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दीवाली 2017: जानें लक्ष्मी पूजन का क्या है शुभ मुहूर्त ?

मां लक्ष्मी को प्रसन करने करने के लिए पूजा की पूजन विधि और मंत्र के साथ ही मुहूर्त का भी विशेष ध्यान रखना चाहिए जिससे मां लक्ष्मी की कृपा उनके परिवार पर हमेशा बनी रहें।

Updated on: 19 Oct 2017, 10:31 AM

नई दिल्ली:

दीवाली खुशियों का त्यौहार माना जाता है। ख़ुशी के साथ ही मां लक्ष्मी को प्रसन करने करने के लिए पूजा की पूजन विधि और मंत्र के साथ ही मुहूर्त का भी विशेष ध्यान रखना चाहिए जिससे मां लक्ष्मी की कृपा उनके परिवार पर हमेशा बनी रहें। 

शुभ मुहूर्त

दीवाली का त्यौहार 19 अक्तूबर को बड़ी धूमधाम के साथ पूरे देश में मनाया जायेगा। शाम 5.38 बजे से 8.14 बजे तक वृष लग्न रहेगा। इसलिए शाम 7.05 बजे से रात 9 बजे तक वृष लग्न में पूजा करना विशेष शुभ रहेगा।

शाम 5.40 बजे से 7.18 बजे तक अमृत की चौघड़िया रहने से इस योग में दीपदान, महालक्ष्मी, गणेश कुबेर पूजन, बहीखाता पूजन शुभ रहेगा।

दीवाली पूजन के लिए सामग्री

लक्ष्मी पूजन में केसर, रोली, चावल, पान का पत्ता, सुपारी, फल, फूल, दूध, खील, बतासे, सिन्दूर, सूखे मेवे, मिठाई, दही गंगाजल धूप, अगरबत्ती , दीपक रुई, कलावा, नारियल और कलश के लिए एक ताम्बे का पात्र आदि चीज़ों का इस्तेमाल किया जाता है।

कैसे करें पूजा

पूजा शुरू करने से पहले गणेश लक्ष्मी के विराजने के स्थान पर रंगोली बनाएं। जिस चौकी पर पूजन कर रहे हैं उसपर लाल या पीला कपड़ा बिछाकर उसके चारों कोने पर एक-एक दीपक जलाएं। इसके बाद प्रतिमा स्थापित करने वाले स्थान पर कच्चे चावल रखें फिर गणेश और लक्ष्मी की प्रतिमा को विराजमान करें।

इस दिन लक्ष्मी, गणेश के साथ कुबेर, सरस्वती एवं काली माता की पूजा का भी विधान है अगर इनकी मूर्ति हो तो उन्हें भी पूजन स्थल पर विराजमान करें। ऐसी मान्यता है कि भगवान विष्णु की पूजा के बिना देवी लक्ष्मी की पूजा अधूरी रहती है। इसलिए भगवान विष्ण के बांयी ओर रखकर देवी लक्ष्मी की पूजा करें।

मंत्र

  • सबसे पहले माता लक्ष्मी का ध्यान करेंः - ॐ या सा पद्मासनस्था, विपुल-कटि-तटी, पद्म-दलायताक्षी। गम्भीरावर्त-नाभिः, स्तन-भर-नमिता, शुभ्र-वस्त्रोत्तरीया।। लक्ष्मी दिव्यैर्गजेन्द्रैः। ज-खचितैः, स्नापिता हेम-कुम्भैः। नित्यं सा पद्म-हस्ता, मम वसतु गृहे, सर्व-मांगल्य-युक्ता।।
  • 'ॐ भूर्भुवः स्वः महालक्ष्मी, इहागच्छ इह तिष्ठ, एतानि पाद्याद्याचमनीय-स्नानीयं, पुनराचमनीयम्।'
  • ॐ सौभाग्यलक्ष्म्यै नम:, ॐ आद्यलक्ष्म्यै नम:, ॐ विद्यालक्ष्म्यै नम:, ॐ अमृतलक्ष्म्यै नम:, ॐ सत्यलक्ष्म्यै नम:, ॐ कामलक्ष्म्यै नम:, 
    ॐ भोगलक्ष्म्यै नम:, ॐ योगलक्ष्म्यै नम:.

    ऊं अपवित्र: पवित्रोवा सर्वावस्थां गतो पिवा ।
    य: स्मरेत् पुण्डरीकाक्षं स बाह्याभ्यन्तर:।।

    ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद श्रीं ह्रीं श्रीं महालक्ष्म्यै नमः

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