Kajari Teej 2025: कजरी तीज पर करें ये काम, विवाह से जुड़ी दिक्कत होगी खत्म

Kajari Teej 2025: सुहागिन महिलाएं इस दिन अपने पति की दीर्घायु और वैवाहिक सुख के लिए व्रत रखती हैं, जबकि कुंवारी कन्याएं मनचाहा जीवनसाथी पाने के उद्देश्य से इस व्रत का पालन करती हैं.

Kajari Teej 2025: सुहागिन महिलाएं इस दिन अपने पति की दीर्घायु और वैवाहिक सुख के लिए व्रत रखती हैं, जबकि कुंवारी कन्याएं मनचाहा जीवनसाथी पाने के उद्देश्य से इस व्रत का पालन करती हैं.

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Dheeraj Sharma
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Kajri teej vrat 2025 News

Kajari Teej 2025: हिंदू धर्म में कई तरह के तीज और त्योहार होते हैं. इन त्योहार का अपना-अपना महत्व होता है. ऐसा ही एक त्योहार है  कजरी तीज. इसे  "सातुड़ी तीज" के नाम से भी जाना जाता है. देशभर में ये तीज 12 अगस्त 2025 यानी मंगलवार को मनाई जा रही है. इस तीज का सुहागिन महिलाओं के साथ साथ कन्याओं के लिए भी खास महत्व माना जाता है. दरअसल  यह पर्व भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाता है. सुहागिन महिलाएं इस दिन अपने पति की दीर्घायु और वैवाहिक सुख के लिए व्रत रखती हैं, जबकि कुंवारी कन्याएं मनचाहा जीवनसाथी पाने के उद्देश्य से इस व्रत का पालन करती हैं. आइए जानते हैं कि इस दिन क्या करने से जीवन में विवाह संबंधी समस्याएं आ रही दिक्कतें दूर होती हैं. 

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व्रत के साथ कथा श्रवण का महत्व

कजरी तीज के दिन आपको व्रत रखना चाहिए. व्रत रखने के साथ-साथ इस दौरान व्रत कथा सुनने का भी उतना ही महत्व माना गया है. कजरी तीज की  पौराणिक कथा पवित्र भी है. ऐसा माना जाता है कि व्रत के साथ इसकी कथा सुनने से वैवाहिक जीवन में शांति, प्यार और समर्पण बना रहता है. साथ ही, विवाह में आ रही रुकावटें भी दूर होती हैं. 

क्या है कजरी तीज की पौराणिक कथा?

एक समय की बात है, एक गांव में एक गरीब ब्राह्मण अपनी पत्नी के साथ रहता था. भाद्रपद माह की कजरी तीज पर ब्राह्मणी ने व्रत रखा और अपने पति से सत्तू (एक विशेष प्रसाद) लाने को कहा, लेकिन घर की हालत खराब थी और ब्राह्मण के पास धन नहीं था.  आखिरकार, पति ने सत्तू चुराकर लाने का निश्चय किया. रात के अंधेरे में वह एक दुकान में घुस गया, जहां से वह सत्तू चुराने ही वाला था कि दुकानदार जाग गया और ब्राह्मण को पकड़ लिया. ब्राह्मण की पत्नी चंद्रमा के उदय की प्रतीक्षा करते हुए व्रत खोलने को तैयार बैठी थी. 

जब दुकानदार ने तलाशी ली तो ब्राह्मण के पास से सिर्फ सत्तू मिला. ब्राह्मण ने सच्चाई बताते हुए कहा कि उसकी पत्नी व्रत में है और सत्तू की जरूरत थी, इसलिए वह मजबूरी में चोरी करने आया. दुकानदार भावुक हो गया और उसकी श्रद्धा देखकर बोला – "आज से मैं तुम्हारी पत्नी को अपनी बहन मानूंगा."

उसने ब्राह्मण को मेहंदी, गहने, सत्तू और धन देकर विदा किया. ब्राह्मण ने घर जाकर पत्नी को सत्तू दिया, और दोनों ने देवी कजली की विधिपूर्वक पूजा की। इसके बाद उनके जीवन में सुख-शांति और समृद्धि का आगमन हुआ. 

जीवन में आस्था और समर्पण का संदेश

कजरी तीज की कथा न केवल आस्था और श्रद्धा का प्रतीक है, बल्कि यह सिखाती है कि सच्चे मन से किया गया व्रत और समर्पण कभी व्यर्थ नहीं जाता. यह पर्व हमें जीवन में विश्वास, प्रेम और त्याग का महत्व भी समझाता है.

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. न्यूज नेशन इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.) 

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