Govardhan Puja 2025: गोवर्धन पूजा आज या कल, नोट कर लें सही तारीख, जानिए शुभ मुहूर्त पूजा विधि और पौराणिक कथा

Govardhan Puja 2025: गोवर्धन पूजा का त्योहार दीवाली के अगले दिन मनाया जाता है लेकिन कई बार तिथि में बदलाव के कारण इस त्योहार की डेट एक दिन आगे बढ़ जाती है. ऐसे में जानिए इस साल कब है गोवर्धन पूजा.

Govardhan Puja 2025: गोवर्धन पूजा का त्योहार दीवाली के अगले दिन मनाया जाता है लेकिन कई बार तिथि में बदलाव के कारण इस त्योहार की डेट एक दिन आगे बढ़ जाती है. ऐसे में जानिए इस साल कब है गोवर्धन पूजा.

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Akansha Thakur
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Govardhan Puja 2025

Govardhan Puja 2025

Govardhan Puja 2025: पांच दिवसीय दीपावली त्योहार के एक दिन बाद गोवर्धन पूजा यानि दीपावली का अगला दिन अन्नकूट का पर्व श्रीकृष्ण द्वारा प्रकृति की पूजा के संदेश है. इसका आरंभ भगवान श्री कृष्ण द्वारा किया गया था. इस दिन समाज के आधार के रूप में गाय की पूजा होती है. यह त्योहार विशेष रूप से मथुरा, वृंदावन, गुजरात और राजस्थान में धूमधाम से मनाई जाता है. ये त्योहार दिवाली के अगले दिन पड़ता है  लेकिन कभी-कभी तिथि में बदलाव होने के कारण इस त्योहार की डेट एक दिन आगे बढ़ जाती है. ऐसे में चलिए  हम आपको बताते हैं इस साल गोवर्धन पूजा कब है इसके अलावा  पूजा विधि और पौराणिक कथा के बारे में. 

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गोवर्धन पूजा 2025 तिथि 

इस  साल गोवर्धन पूजा 22 अक्तूबर 2025 को है. कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की  प्रतिपदा तिथि का प्रारंभ 21 अक्टूबर शाम 05 बजे से 54 मिनट तक होगा और  प्रतिपदा तिथि का समापन 22 अक्टूबर शाम 08 बजे से लेकर 16 मिनट तक हो जाएगा. 

गोवर्धन पूजा का पूजन मुहूर्त 

द्रिक पंचांग के अनुसार, गोवर्धन पूजा का पहला मुहूर्त 22 अक्टूबर 2025 को सुबह 06 बजकर 26 मिनट से   लेकर सुबह 08 बजकर 42 मिनट तक रहेगा. दूसरा मुहूर्त दोपहर 03 बजकर 29 मिनट से शुरू होकर शाम 05 बजकर 44 मिनट तक रहेगा. इस दिन शाम की पूजा का मुहूर्त दोपहर 03 बजकर 29 मिनट से लेकर शाम 05 बजकर 44 मिनट तक रहेगा. 

गोवर्धन पूजा पूजा विधि 

गोवर्धन पूजा सुबह उठकर सबसे पहले आंगन की साफ-सफाई करें. फिर गाय के गोबर से गोवर्धन पर्वत जैसा छोटा सा  पर्वत बनाएं. इसके आस-पास बछड़े और ग्वालिन की मूर्तियां रखकर दीपक, फूल, जल और अन्न अर्पित करें. पूजा के बाद गोवर्धन पूजा की परिक्रमा करें. गाय और बछड़ों की भी इस दिन पूजा होती है. उन्हें गुड़ खिलाएं और चारा भी जरूर दें. इससे घर में सुख-समृद्धि आती है. साथ ही सारे कष्ट दूर होते हैं. 

गोवर्धन पूजा की पौराणिक कथा

मान्यता है कि इस दिन देवराज इंद्र को अपनी शक्तियों पर घमंड हो गया था और भगवान श्री कृष्ण इंद्र के अहंकार को चूर करने के लिए लीला रची थी. इस कथा के अनुसार एक समय गोकुल में लोग किसी उत्सव की तैयारी में जुटे हुए थे. कृष्ण से सवाल पर मां यशोदा ने कहा कि हम देवराज इंद्र की पूजा कर रहे हैं. माता यशोदा के जवाब पर कृष्ण ने फिर पूजा कि हम इंद्र की पूजा क्यों करते हैं. तब यशोदा मां ने कहा कि हम इंद्र देव की कृपा से अच्छी बारिश होती है और अन्न की पैदावार होती है. माता यशोदा की बात सुनकर कृष्ण ने कहा कि अगर ऐसा है तो हमें गोवर्धन पर्वत की भी पूजा करनी चाहिए क्योंकि हमारी गाय वहीं चरती है. श्री कृष्ण की बात मानकर सभी ने गोवर्धन पर्वत की पूजा शुरू कर दी. 

यह सब देखकर इंद्र देव क्रोधित हो गए और उन्होंने मूसलाधार बारिश शुरू कर दी. बारिश देखकर सभी गोकुल वासी घबरा गए. इस दौरान कृष्ण भगवान ने अपनी लीला दिखाई और गोवर्धन पर्वत को अपनी छोटी सी उंगली पर उठा लिया और सभी वासियों को पर्वत के नीचे बुला लिया. यह देखकर इंद्र देव और गुस्सा हो गए और उन्होंने बारिश और तेज कर दी लेकिन लगातार मूसलाधार बारिश के बाद भी गोकुल वासियों को कोई नुकसान नहीं पहुंचा. 

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