Kharmas 2025: कब से शुरू होगा खरमास 2025? इस दौरान न करें ये काम, जानें दान का महत्व और पौराणिक कथा

Kharmas 2025: इस साल खरमास 15 दिसंबर 2025 से लेकर 14 जनवरी 2026 तक लगेगा. ज्योतिषाचार्य से जानिए खरमास में होने वाले मौसमी बदलाव, दान का महत्व और पौराणिक कथा के बारे में.

Kharmas 2025: इस साल खरमास 15 दिसंबर 2025 से लेकर 14 जनवरी 2026 तक लगेगा. ज्योतिषाचार्य से जानिए खरमास में होने वाले मौसमी बदलाव, दान का महत्व और पौराणिक कथा के बारे में.

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Akansha Thakur
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Kharmas 2025

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Kharmas 2025: हर साल दो बार यह अवधि आती है जब सूर्य देव अपनी सामान्य गति से हटकर धनु और मीन राशियों में प्रवेश करते हैं. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, जब सर्य धनु राशि या मीन राशि में स्थित होता है तब पूरे एक महीने तक खरमास माना जाता है. इसी एक माह की अवधि को खरमास या मलमास कहा जाता है. इस समय शुभ कार्यों पर रोक लगा दी जाती है. क्योंकि इस समय को शुभ फल न देने वाला माना गया है. ऐसा कहा जाता है कि सूर्य की यह स्थिति पृथ्वी पर ऊर्जा और शुभ प्रभावों पर असर डालती है. इसलिए इस अवधि में साधना, दान और धार्मिक कार्यों का विशेष महत्व होता है. चलिए आपको इसके पौराणिक कथा के बारे में बताते हैं. 

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कब है खरमास? 

2025 में खरमास 16 दिसंबर से शुरू हो जाएगा. जैसे ही सूर्य देव धनु राशि में प्रवेश करेंगे, खरमास आरंभ हो जाएगा. फिर यह अवधि एक महीने तक चलेगी. जब सूर्य 14 जनवरी 2026 को मकर राशि में प्रवेश करेंगे तब मकर संक्रांति के साथ ही खरमास समाप्त हो जाएगा. इसके बाद पुन: सभी शुभ कार्यों की शुरुआत हो जाएगी. 

खरमास में दान का महत्व 

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, खरमास में दान करने से तीर्थ स्नान जितना पुण्य फल मिलता है. इस  महीने में निष्काम भाव से ईश्वर के नजदीक आने के लिए जो व्रत किए जाते हैं उनका अक्षय फल मिलता है और व्रत करने वाले के सभी दोष खत्म हो जाते हैं. इस दौरान जरूरतमंद लोगों और दुखियों की सेवा करने का महत्व है. खरमास में दान के साथ ही श्राद्ध और मंत्र जाप का भी विधान है. घर के आसपास किसी मंदिर में पूजन सामग्री भेंट करें. पूजन सामग्री जैसे कुमकुम, घी, अबीर, गुलाल, धुपबत्ती आदि. 

खरमास के दिन क्या करें क्या न करें?  

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, खरमास के दौरान इन कामों को करने से बचना चाहिए. यह नए रिश्ते की शुरुआत होती है. विवाह में भौतिक और आत्मिक दोनों सुखों की कामना की जाती है, जो इस अवधि में सूर्य के कमजोर बल के कारण अधूरे रह सकते हैं. नए घर में प्रवेश करने या उसका निर्माण शुरू करने से बचना चाहिए. इसके अलावा बच्चों से संबंधित कोई भी शुभ संस्कार नहीं करना चाहिए. हालांकि खरमास में मांगलिक कार्य बंद होते हैं लेकिन धार्मिक और आध्यात्मिक कार्यों के लिए यह समय बहुत ही शुभ माना गया है. 

पौराणिक कथा 

पौराणिक कथा के अनुसार, भगवान सूर्य अपने सात घोड़ों वाले रथ पर सवार होकर निरंतर ब्रह्मांड की परिक्रमा करते रहते हैं. यदि वे रुक जाएं तो संसार में जीवन रुक जाएगा. एक बार लगातार चलने के कारण उनके घोड़े अत्यंत थक गए और उन्हें प्यास लग गई. सूर्य देव को घोड़ों को आराम देना था लेकिन रुकना मना था. तभी सूर्य देव ने रास्ते में तालाब के किनारे खड़े दो गधों को अपने रथ में जोत दिया और घोड़ों को विश्राम के लिए छोड़ दिया. 

गधों को रथ खींचने की आदत नहीं थी इसलिए उनकी गति बहुत धीमी हो गई और वे बड़ी कठिनाई से रख को खींच पाए. इस दौरान सूर्य के रथ की गति धीमी रही और उनका तेज भी कम हो गया. इसलिए हर साल जब सूर्य गुरु की राशियों में प्रवेश करते हैं तो उस अवधि को मलमास कहा जाता है.

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