देश के इस मंदिर में होता है डायबिटीज का इलाज, दरबार में लगती है शुगर मरीजों की कतार

Diabetes Cure: डायबिटीज यानी मधुमेह मौजूदा समय की एक आम लेकिन जटिल बीमारी बन चुकी है. जीवनशैली में बदलाव, अनियमित खानपान और तनाव इसकी मुख्य वजह माने जाते हैं.  इस बीमारी में शरीर की शुगर प्रोसेस करने की क्षमता कम हो जाती है.

Diabetes Cure: डायबिटीज यानी मधुमेह मौजूदा समय की एक आम लेकिन जटिल बीमारी बन चुकी है. जीवनशैली में बदलाव, अनियमित खानपान और तनाव इसकी मुख्य वजह माने जाते हैं.  इस बीमारी में शरीर की शुगर प्रोसेस करने की क्षमता कम हो जाती है.

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Dheeraj Sharma
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Diabetes Cure at Temple

Diabetes Cure: डायबिटीज यानी मधुमेह मौजूदा समय की एक आम लेकिन जटिल बीमारी बन चुकी है. जीवनशैली में बदलाव, अनियमित खानपान और तनाव इसकी मुख्य वजह माने जाते हैं.  इस बीमारी में शरीर की शुगर प्रोसेस करने की क्षमता कम हो जाती है, जिससे जीवनभर दवाइयों और खानपान पर नियंत्रण रखना पड़ता है, लेकिन जब विज्ञान के रास्ते थक जाते हैं, तब लोग आस्था का सहारा लेते हैं. तमिलनाडु के तिरुवारुर जिले के पास स्थित वेन्नी करुंबेश्वरर मंदिर ऐसा ही एक स्थान है, जहां श्रद्धालु अपनी शुगर की बीमारी को लेकर आते हैं विश्वास के साथ कि यहां उन्हें राहत मिलेगी. 

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क्या है वेन्नी करुंबेश्वरर मंदिर की विशेषता?

यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है, जिन्हें यहां "करुंबेश्वरर" यानी गन्ने के भगवान के रूप में पूजा जाता है. मंदिर का सबसे अनोखा पहलू यह है कि यहां शिवलिंग को गन्ने की बंधी हुई लकड़ियों से सजाया गया है, जो इस स्थान की विशेष पहचान बन चुकी है. करुंब का अर्थ होता है गन्ना - जो प्राकृतिक रूप से मिठास का स्रोत है  और यही प्रतीक है इस मंदिर की उस परंपरा का जहां "मिठास से बीमारी को हराने" की कामना की जाती है. 

डायबिटीज के इलाज की जगह या आस्था का केंद्र?

इस मंदिर में एक खास मान्यता है कि डायबिटीज से पीड़ित लोग यदि यहां भगवान शिव को चीनी अर्पित करें, तो उनकी बीमारी में राहत मिलती है. यह प्रक्रिया सिर्फ एक धार्मिक रिवाज नहीं, बल्कि श्रद्धा और विश्वास की प्रतीक मानी जाती है. लोग यहां दूर-दूर से आते हैं, भगवान को चीनी, रवा और गन्ना अर्पित करते हैं और फिर मन से प्रार्थना करते हैं कि उन्हें शुगर की बीमारी से मुक्ति मिले. 

कुछ श्रद्धालु बताते हैं कि मंदिर में दर्शन के बाद उनका ब्लड शुगर लेवल नियंत्रित हुआ है, दवाइयों की मात्रा कम करनी पड़ी है और कुछ लोग दावा करते हैं कि वे पूरी तरह स्वस्थ हो गए. हालांकि चिकित्सा दृष्टि से इसके प्रमाण सीमित हैं, फिर भी यह मंदिर उन लाखों लोगों के लिए आशा की किरण बना है जो सालों से मधुमेह से जूझ रहे हैं. 

मंदिर से जुड़ी एक और दिलचस्प परंपरा

यहां एक खास परंपरा है जिसमें श्रद्धालु रवा और चीनी का मिश्रण बनाकर मंदिर परिसर में बिखेरते हैं, ताकि चींटियां उसे खा सकें. मान्यता है कि जैसे-जैसे चींटियां इस मिठास को समाप्त करती हैं, वैसे-वैसे शरीर का ब्लड शुगर लेवल भी कम होता है. यह प्रतीकात्मक प्रक्रिया लोगों में सकारात्मक सोच और आत्मविश्वास उत्पन्न करती है. 

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