महाराष्ट्र में कैसे और क्यों शुरू हुई गणेशोत्सव मनाने की परंपरा, जानें
वैसे तो मान्यताओं के मुताबिक भ्राद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को भगवान गणेश का जन्म हुआ था. ऐसे में देशभर में लोग अपने घरों में गणेश भगवान की पूजा करते हैं लेकिन महाराष्ट्र में इसे बड़े तरीके से मनाया जाता है
नई दिल्ली:
देशभर में गणेश चतुर्थी का त्योहार धूमधाम से मनाया जाता है लेकिन इस त्योहार पर महाराष्ट्र का नजारा कुछ और ही होता है. इस त्योहार को महज कुछ दिन रह गए हैं और मुंबई में कई पंडाल सुंदर और मन को मोह लेने वाली गणेश प्रतिमाओं से पट गए हैं. गणेश भक्तों में इन मूर्तियों को अपने घर ले जाने की जैसे होड़ मची हुई है. कुल मिलाकर गणेशोत्सव की तैयारियां जोरो पर हैं. लेकिन क्या आपको पता है कि महाराष्ट्र में गणेश उत्सल को इतने धमधाम से क्यों मनाया जाता है. दरअसल इसके पीछे देश की आजादी की लड़ाई से जुड़ी एक कहानी है जिसे आज हम आपको बताएंगे.
वैसे तो मान्यताओं के मुताबिक भ्राद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को भगवान गणेश का जन्म हुआ था. ऐसे में देशभर में लोग अपने घरों में गणेश भगवान की पूजा करते हैं लेकिन महाराष्ट्र में इसे बड़े तरीके से मनाया जाता है. जगह-जगह बड़े-बड़े पंडाल बनाए जाते हैं जहां लोग एक साथ इकट्ठा होकर नाचते गाते है और भगवान गणेश की पूजा करते हैं. हालांकि इसके पीछे भी एक कारण हैं.
ऐसे शुरू हुई गणेशोत्सव की परंपरा
दरअसल गणेशोत्सव मनाने की परंपरा पेशवाओं ने शुरू की थी. माना जाता है कि पेशवा सवाई माधवराव के शासन के दौरान पुणे के प्रसिद्ध शनिवारवाड़ा नामक राजमहल में भव्य गणेशोत्सव मनाया जाता था. यहीं से गणेशोत्सव की शुरुआत हुई. इसके बाद 1890 में स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान बाल गंगाधर तिलक अक्सर सोचा करते थे कि कैसे लोगों को इकट्ठा किया जाए. ऐसे में उनके मन में विचार आया कि लोगों को एक साथ लाने के लिए क्यों न गणेशोत्सव को ही सार्वचनिक रूप से मनाया जाए. ऐसे में महाराष्ट्र में गणेशोत्सव को इतने बड़े पैमाने पर मनाने की शुरुआत बाल गंगाधर तिलक के जरिए हुई.
यह भी पढ़ें: अयोध्या की दिवाली की तर्ज पर इस साल मथुरा में जन्माष्टमी, सांस्कृतिक प्रस्तुतियों से मोहा मन
1983 में पहली बार बाल गंगाधर तिलक ने सार्वजनिक रूप से गणेशोत्सव का आयोजन किया जिसके बाद ये परंपरा पूरे महाराष्ट्र में लोकप्रिय हो गई. बाद में इसी गणेशोत्सव की मदद से आजादी की लड़ाई भी मजबूत की गई. दरअसल वीर सावरकर और कवि गोविंद की तरफ से नासिक में गणेशोत्सव मनाने के लिए एक संस्था बनाई थी जिसका नाम मित्रमेला रखा गया. इस संस्था में लोगों मं देशभक्ति का भाव जगाने के लिए राम-रावण कथा के आधार पर देशभक्ति से भरे मराठी गीतों को काफी आकर्षक तरीके से सुनाया जाता था. जिसे लोग काफी पसंद करते थे. धीरे-धीरे ये संस्था लोगों में काफी लोकप्रिय हो गई जिसके बाद अन्य कई शहरों में भी गणेशोत्सव के जरिए आजादी का आंदोलन छे़ड़ दिया गया.
बता दें इस साल महाराष्ट्र में गणेशोत्सव की शुरुआत 2 सितंबर से होनी है. लगातार 9 दिन तक चलने वाली इस महोत्सव में पूरी मायानगरी शामिल होती है. ये भव्य और सुंदर गणेश मूर्तियाँ कुछ दिनो बाद बड़े बड़े पंडालों में और भक्तों के घरों में भी विराजेंगी.
यह भी पढ़ें: जयपुर: इस मंदिर में रात को नहीं दिन में 12 बजे मनाया गया कृष्ण जन्म, जानें क्यों
पूजा के लिए जरूरी सामग्री
गणपति की मूर्ति को घर में स्थापित करने के समय सभी विधि विधान के अलावा जिन सामग्री की जरूरत होती है, वो इस प्रकार हैं. शुद्ध जल, दूध, दही, शहद, घी, चीनी, पंचामृत, वस्त्र, जनेऊ, मधुपर्क, सुगंध चन्दन, रोली सिन्दूर, अक्षत (चावल), फूल माला, बेलपत्र दूब, शमीपत्र, गुलाल, आभूषण, सुगन्धित तेल, धूपबत्ती, दीपक, प्रसाद, फल, गंगाजल, पान, सुपारी, रूई, कपूर
इस तरह शुरू करें पूजा
गणेश चतुर्थी की पूजा करने से पहले नई मूर्ति लाना जरूरी है. इस प्रतिमा को आप अपने मंदिर या देव स्थान में स्थापित कर सकते हैं लेकिन इससे पहले भी कई खास बातों का ध्यान रखना बहुत जरूरी है. अगर आप गणपति जी की मूर्ति को किसी कारण स्थापित नहीं कर सकते तो एक साबुत पूजा सुपारी को गणेश जी का स्वरूप मानकर उसे घर में रख सकते हैं.
वीडियो
IPL 2024
मनोरंजन
-
Farzi 2 Shooting: कब शुरू होगी फर्जी 2 की शूटिंग, एक्ट्रेस राशि खन्ना ने दिए हिंट
-
Taapsee Pannu Photos: सीक्रेट शादी के बाद तापसी पन्नू ने साड़ी में शेयर की पहली फोटोज, फैंस ने स्पॉट की इंगेजमेंट रिंग
-
Ayushmann Khurrana: ट्रांसजेंडर समुदाय के लिए आयुष्मान खुराना ने दिखाई दरियादिली, किया ये जरूरी काम
धर्म-कर्म
-
April Panchak Date 2024: अप्रैल में कब से कब तक लगेगा पंचक, जानें क्या करें क्या ना करें
-
Ramadan 2024: क्यों नहीं निकलते हैं कुछ लोग रमज़ान के आखिरी 10 दिनों में मस्जिद से बाहर, जानें
-
Surya Grahan 2024: क्या भारत में दिखेगा सूर्य ग्रहण, जानें कब लगेगा अगला ग्रहण
-
Rang Panchami 2024: आज या कल कब है रंग पंचमी, पूजा का शुभ मुहूर्त और इसका महत्व जानिए