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नवरात्रि 2021: बीमारों को है इन देवी मां का सहारा, करिए पूजा दूर हो जाएगा दुख सारा

आज नवरात्रि का चौथा दिन है. इस दिन मां कुष्मांडा की पूजा की जाती है. ये मां दुर्गा का चौथा रूप है. इस दिन मां कुष्मांडा का विशेष महत्व होता है क्योंकि पूरे ब्रह्मांड को उत्पनन करने वाली कुष्मांडा देवी अनाहत चक्र को नियंत्रित करती हैं.

Updated on: 10 Oct 2021, 09:22 AM

highlights

  • नवरात्रि के चौथे दिन मां कुष्मांडा की पूजा की जाती है.
  • मां कुष्मांडा की पूजा करने से उम्र, यश, बल और स्वास्थ्य भी बेहतर होने लगता है.
  • देवी कुष्मांडा अपने भक्तों की हर तरह की बीमारी, शोक और दोष को दूर करती हैं.

नई दिल्ली:

आज नवरात्रि का चौथा दिन है. इस दिन मां कुष्मांडा की पूजा की जाती है. ये मां दुर्गा का चौथा रूप है. इस दिन मां कुष्मांडा का विशेष महत्व होता है क्योंकि पूरे ब्रह्मांड को उत्पनन करने वाली कुष्मांडा देवी अनाहत चक्र को नियंत्रित करती हैं. माना जाता है कि मां कुष्मांडा की पूजा करने से मां भक्तों के सभी दुख-संकट हर लेती हैं. माइथोलॉजिकल बिलीफ (mythological belief) के अनुसार मां कुष्मांडा की पूजा करने से उम्र, यश, बल और स्वास्थ्य भी बेहतर होने लगता है. कुष्मांडा देवी को अष्टभुजा भी कहा जाता है क्योंकि इनकी आठ भुजाएं होती हैं. अष्टभुजा देवी अपने हाथों में धनुष, बाण, कमल-पुष्प, कमंडल, जप माला, चक्र, गदा और अमृत से भरपूर कलश रखती हैं. नवरात्रि में मां दुर्गा के नौ रूपों की अलग-अलग तरह से पूजा की जाती है. माता के हर रूप को अलग-अलग तरह के पकवानों का भोग लगाया जाता है. माता कुष्मांडा को हलवे का भोग लगाया जाता है. तो चलिए आज जरा आपको इस दिन के महत्व, पूजा की विधि और भी दूसरी चीजों पर प्रकाश डालते हैं. 

                                       

सबसे पहले आपको बताते हैं कि मां का नाम कुष्मांडा कैसे पड़ा. ये तो हम जानते ही है कि ये नवदुर्गा का चौथा स्वरूप है. अपनी हल्की हंसी से ब्रह्मांड को उत्पन्न करने के कारण इनका नाम कुष्मांडा पड़ा. ये अनाहत चक्र को नियंत्रित करती हैं. मां की आठ भुजाएं हैं, इसलिए इन्हें अष्टभुजा देवी भी कहते हैं. संस्कृत भाषा में कुष्मांडा को कुम्हड़ कहते हैं. मां कुष्मांडा को कुम्हड़ के विशेष रूप से प्रेम है. ज्योतिष में मां कुष्मांडा का संबंध बुध ग्रह से है.

                                       

नवरात्रि के चौथे दिन के महत्व के बारे में बात करें तो, ये तो हम पहले ही बता चुके हैं कि इस दिन देवी कुष्मांडा की पूजा की जाती है. जो लोग शांत भाव से मां की पूजा करते हैं. उनके सभी दुख दूर हो जाते हैं. साथ ही अच्छी हेल्थ के लिए भी मां कुष्मांडा की पूजा की जाती है. देवी कूष्मांडा सारा डर दूर करती हैं. देवी कुष्मांडा अपने भक्तों के हर तरह की बीमारी, शोक और दोष को दूर करती हैं. इन दिन देवी कुष्मांडा को खुश करने के लिए मालपुआ का प्रसाद जरूर चढ़ाना चाहिए. 

                                       

वहीं अगर इस दिन पर पूजा करने की विधि के बारे में बात करें. तो बता दें, नवरात्रि में इस दिन भी रोज की तरह सबसे पहले कलश की पूजा करके माता कुष्मांडा को नमन किया जाता है. इस दिन पूजा में बैठने के लिए हरे रंग के आसन का इस्तेमाल करना बेहतर होता है. मां कुष्मांडा को इस प्रार्थना के साथ जल और फूल अर्पित किए जाते हैं. ताकि उनका आशीर्वाद हमेशा बना रहे. साथ ही अगर आपके घर में किसी तरह की कोई दिक्कत है या कोई लंबे समय से बीमार है. तो वो भी इस दिन विधिवत रूप से पूजा करके ठीक हो जाता है. तो इस दिन मां की पूजा-आराधना का विचार जरूर बनाएं.