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Janmashtami 2019: इस साल जन्माष्टमी पर बन रहा है खास संयोग, मिलेगा विशेष लाभ

जन्माष्टमी का त्योहार 23 अगस्त को मनाया जाएगा. हालांकि जो लोग उदया तिथि मानते हैं वो 24 अगस्त को जन्माष्टमी का त्योहार मनाते हैं

Updated on: 21 Aug 2019, 07:28 AM

नई दिल्ली:

हिंदुओं के सबसे बड़े त्योहारों में से एक जनमाष्टमी की धूम अभी से हर तरफ नजर आ रही है. इस बार भी जनमाष्टमी की तारीख को वेकर लोगों में एकमत नहीं है. कुछ लोगों का कहना है कि इस साल जन्माष्टमी 23 अगस्त को मनाई जाएगी जबकिु कुछ लोग बता रहे हैं कि ये त्योहार इस साल 24 अगस्त को मनाया जाएगा. दरअसल मान्यता है कि भगवान श्रीकृष्ण का जन्म भाद्रपद मास (भादो माह) की कृष्‍ण पक्ष की अष्‍टमी के दिन हुआ था. इस साल ये तिथि 23 अगस्त को पड़ रही है. ऐसे में जन्माष्टमी का त्योहार 23 अगस्त को मनाया जाएगा. हालांकि जो लोग उदया तिथि मानते हैं वो 24 अगस्त को जन्माष्टमी का त्योहार मनाते हैं.

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इस साल बन रहा है खास संयोग

बताया जा रहा है कि इस साल जनमाष्टमी में खास संयोग बन रहा है. दरअसल द्वापर युग में जिस तरह अष्टमी को सूर्य और चंद्रमा उच्च भाव में विराजमान थे, ठीक वैसा ही अद्भुत संयोग इस साल की जन्माष्टमी यानी अष्टमी तिथि पर रोहिणी नक्षत्र में पड़ रहा है. माना जा रहा है कि खास संयोग से भक्तों को विशेष लाभ मिलेगा.

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क्यों मनाई जाती है जन्माष्टमी?

जन्माष्टमी भगवान श्री कृष्ण के जन्मोत्सव के रूप में मनाई जाती है. पौराणिक मान्याताओं के अनुसार द्वापर युग मथुरा में कंस नाम का राजा था और उनकी एक चचेरी बहन देवकी थी. कंस अपनी बहन देवकी से बेहद प्यार करता था. उन्होंने उनका विवाह वासुदेव नाम के राजकुमार से हुआ था. देवकी के विवाह के कुछ दिन पश्चात ही कंस को ये आकाशवाणी हुई की देवकी की आठवीं संतान उसका काल बनेगा. यह सुनकर कंस तिलमिला गए और उसने अपनी बहन को मारने के लिए तलवार उठा ली, लेकिन वासुदेव ने कंस को वादा किया कि वो अपनी आठों संतान उसे दे देंगे मगर वो देवकी को ना मारे.

इसके बाद कंस ने देवकी और वासुदेव को मथुरा के ही कारागार में डाल दिया। देवकी के सातों संतान को कंस ने बारी-बारी कर के मार डाला। जब देवकी ने आठवीं संतान के रूप में श्रीकृष्ण को जन्म दिया तो उन्हें कंस के प्रकोप से बचाने के लिए गोकुल में अपने दोस्त नंद के यहां भिजवा दिया. कहते है कृष्ण के जन्म के समय उस रात कारागार में मौजूद सभी लोग निंद्रासन में चले गए थे.