जिस कैलाश पर्वत को आज तक कोई नहीं कर सका फतह, आइए जानें उसके कुछ अनसुलझे राज

Kailash Mansarovar Yatra: हिंदू धर्म में भगवान शिव को कैलाश पर्वत का स्वामी बताया गया है. कैलाश मानसरोवर की यात्रा हिंदू धर्म के लोगों के लिए काफी महत्व रखती है.

Kailash Mansarovar Yatra: हिंदू धर्म में भगवान शिव को कैलाश पर्वत का स्वामी बताया गया है. कैलाश मानसरोवर की यात्रा हिंदू धर्म के लोगों के लिए काफी महत्व रखती है.

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Nidhi Sharma
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Kailash Mansarovar

Kailash Mansarovar Photograph: (Freepik)

Kailash Mansarovar Yatra: इस साल 30 जून से कैलाश मानसरोवर की यात्रा फिर से शुरू हो रही है. हिंदू धर्म में भगवान शिव को कैलाश पर्वत का स्वामी बताया गया है. मान्यता है कि भगवान शिव अपने पूरे परिवार और दूसरे देवी देवताओं के साथ इस पर्वत पर निवास करते हैं. पौराणिक कथाओं में भी इसका जिक्र मिलता हैजिसमें बताया गया है कि भगवान शिव से इस  पर्वत को कई असुरों ने छीनने की कोशिश की है. कैलाश पर्वत से कई अनसुलझे रहस्य ऐसे है. जिन्हें कोई नहीं जानता है. आइए आपको बताते हैं. 

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पांच साल बाद यात्रा शुरू

कोविड-19 के पांच साल बाद 30 जून 2025 से एक बार फिर कैलाश मानसरोवर यात्रा फिर से शुरू हो रही है. यह यात्रा काफी पवित्र मानी जाती है. हालांकि इसके पीछे ना सिर्फ धार्मिक मान्यता है बल्कि इसके पीछे कई अनसुलझे रहस्य भी है. जिसके बारे में जानकर हर कोई हैरान रह जाता है. कैलाश का शिखर माउंट एवरेस्ट से काफी नीचा है, लेकिन फिर भी आज तक कोई भी इसकी चोटी पर नहीं चढ़ पाया है.

क्यों कोई नहीं चढ़ पाया 

माउंट एवरेस्ट (8,848 मीटर) की तुलना में कैलाश पर्वत (6,638 मीटर) काफी नीचा है, फिर भी आज तक कोई इसकी चोटी पर नहीं पहुंच पाया है. 1926 में ब्रिटिश और 2001 में जापानी टीम ने कोशिश की, लेकिन अचानक बीमारी, खराब मौसम और अजीब घटनाओं के कारण उन्हें वापस लौटना पड़ा.  हालांकि, इन मौसमी, इलेक्ट्रोमैग्नेटिक और भौगोलिक चुनौतियों के अलावा, लोगों का मानना है कि इन सभी बाहरी घटनाओं से बढ़कर वहां एक अदृश्य शक्ति है जो कैलाश के एक बिंदू के बाद किसी को भी आगे जाने की अनुमति नहीं देती. हालांकि, इसकी धार्मिक मान्यताओं को देखते हुए चीन सरकार ने कैलाश की चढ़ाई पर प्रतिबंध लगा दिया है, लेकिन इस पर्वत से जुड़े रहस्य आज तक सुलझ नहीं पाए हैं.  

मानसरोवर और राक्षस ताल  

कैलाश के पास दो झीलें हैं- मानसरोवर, जो मीठे पानी की झील है. धार्मिक मान्यताएं हैं कि मानसरोवर का जल बेहद पवित्र होता है. इसके ठीक बगल में राक्षस ताल, जो खारे पानी की झील है. इसका पानी न पीने लायक है और न यहां जीवन पनपता. पौराणिक कथाओं के अनुसार, रावण ने यहां तपस्या की थी, जिसके कारण यह झील अपवित्र हो गई. वहीं वैज्ञानिकों का मानना है कि ये दोनों झीलें कभी जुड़ी हुई थीं, लेकिन टेक्टोनिक हलचलों के कारण अलग हो गईं. फिर भी, इन दोनों के पानी में इतना अंतर क्यों है, इस सवाल का जवाब नहीं मिल पाया है. कुछ लोग इसे अच्छा और बुराई के बीच संतुलन का प्रतीक भी मानते हैं.

व्यक्ति हो जाता है दिशाहीन

कुछ लोग ये मानते हैं कि कैलाश पर्वत पर भगवान शिव अपने परिवार के साथ रहते हैं और इसीलिए किसी जीवित इंसान का उस ऊंचाई तक पहुंचना संभव नहीं है. कहा जाता है कि व्यक्ति मरने के बाद या जिसने कभी भी कोई पाप न किया हो, केवल वही कैलाश फतह कर सकता है. ऐसा भी माना जाता है कि कैलाश पर्वत पर थोड़ा सा ऊपर चढ़ते ही व्यक्ति दिशाहीन हो जाता है

तेजी से बीतता है समय

कई यात्रियों ने कैलाश के आसपास समय की गति बदलने जैसा अनुभव किया है. कुछ का कहना है कि यहां कुछ घंटों में ही उनके नाखून और बाल तेजी से बढ़ गए, जबकि कुछ को बहुत जल्दी बूढ़ा होने का एहसास हुआ.  

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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. न्यूज नेशन इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)

 

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