Akhara in Sanatan Dharm: हर अखाड़े की होती है अपनी कोतवाली और अनोखे कानून, दी जाती हैं ये अद्भुत सजाएं

Akhara in Sanatan Dharm: सनातन धर्म में अखाड़ों की परंपरा बेहद पुरानी है. अखाड़ों के नियम कानून आज भी आधुनिक दुनिया से अलग है. इनका अपनी कोतवाली होती है, इनके समाज के अपराधी को ये उसी कोतवाली में सजा देते हैं.

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Inna Khosla
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Prayagraj: Sadhus of 'Niranjani Akhara' take a holy dip during the 'Amrit Snan' at the Triveni Sangam, confluence of the Ganges, the Yamuna, and the mythical Saraswati rivers, on the auspicious occasion of Makar Sankranti during the Maha Kumbh 2025 in Prayagraj on Tuesday, January 14, 2025. (Photo: IANS/Biplab Banerjee)

Sadhus Akhara Photograph: (News Nation)

Akharas in Sanatan Dharm: महाकुंभ जैसे भव्य आयोजन में अखाड़ों की भूमिका केवल धार्मिक गतिविधियों तक सीमित नहीं होती बल्कि उनके अपने नियम-कानून और व्यवस्था भी होती है. हर अखाड़े की अपनी कोतवाली होती है जहां उनके अनुयायियों और संतों से जुड़े मामलों का निपटारा होता है. इन अखाड़ों के कानून और सजाएं न केवल अद्वितीय हैं बल्कि समाज की पारंपरिक व्यवस्था से भी अलग हैं. अखाड़ा समाज के लोगों को गलती की सजा कैसे मिलती है और कौन देता है आइए जानते हैं. 

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अखाड़ों की अपनी कोतवाली

हर अखाड़े में एक विशेष स्थान को कोतवाली के रूप में स्थापित किया जाता है, जो अखाड़े की आंतरिक व्यवस्था और अनुशासन बनाए रखने के लिए जिम्मेदार होता है. इस कोतवाली में संतों के बीच विवाद, अनुशासनहीनता, और अन्य मामलों का निपटारा किया जाता है. अखाड़े के वरिष्ठ संत इन मामलों में पंचायत की भूमिका निभाते हैं और निर्णय लेते हैं. 

अनोखे कानून और सजाएं

अखाड़ों के नियम और कानून उनकी परंपराओं और आस्थाओं पर आधारित होते हैं. हल्के अपराध जैसे अनुशासनहीनता या नियमों के उल्लंघन पर सार्वजनिक क्षमा याचना या भजन-कीर्तन करने का आदेश दिया जाता है. गंभीर अपराध में दोषी को अखाड़े से निष्कासित कर दिया जाता है जो सबसे कड़ी सजा मानी जाती है. अनोखे प्रायश्चित की बात करें तो इसमें दोषी को गंगा स्नान, तीर्थ यात्रा या तपस्या करने का आदेश दिया जाता है. 

गंभीर अपराधों पर विधान

अगर अखाड़े के किसी सदस्य पर गंभीर अपराध का आरोप सिद्ध होता है तो उसे अखाड़े की कोतवाली के निर्णय का पालन करना होता है. गंभीर अपराध के मामलों में दोषी को अखाड़े और समुदाय से अलग कर दिया जाता है. कुछ मामलों में दोषी को कठोर साधना के माध्यम से प्रायश्चित का अवसर भी दिया जाता है. अखाड़ों की यह न्याय प्रणाली उनकी आंतरिक अनुशासन व्यवस्था और परंपराओं को बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है. यहां न केवल धार्मिक नियमों का पालन होता है, बल्कि समाज के प्रति आदर्श आचरण का संदेश भी दिया जाता है.

अखाड़ों की कोतवाली और उनकी अद्वितीय न्याय व्यवस्था यह दर्शाती है कि किस तरह से संत समाज अपनी परंपराओं और आस्थाओं को संरक्षित करते हुए अनुशासन बनाए रखता है. उनके कानून और सजाएं आधुनिक न्याय प्रणाली से भले ही अलग हों, लेकिन वे अखाड़ों के अनुयायियों के लिए पूर्णतः स्वीकार्य और प्रभावी हैं.

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