Sanatan Ekta Padyatra: सनातन हिंदू एकता पदयात्रा का मथुरा-वृंदावन में हुआ भव्य समापन, भक्तों का उमड़ा जनसैलाब

धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री के नेतृत्व में निकली सनातन हिंदू एकता पदयात्रा का मथुरा-वृंदावन में आज (16 नवंबर) भव्य और ऐतिहासिक समापन हुआ. यात्रा के अंतिम दिन भक्तों की जबरदस्त भीड़ उमड़ पड़ी.

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Deepak Kumar
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धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री के नेतृत्व में निकली सनातन हिंदू एकता पदयात्रा का मथुरा-वृंदावन में आज (16 नवंबर) भव्य और ऐतिहासिक समापन हुआ. यात्रा के अंतिम दिन भक्तों की जबरदस्त भीड़ उमड़ पड़ी.

बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री के नेतृत्व में निकली ‘सनातन हिंदू एकता पदयात्रा’ का मथुरा-वृंदावन में रविवार यानी 16 नवंबर को भव्य और ऐतिहासिक समापन हुआ. यह यात्रा 7 नवंबर को दिल्ली के छतरपुर मंदिर से शुरू हुई थी और 10 दिनों में लगभग 170 किलोमीटर का मार्ग तय कर वृंदावन के ठाकुर श्री बांके बिहारी मंदिर में समाप्त हुई.

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भक्तों का उमड़ा जनसैलाब

यात्रा के अंतिम दिन श्रद्धालुओं का उत्साह चरम पर दिखा. छटीकरा के चार धाम मंदिर से बांके बिहारी मंदिर तक की यात्रा में भक्तों की जबरदस्त भीड़ उमड़ पड़ी. अनुमान है कि समापन समारोह में 2 लाख से अधिक श्रद्धालु शामिल हुए. रास्ते भर जगह-जगह फूलों की वर्षा की गई और लोगों ने ‘जय श्री राम’ तथा ‘सनातन धर्म की जय’ के नारों से पूरा वातावरण भक्तिमय कर दिया.

कलाकारों और संतों की विशेष मौजूदगी

समापन कार्यक्रम में कई बड़े संतों, महंतों और कलाकारों ने भी मंच साझा किया. प्रसिद्ध कथावाचक जया किशोरी, चिदानंद मुनि सहित कई धार्मिक हस्तियां इस ऐतिहासिक अवसर पर मौजूद रहीं. मंच पर उपस्थित संतों ने सनातन धर्म की एकता और सामाजिक सौहार्द का संदेश दिया.

हिंदू राष्ट्र और ब्रज को मांस-मदिरा मुक्त करने का आग्रह

पदयात्रा के दौरान धीरेंद्र शास्त्री लगातार छुआछूत, भेदभाव और समाज में फैल रही विभाजनकारी सोच को खत्म करने की अपील करते रहे. समापन सभा में उन्होंने दो महत्वपूर्ण संकल्पों पर विशेष जोर दिया-

1. देश को हिंदू राष्ट्र बनाने का आह्वान
2. पूरे ब्रज क्षेत्र को मांस और मदिरा से मुक्त करने का संकल्प

उन्होंने कहा कि सनातन धर्म की रक्षा और समाज में समानता लाने के लिए सभी को मिलकर काम करना होगा.

सुरक्षा के कड़े इंतजाम

लाखों की भीड़ को देखते हुए मथुरा-वृंदावन में सुरक्षा व्यवस्था बेहद सख्त रखी गई. कई मुख्य मार्गों पर रूट डायवर्जन लागू किया गया, ताकि यातायात प्रभावित न हो और श्रद्धालुओं को कोई असुविधा न हो.

यह पदयात्रा सिर्फ एक धार्मिक यात्रा नहीं रही, बल्कि सनातन एकता, सामाजिक समरसता और सांस्कृतिक गर्व का संदेश बनकर पूरे देश का ध्यान अपनी ओर खींचने में सफल रही.

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