महिला नागा साधु कठोर नियमों का पालन करती हैं. वह खुद को सांसरिक जीवन से दूर रखती है. महिला नागा साधु बनने का रास्ता बहुत कठिन होता है. महिला नागा साधु बनने के लिए सांसरिक मोह माया को त्याग कर एक अलग जीवन जीना होता है. वहीं इनकी दुनिया काफी रहस्यमयी होती है. जिसे जानने की हर किसी की इच्छा होती है. महिला नागा साधुओं को भी पीरियड्स की प्रक्रिया से गुजरना पड़ता है. ऐसे में दिमाग में आता है कि वो पीरियड्स के दौरान गंगा स्नान कैसे करती है. आइए आपको इसके बारे में बताते है.
महिला नागा साधु के नियम
महिला नागा साधुओं को गंगा स्नान या महाकुंभ के दौरान अमृत स्नान के समय अगर पीरियड्स आ जाते हैं तो ऐसे में उन्हें छूट होती है कि वह गंगाजल को हाथ में लेकर उसे अपने शरीर पर छिड़क लें. इससे मान लिया जाता है कि महिला नागा साधु ने गंगा स्नान कर लिया है. हालांकि, उन्हें गंगा तट पर जाने की अनुमति नहीं होती है. वे सिर्फ अपने शिविर में ही रहती हैं और वहीं जल में गंगाजल मिलाकर उससे स्नान करती हैं. पीरियड्स के दौरान महिला नागा साधु साधना नहीं कर सकती हैं, इसलिए वे मानसिक जाप करती हैं.
शरीर पर राख लपेटती हैं
पीरियड्स के दौरान महिला नागा साधु एक छोटे से वस्त्र का इस्तेमाल करती हैं. उसे बहाव के स्थान पर लगाया जाता है. पीरियड्स दौरान महिला नागा शिविर में जल स्नान करती हैं. पीरियड्स के दिनों में महिला नागा जप करती हैं और पूरे शरीर में राख लपेटे रहती हैं.
क्या है प्रक्रिया
महिला नागा साधु बनने की प्रक्रिया नागा साधुओं की तरह 10-12 साल में पूर्ण होती है. लेकिन इसके लिए महिलाओं के मापदंड अलग होते हैं. जहां ब्रह्मचर्य का पालन करने के लिए पुरुषों का जननांग निष्क्रिय कर दिया जाता है, तो वहीं महिलाओं को ब्रह्मचर्य के पालन का संकल्प लेना होता है. इसके चलते कई महिलाओं को ये साबित करने में 10 से 12 सालों का समय लग जाता है.
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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. न्यूज नेशन इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)