हिंदू धर्म में आत्मा को अमर माना जाता है और मृत्यु के बाद भी इसका अस्तित्व माना जाता है. वहीं हिंदू धर्म में इसे पूनर्जन्म और कर्म के सिद्धांतों से जोड़ा जाता है. आत्माओं के अस्तित्व और उनके व्यवहार पर विभिन्न संस्कृतियों और धर्मों में अलग-अलग मान्यताएं हैं. भारतीय संस्कृति में भी इसके बारे में कई प्रकार की धारणाएं हैं. जब भी कोई प्रियजन मर जाता है, तो बचपन में घरवाले कहते थे कि उसकी आत्मा हमारे आसपास ही रहती है. वहीं इस बारे में भारतीय संस्कृति में आत्माओं के बारे में अलग-अलग मान्यताएं हैं. वहीं अब वैज्ञानिकों ने इस बारे में सच बताया है.
हिंदू धर्म के मुताबिक
हिंदू धर्म के मुताबिक जब किसी व्यक्ति की मृत्यु होती है, तो उसकी आत्मा अपनों को छोड़कर नहीं जाती, खासतौर पर जब उसकी मृत्यु असमय या अचानक होती है. ऐसा माना जाता है कि आत्मा का अपनी मृत्यु से पहले अधूरे काम या अनसुलझे भावनात्माक संबंध हो सकते हैं, जिसके कारण वह अपने प्रियजनों के पास ही रहती है.
मृत्यु के बाद भी जीवित
ऐसा मान्यता है कि आत्मा मृत्यु के बाद भी जीवित रहती है और वह अगले जन्म में प्रवेश करती है. पितृ पक्ष के दौरान, पूर्वजों की आत्माओं का सम्मान किया जाता है और उन्हें प्रसन्न करने के लिए श्राद्ध और तर्पण जैसे कर्मकांड किए जाते हैं.
वैज्ञानिकों का दावा
वैज्ञानिकों के अनुसार किसी प्रियजन की मौत के बाद उनकी आत्मा का अनुभव अक्सर एक मानसिक और भावनात्मक प्रतिक्रिया होती है. यह दुख या फिर अधूरे कार्यों के कारण हो सकता है. इसे ग्रिएविंग' प्रक्रिया का हिस्सा माना जाता है. परामनोविज्ञान एक विज्ञान का क्षेत्र है जो आत्माओं और उनके व्यवहार का स्टडी करता है. वहीं कई लोगों ने आत्माओं के अनुभव की रिपोर्ट की है, जिसमें उन्होंने अपने प्रियजनों के साथ संपर्क होने का दावा किया है. हालांकि, आज भी वैज्ञानिक आत्मा को मिथ मानते हैं क्योंकि इसे लेकर आज तक कोई ठोस प्रूफ नहीं मिला है कि इनके बारे में कुछ बताया जाए.
Religion की ऐसी और खबरें पढ़ने के लिए आप न्यूज़ नेशन के धर्म-कर्म सेक्शन के साथ ऐसे ही जुड़े रहिए.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. न्यूज नेशन इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)