किन्नरों की दुआओं में काफी शक्ति होती है. जब भी कोई शुभ काम होता है तो हम किन्ररों को आमंत्रित जरूर करते हैं या फिर वो खुद भी वहां आ जाती है. किन्नरों की दुनिया आम आदमी से हर मायने में अलग होती है. ये वो लोग हैं, जो ना स्त्री हैं और ना ही पुरुष. इन्हें थर्ड जेंडर कहा जाता है. लेकिन किन्नरों के बारे में बहुत ही कम लोगों को जानकारी होती है. जहां हिंदू धर्म में आम आदमी का अंतिम संस्कार कभी भी रात में नहीं होता है, लेकिन किन्नरों का अंतिम संस्कार हमेशा रात में होता है. आज हम आपको उनके अंतिम संस्कार से जुड़ी परंपरा के बारे में बताएंगे.
शव को खड़ा करके लेकर जाया जाता है
दरअसल, किन्नरों की मौत के बाद उनके अंतिम संस्कार को गोपनीय रखा जाता है, ताकि कोई गैर-किन्नर उसे देख न सके. इसलिए अक्सर रात में ही उनकी अंतिम यात्रा निकाली जाती है. ऐसा माना जाता है कि अगर किसी किन्नर के अंतिम संस्कार को आम इंसान देख ले, तो मरने वाले का जन्म फिर से किन्नर के रूप में ही होगा. बताया जाता है कि शवयात्रा के दौरान भी किन्नरों की डेड बॉडी को चार कंधों पर लिटाकर ले जाने की जगह शव को खड़ा करके अंतिम संस्कार के लिए ले जाया जाता है. उनके शव को सफेद कपड़े में लपेट दिया जाता है, जिसका मतलब होता है कि मृतक का अब इस शरीर और इस दुनिया से कोई नाता नहीं रहा. इसके अलावा उनके मुंह में पवित्र नदी का पानी डालने का भी रिवाज है. इसके बाद ही शव को दफनाया जाता है.
मृत्यु का अहसास
किन्नरों के बारे में कहा जाता है कि मरने से ठीक पहले उन्हें अपनी मौत का अहसास हो जाता है. ऐसे में वे खाना-पीना बंद कर देते हैं. घर से बाहर भी नहीं निकलते हैं. वे पूरी तरह से इस दौरान ईश्वर की भक्ति में लीन हो जाते हैं और दुआ मांगते हैं कि हे प्रभु, इस जन्म में किन्नर तो हुए, लेकिन अगले जन्म में हमें किन्नर न बनाएं.
जूते-चप्पलों से पीटते हैं
किन्नर खुद अपने जीवन को इतना अभिशप्त मानते हैं कि अंतिम यात्रा से पहले मृतक के डेड बॉडी को जूते-चप्पलों से पीटते हैं. साथ ही साथ वे जमकर गालियां देते हैं. ऐसा करने की वजह भी है. किन्नरों का मानना है कि मृत किन्नर ने जीते-जी कोई अपराध किया हो तो उसका प्रायश्चित हो जाए और अगला जन्म स्त्री या पुरुष में हो. बता दें कि जब भी किसी किन्नर की मौत होती है, तो पूरा समुदाय एक सप्ताह तक उसके लिए व्रत करता है और मृतक के लिए दुआएं मांगता है.
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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. न्यूज नेशन इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)