनवरी माह से शुरू हो रहा है कुंभ मेला

अगर आप भी इस बार उत्तर प्रदेश के प्रयागराज  में जनवरी माह से शुरू होने जा रहे अर्द्धकुंभ मेले में पहुंचने वाले हैं तो ये आर्टिकल समझिए बस आप के लिए ही है. दरअसल हम आपको प्रयागराज के कुछ और लोकेशन बताने जा रहे हैं जहां आप अपनी इस यात्रा के साथ- साथ उनका भी पूरा आनंद ले सकेंगे. तो बस देर किस बात की टिकट बुक करिए और निकल पड़िए धर्म नगरी प्रयागराज के लिए.

Advertisment

शुरू करने से पहले एक नजर डाल लेते हैं प्रयागराज के इतिहास पर ..."प्रमाणिक इतिहास के आरंभ के काफी पूर्व से प्रयागराज में जैसा कि यह आज है, का भू-भाग सभ्य प्रजातियों के प्रभाव में रहा है जब कि प्रागैतिहासिक काल (Prehistoric times) में इसके सत्र सामायिक स्थान आज समाप्त हो गये हैं, प्राचीन भारतीय धर्मशास्त्र का प्रयाग आज भी महाभारत काल के इन्द्रप्रस्थ की तरह विद्यमान है जहां यह 5000 वर्षों पूर्व था ". (माडर्न ई०पू० 1910)

यह भी पढ़ें- Kumbh mela 2019 : जानें कुंभ मेला की क्या है कहानी, क्यों माना गया है पवित्र

प्रयागराज एक तीर्थ स्थान है यूं तो यहां कई छोटे-बड़े मंदिर उपस्थित हैं लेकिन हम यहां आपके लिए कुछ प्राचीन मंदिरों की सूची लेकर आएं हैं. आईए जानते हैं एक नजर में इन पावन मंदिरों के बारे में जहां पहुंचकर आप ईश्वर को अपने समीप होने का अनुभव प्राप्त कर सकते हैं.

शंकर विमान मण्डपम

दक्षिण भारतीय शैली का यह मंदिर चार स्तम्भों पर निर्मित है. जिसमे कुमारिल भट्ट, जगतगुरु आदि शंकराचार्य, कामाक्षी देवी (चारों ओर 51 शक्ति की मूर्तियां के साथ), तिरूपति बाला जी (चारों ओर 108 विष्णु भगवान) और योगशास्त्र सहस्त्रयोग लिंग (108 शिवलिंग) स्थापित है.

श्री वेणी माधव

पद्मपुराण में वर्णन के अनुसार लोकमान्यता है कि सृष्टीकर्ता ब्रह्मा जी प्रयागराज की धरती पर जब यज्ञ कर रहे थे तब उन्होंने प्रयागराज की सुरक्षा हेतु भगवान विष्णु से प्रार्थना कर उनके बारह स्वरूपों की स्थापना करवाई थी. प्रयागराज के बारह माधव मंदिरों में सर्वप्रसिद्ध श्री वेणी माधव जी का मंदिर दारागंज के निराला मार्ग पर स्थित है. मन्दिर में शालिग्राम शिला निर्मित श्याम रंग की माधव प्रतिमा गर्भगृह में स्थापित है. श्री वेणी माधव को ही प्रयागराज का प्रधान देवता भी माना जाता है. यहाँ वर्ष भर श्रधालुओं का ताँता लगा रहता है. श्री वेणी माधव के दर्शन के बिना प्रयागराज की यात्रा एवं यहाँ होने वाली पंचकोसी परिक्रमा को पूर्ण नहीं कहा जा सकता. चैतन्य महाप्रभु जी स्वयं अपने प्रयागराज प्रवास के समय यहाँ रह कर भजन-कीर्तन किया करते थे.

संकटमोचन हनुमान मंदिर

दारागंज मोहल्ले में गंगा जी के किनारे संकटमोचन हनुमान मंदिर है. यह कहा जाता है कि संत समर्थ गुरू रामदास जी ने यहां भगवान हनुमान जी की मूर्ति स्थापित की थी. शिव-पार्वती, गणेश, भैरव, दुर्गा, काली एवं नवग्रह की मूर्तियां भी मंदिर परिसर में स्थापित हैं. निकट में श्री राम जानकी मंदिर एवं हरित माधव मंदिर हैं.

मनकामेश्वर मंदिर

किला के पश्चिम यमुना तट पर मिन्टो पार्क के निकट यह मंदिर स्थित है. यहां काले पत्थर की भगवान शिव का एक लिंग और गणेश एवं नंदी की मूर्तियां हैं. यहां हनुमान जी की भी एक बड़ी मूर्ति है और मंदिर के निकट एक प्राचीन पीपल का पेड़ है.

भारद्वाज आश्रम

मुनि भारद्वाज से सम्बद्ध यह एक प्रसिद्ध धार्मिक स्थल है. मुनि भारद्वाज के समय यह एक प्रसिद्ध शिक्षा केन्द्र था. कहा जाता है कि भगवान राम अपने वनवास पर चित्रकूट जाते समय सीता जी एवं लक्ष्मण जी के साथ इस स्थान पर आये थे. वर्तमान में वहां भारद्वाजेश्वर महादेव मुनि भारद्वाज, तीर्थराज प्रयाग और देवी काली इत्यादि के मंदिर हैं. निकट ही सुन्दर भारद्वाज पार्क एवं आनन्द भवन है.

विक्टोरिया स्मारक

रानी विक्टोरिया को समर्पित इटालियन चूना पत्थर से निर्मित यह स्मारक स्थापत्य कला का एक जीवंत उदाहरण है. इसे 24 मार्च, 1906 को जेम्स डिगेस ला टच के द्वारा 1906 में खोला गया था. त्रिकोणात्मक रचना में कभी रानी विक्टोरिया की बड़ी मूर्ति लगी हुई थी जो वर्तमान समय में वहाँ नहीं हैं.

प्रयाग संगीत समिति

यह वर्ष 1926 में भारतीय जन मानस में भारतीय शास्त्रीय संगीत पढ़ाने और लोकप्रिय बनाने की सोंच के साथ स्थापित किया गया था. यह संस्था भारतीय समितियां अधिनियम संख्या (गत, वर्ष 1860) के अधीन पंजीकृत है. समिति का मूल उद्देश्य गायन, वादन एवं नृत्य को सम्मिलित करते हुए संगीत कला की प्रतिष्ठा को सदैव पुनर्जीवित रखनातथा भारत व विदेशों में भी इस कला में व्यवस्थित प्रशिक्षण प्रदान करना है, इसके अलावा इसे अधिकतम लोगों तक पहुंचाना है. इस बिन्दु को दृष्टिगत रखकर समिति श्रद्धापूर्वक आज तक महत्वपूर्ण कार्य करने में संलिप्त है.

इलाहाबाद विश्वविद्यालय

इलाहाबाद विश्वविद्यालय को एक शताब्दी से अधिक समय तक भारत के विश्वविद्यालयों के मध्य एक सम्मानित स्थान प्राप्त है. 23 सितम्बर, 1887 को स्थापित यह कलकत्ता, बाम्बे और मद्रास विश्वविद्यालय के पश्चात् चौथा पुराना विश्वविद्यालय है. इलाहाबाद में एक बड़े केन्द्रीय कालेज की स्थापना एवं इसे एक विश्वविद्यालय के रूप में विकसित करने का श्रेय सर विलियम म्योर को जाता है जो यूनाइटेड प्राविन्स के लेफ्टिनेंट गवर्नर थे. उनके प्रयासों के परिणामस्वरूप म्योर सेन्ट्रल कालेज की आधारशिला 9 दिसम्बर, 1873 को वायसराय लार्ड नार्थब्रुक के द्वारा रखी गयी थी. विजय नगरम हाल, सीनेट हाल (दरबार हाल), एस0एस0एल0 हास्टल, इलाहाबाद विश्वविद्यालय की बड़ी इमारतें हैं.

पब्लिक लाइब्रेरी

शहर की सबसे पुरानी लाइब्रेरी चन्द्रशेखर आजाद पार्क परिसर के भीतर स्थित है. इसमें ऐतिहासिक पुस्तकों, पाण्डुलिपियों एवं पत्रिकाओंका बृहद संग्रह है. इस लाइब्रेरी को चैथम लाइन्स क्षेत्र में 1864 में स्थापित किया गया था, वर्तमान भवन का वर्ष 1878 में निर्माण के पश्चात् लाइब्रेरी को यहां स्थानान्तरित किया गया था. इस दर्शनीय भवन का एक अन्य गरिमामयी अध्याय भी है. यहां राज्य की प्रथम विधान सभा ने अपनी प्रथम बैठक इसी भवन में 8 जनवरी, 1887 को किया था. लार्ड थार्नहिल एवं माइन की स्मृति में निर्मित यह भवन गोथिक आर्कीटेक्चर का एक सुन्दर उदाहरण है.

श्री अखिलेश्वर महादेव

चिन्मय मिशन के अधीन इलाहाबाद में रसूलाबाद घाट के निकट 500 वर्ग फिट के लगभग एक क्षेत्र में श्री अखिलेश्वर महादेव संकुल फैला हुआ है. आधारशिला 30 अक्टूबर, 2004 को चिन्मय मिशन के परमपूज्य स्वामी तेजोमयनन्दजी एवं पूज्य स्वामी सुबोधानन्द जी के द्वारा रखी गयी थी. आधार तल से ऊपर राजस्थान से गुलाबी पत्थर मंगा कर कटाई की जा रही है और श्री अखिलेश्वर महादेव ध्यान मण्डपम को आकार प्रदान करने के लिये लगाये जा रहे हैं. आधार पर लगभग 300 व्यक्तिगण की क्षमता वाली एक सत्संग भवन हेतु निर्मित किया गया है और श्री अखिलेश्वर महादेव के लिये समस्त आवश्यक सेवायें उपलब्ध है.

गंगा गैलरी (राष्ट्रीय विज्ञान अकादमी)

5, लाजपत राय मार्ग, नया कटरा स्थित यह गैलरी गंगा नदी की धार्मिक, सांस्कृतिक, सामाजिक-आर्थिक एवं वैज्ञानिक पक्ष को प्रकाशित करने के लिये एक वैज्ञानिक दृष्टि का प्रयोग करती है. वैज्ञानिक दृष्टि का प्रयोग करती है.

दशाश्वमेघ मंदिर

यह दारागंज में गंगा नदी के किनारे स्थित शहर के तटीय क्षेत्रों में से एक है. कहा जाता है कि भगवान बह्मा जी ने यहां अश्वमेघ यज्ञ किया था. दशाश्वमेघेश्वर महादेव-शिवलिंग, नंदी, शेषनाग की मूर्तियां एवं एक बड़ा त्रिशूल मंदिर में स्थापित किये गये हैं. चैतन्य महाप्रभु की स्मृति में उनके पदचिन्हों की बिम्ब धारित करती हुई एक संगमरमर की पट्टी भी यहां लगी हुई है. इस मंदिर के निकट में ही देवी अन्नपूर्णा भगवान हनुमान एवं भगवान गणेश के मंदिर हैं.

तक्षकेश्वर नाथ मंदिर

तक्षकेश्वर भगवान शंकर का मंदिर है जो इलाहाबाद की दक्षिण दिशा में स्थित दरियाबाद मोहल्ले में यमुना तट पर स्थित है. इससे थोड़ी दूर पर यमुना में तक्षकेश्वर कुंड है. जन श्रुति यह है कि तक्षक नाग ने भगवान कृष्ण द्वारा मथुरा से भगाये जाने के पश्चात् यहीं शरण ली थी.

Source : News Nation Bureau

Kumbh 2019 Prayagraj Kumbh Mela 2019 2019 Allahabad Ardh Kumbh Mela Kumbh Mela Allahabad 2019 Allahabad Kumbh 2019 2019 Kumbh Mela
      
Advertisment