कांवड़ यात्रा: मनोकामना पूर्ति के लिए गंगाजल से करते हैं शिव का अभिषेक
माना जाता है कि सावन के महीने शिव के अलावा सभी देवता विश्राम करते है। ऐसे में सभी काम उन्हीं को करने पड़ते है।
नई दिल्ली:
सावन का महीना शिव भक्तों के लिए बेहद खास होता है। हिन्दू धर्म में ऐसी मान्यता है कि सावन के महीने में शिव भगवान की पूजा करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
माना जाता है कि सावन के महीने शिव के अलावा सभी देवता विश्राम करते है। ऐसे में सभी काम उन्हीं को करने पड़ते है।
अपनी मनोकामना लेकर शिवभक्त नंगे पाव काशी, ऋषिकेश, हरिद्वार, गोमुख, देवघर, बैद्यनाथ आदि जगह से शिवलिंग पर चढ़ाने के लिए पवित्र गंगाजल लेकर आते है। घर आकर शिवरात्रि के दिन अपने घर के पास वाले शिव मन्दिर में जाकर शिवलिंग का अभिषेक उसी गंगा जल से करते है। इसे ही कांवड़ यात्रा कहते है।
कांवड़ यात्रा भारत के हिंदी भाषी राज्यों जैसे उत्तर प्रदेश, हरियाणा, राजस्थान, दिल्ली, मध्यप्रदेश, बिहार में ज्यादा प्रचलित है। वहीं दक्षिण में तमिलनाडु के रामेश्वरम में सावन के महीने में शिव जी का अभिषेक होता है।
इसे भी पढ़ें: जानिए सिंदूर लगाने के धार्मिक और वैज्ञानिक कारण, होते है ये नुकसान
कांवड यात्रा का इतिहास
पुराणो में बताया जाता है कि समुद्र मंथन के दौरान निकले विष का सेवन करने भगवान शिव का पूरा शरीर जलने लगा था। जिसे शीतल करने के लिए सभी देवताओं मे उनके ऊपर जल चढ़ाया था। जिसके बाद से यह परंपरा शुरू हो गई।
पहले कांवडियां को लेकर विद्वानों की अलग अलग राय है, कुछ परशुराम तो कुछ श्रवण कुमार को तो कहीं भगवान राम को पहला कांवडियां माना जाता है।
इस दौरान इन बातों का रखें ध्यान
मान्यता है कि कांवड़ यात्रा के दौरान शराब-मांस आदि का सेवन वर्जित होता है। यहां तक चमड़े से बनी किसी भी वस्तु को भी नहीं छूना चाहिए। कांवड़ को जमीन पर रखने की मनाही होती है। इस दौरान भक्त ‘हर हर महादेव’ और 'बम बोले बम' जैसे नारों को गाते है। माना जाता है कि यह य़ात्रा पैदल करने से ही सफल होती है।
इसे भी पढ़ें: बैद्यनाथ धाम मंदिर, जहां 'पंचशूल' के दर्शन मात्र से होती है मनोकामना पूरी
भगवान शिव को क्यों प्रिय है सावन का महीना-
इसके पीछे की मान्यता यह हैं कि दक्ष पुत्री माता सती ने अपने जीवन को त्याग कर कई वर्षों तक श्रापित जीवन जीया। उसके बाद उन्होंने हिमालय राज के घर पार्वती के रूप में जन्म लिया।
पार्वती ने भगवान शिव को पति रूप में पाने के लिए पूरे सावन महीने में कठोर तप किया जिससे खुश होकर भगवान शिव ने उन्हें अपनी पत्नी के रूप में स्वीकार किया। अपनी पत्नी से फिर मिलने के कारण भगवान शिव को श्रावण का यह महीना बेहद प्रिय है।
मान्यता हैं कि सावन के महीने में भगवान शिव ने धरती पर आकार अपने ससुराल में घूमे थे जहां अभिषेक कर उनका स्वागत हुआ था इसलिए इस माह में अभिषेक का विशेष महत्व है।
इसे भी पढ़ें: धर्म के बंधन को तोड़ मुस्लिम कलाकार बनाते हैं हिंदुओं के विवाह मंडप
वीडियो
IPL 2024
मनोरंजन
धर्म-कर्म
-
April Panchak Date 2024: अप्रैल में कब से कब तक लगेगा पंचक, जानें क्या करें क्या ना करें
-
Ramadan 2024: क्यों नहीं निकलते हैं कुछ लोग रमज़ान के आखिरी 10 दिनों में मस्जिद से बाहर, जानें
-
Surya Grahan 2024: क्या भारत में दिखेगा सूर्य ग्रहण, जानें कब लगेगा अगला ग्रहण
-
Rang Panchami 2024: आज या कल कब है रंग पंचमी, पूजा का शुभ मुहूर्त और इसका महत्व जानिए