Kalashtami 2025: कालाष्टमी का दिन भगवान शिव के रौद्र स्वरूप, काल भैरव को समर्पित है. इस दिन काल भैरव की पूजा करने से भक्तों के जीवन के सभी कष्ट, भय और नकारात्मकता दूर होती है. काल भैरव की पूजा दो तरीके से की जाती है एक तामसिक और दूसरी सात्विक पूजा. तांत्रिक और अघोरी सिद्धियां प्राप्त करने बाबा भैरवनाथ की तंत्र-मंत्र से पूजा करते हैं. वहीं गृहस्थ जीवन वाले इस दिन सामान्य रूप से काल भैरव की आराधना में लीन होते हैं. काल भैरव को तंत्र-मंत्र के देवता और दंडपाणि (न्यायकर्ता) भी कहा जाता है, जो भक्तों को बुरी शक्तियों से बचाते हैं और उन्हें शत्रुओं पर विजय दिलाते हैं. आइए आपको बताते हैं पूजा का शुभ मुहूर्त और उपाय.
कालाष्टमी का शुभ मुहूर्त
आषाढ़ कालाष्टमी तिथि शुरू - 18 जून 2025, दोपहर 1.34
आषाढ़ कालाष्टमी तिथि समाप्त - 19 जून 2025, सुबह 11.55
सुबह पूजा मुहूर्त - सुबह 10.38 - दोपहर 12.22
रात्रि पूजा मुहूर्त - रात 11.07 - प्रात: 12.22, 19 जून
काल भैरव को प्रसन्न करने के लिए करें ये उपाय
धन संकट के लिए
लक्ष्मी की प्राप्ति के लिए कालाष्टमी पर भगवान शिव के समझ चौमुखी दीपक लगाकर भगवान काल भैरव का स्मरण करें और फिर श्री शिव दारिद्रयदहन स्तोत्र का पाठ करें.
कानूनी मामलों के लिए
इस दिन काल भैरव को नारियल, गेरुआ सिंदूर, इमरती, पान अर्पित करें और फिर "ॐ तीखदन्त महाकाय कल्पान्तदोहनम्। भैरवाय नमस्तुभ्यं अनुज्ञां दातुर्माहिसि।" मंत्र का जाप करें. कहते हैं कि इस उपाय से व्यक्ति को कानूनी मामलों में सफलता मिलती है. शत्रु बाधा नहीं बनते हैं
शनि की कूदृष्टि से बचने के लिए
मान्यता है कि भगवान काल भैरव की सवारी कुत्ता है. कालाष्टमी के दिन काले कुत्तों को मीठा रोटी या पेडे़ खिलाना शुभ माना जाता है. इससे न केवल काल भैरव की कृपा प्राप्त होती है, बल्कि जीवन में आने वाले अनहोनी घटनाओं से बचाव भी होता है. शनि परेशान नहीं करते हैं.
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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. न्यूज नेशन इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)