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केदारनाथ यात्रा 2017: जानें कैसे हुआ कायाकल्प और किस रास्ते से जल्द होंगे बाबा के दर्शन

पहला पैदल रास्ता त्रियुगीनारायण से सीधे केदारनाथ मंदिर तक है, जो 15 किलोमीटर लंबा है।

Updated on: 03 May 2017, 11:49 AM

नई दिल्ली:

उत्तराखंड में आज से यानि 3 मई से केदारनाथ यात्रा शुरू हो गई है। भगवान शिव के 12 ज्योतिलिंगों में से 11वां ज्योतिर्लिंग केदारनाथ मंदिर में ही है, लेकिन शायद ही किसी ने सोचा होगा कि चार वर्ष पहले तबाही की जद में आए इस मंदिर का फिर से शानदार कायाकल्प हो पाएगा।

15-16 जून 2013 की रात मंदाकिनी नदी के जलप्रलय में केदारनाथ मंदिर के नीचे गौरीकुंड और रामबाड़ा तक सब कुछ तबाह हो गया था। 2013 की त्रासदी की इंजीनियरिंग कोर ने यहां जबर्दस्त काम को अंजाम दिया है। 

उत्तराखंड सरकार की लाइफलाइन कही जाने वाली चारधाम यात्रा केदारनाथ धाम के बिना अधूरी माना जाती है। चार साल में उत्तराखंड सरकार ने आईटीबीपी और सेना ने अपना पूरा दमखम लगाकर यात्रियों के लिए नया रास्ता तैयार किया है। 

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कैसे पहुंचे केदारनाथ मंदिर

केदारनाथ मंदिर तक पैदल भी पहुंचा जा सकता है। गौरीकुंड से 16 किलोमीटर की पैदल दूरी तय कर बाबा केदारनाथ के दर्शन किए जा सकते हैं। 2013 के बाद केदारनाथ जाने के लिए दो पैदल रास्ते बना दिए गए हैं।

पहला पैदल रास्ता त्रियुगीनारायण से सीधे केदारनाथ मंदिर तक है, जो 15 किलोमीटर लंबा है। वहीं दूसरा रास्ता चौमासी से रामबाड़ा के दूसरी ओर से होते हुए लिनचोली के पास केदारनाथ पैदल मार्ग से मिल जाता है।

गौरीकुंड-रामबाड़ा केदारनाथ रास्ते से हैं 2 से 3 किलोमीटर लंबे

केदारनाथ रास्ते से गौरीकुंड-रामबाड़ा 2 से 3 किलोमीटर लंबे हैं। यानि पहले 16 किलोमीटर पैदल चलकर केदारनाथ पहुंचा जा सकता था, इसके साथ ही अब बाबा के धाम तक जाने के लिए यात्रियों को पहले के रास्ते के मुकाबले दो किलोमीटर पहले से चढ़ाई शुरू करनी होगी।

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आप ये भी कह सकते हैं कि 18 से 19 किलोमीटर पैदल चल कर आप बाबा केदारनाथ को प्रसन्न कर सकते हैं। आपदा प्रबंधन ने श्रद्धालुओं की सुरक्षा के लिए कड़े इंतजाम भी किए हैं।

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