ईसाई धर्म का खास त्यौहार 'गुड फ्राइडे' इस बार 19 अप्रैल को मनाया जा रहा है. ईसाई धर्म के प्रवर्तक प्रभु ईसा मसीह ने इसी दिन अपने प्राणों का बलिदान दिया था. जिस वजह से ईसाई अनुयायी इस दिन को शोक दिवस के रूप में भी मनाते है. बताया जाता है कि इसी दिन ईसा मसीह को तमाम यातनाएं देकर सूली पर चढ़ा दिया गया था. 'गुड फ्राइडे' के दिन ईसाई धर्म को मानने वाले चर्च जाकर प्रभु यीशु को याद करते हैं. गुड फ्राइडे को होली फ्राइडे, ब्लैक फ्राइडे और ग्रेट फ्राइडे भी कहते हैं.
गुड फ्राइडे के रूप में लोग आज भी उनके बलिदान को नमन करते हैं. कहते हैं कि ईसा मसीह ने इस संसार के गुनाहों के लिए अपने प्राण दिए थे. सूली पर लटकाए जाने के बाद मृत्यु पूर्व उनके मार्मिक और दिल को छू लेने वाले शब्द थे, 'हे ईश्वर इन्हें क्षमा करें, क्योंकि ये नहीं जानते कि ये क्या कर रहे हैं.'
ईसाई धर्म के अनुसार ईसा मसीह परमेश्वर के पुत्र थे. उन्हें मृत्यु दंड इसलिए दिया गया था क्योंकि वो अज्ञानता के अंधकार को दूर करने के लिए लोगों को शिक्षित और जागरुक कर रहे थे. उस वक्त यहूदियों के कट्टरपंथी रब्बियों यानी कि धर्मगुरुओं ने यीशु का पुरजोर विरोध किया.
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कट्टरपंथियों ने उस समय के रोमन गवर्नर पिलातुस से यीशु की शिकायत कर दी. रोमन हमेशा इस बात से डरते थे कि कहीं यहूदी क्रांति न कर दें. ऐसे में कट्टरपंथियों को खुश करने के लिए पिलातुस ने यीशु को क्रॉस पर लटकाकर जान से मारने का आदेश दे दिया.
अपने हत्यारों की उपेक्षा करने के जगह प्रभु यीशु ने उनके लिए प्रार्थना करते हुए कहा था, 'हे ईश्वर! इन्हें क्षमा कर क्योंकि ये नहीं जानते कि ये क्या कर रहे हैं.'
Source : News Nation Bureau