Kalawa Rules: क्यों बांधते हैं कलावा, जानें सनातन धर्म में मौली बंधवाने के नियम और लाभ
Kalava Rules: हिंदू धर्म में किसी भी शुभ कार्य की शुरुआत और पूजा के समय हाथ में कलावा बांधा जाता है. लेकिन इसे बांधने के कुछ नियम हैं. अगर आप नियमों का पालन करते हुए कलावा या मौली बंधवाते हैं तो आपको फायदा होता है.
नई दिल्ली:
Kalava Rules & Benefits: हिंदू धर्म में किसी भी शुभ अवसर पर हाथ में कलावा बांधा जाता है. मान्यता है कि इसे बांधने से आपको शक्ति मिलती है और आप जिस भी मनोकामना के साथ कलावा बंधवाते हैं वो पूर्ण होती है. लेकिन कलावा कब बंधवाना चाहिए, इसे कब उतारना चाहिए. क्या कलावा उतारने का भी दिन होता है. हाथ में बांधे जाने वाले कलावा को उतारने के बाद कहां रखें. किस हाथ में बांधे ये सारे ऐसे सवाल हैं जो मौली या कलावा बांधते समय ध्यान में आते हैं. तो आइए जानते हैं कलावा से जुड़े कुछ नियम जो सनातन धर्म के अनुसाल पालन करने जरुरी है. नहीं तो शुभ फल देने वाले ये उपाय आपको उल्टे परिणाम भी दे सकते हैं.
हाथ में क्यों बांधते हैं कलावा
कलावा को हिन्दू धर्म में महत्वपूर्ण संकेतों और परंपराओं का हिस्सा माना जाता है. यह एक धागा होता है जिसे विशेष अवसरों पर आमतौर पर हाथों में बांधा जाता है. कलावा को बांधने के कई कारण हो सकते हैं, जैसे कि यह रक्षा का प्रतीक होता है, आदित्य की पूजा में यह एक महत्वपूर्ण भाग होता है, और यह साथ ही आपसी सद्भावना और प्रेम की प्रतीक भी हो सकता है.
कलावा बांधने के नियम
लोगों को इस बात का बहुत कंफ्यूज़न होता है कि कलावा किस हाथ में बंधवाएं. तो आपको बता दें कि सनातन धर्म के अनुसार पुरुष और कुंवारी कन्याओं को दाएं हाथ में कालावा बांधने का नियम है जबकि विवाहित स्त्रियां बाएं हाथ में कलावा बंधवाएं.
कलावा उतारने के नियम
कई बार देखा गया है कि लोग पुराना कलावा देखकर कभी भी कहीं भी उतारकर फेंक देते हैं. ऐसा करना नकारात्मक शक्तियों को न्योता देने जैसा होता है. मान्यताओं के अनुसार मंगलवार या शनिवार के दिन आप कलाई में बंधा कलावा खोल सकते हैं. नियम है कि पूजा घर के सामने बैठकर ही कलावा खोलना चाहिए और फिर नया कलावा बांध लेना चाहिए. पुराने उतारे हुए कलावे को किसी भी पीपल के पेड़ के नीचे या फिर बहते पानी में डालना चाहिए.
कलावा बांधते समय इन बातों का रखें ध्यान
कलावा बंधवाने का धार्मिक महत्त्व तो है ही लेकिन इसे बांधने के नियमों का पालन करना भी बेहद जरुरी है. कभी भी बिना दक्षिणा दिए कलावा नहीं बंधवाना चाहिए. जिस हाथ में आप कलावा बंधवा रहे हैं उसमें अपनी समर्थ के हिसाब से कुछ भी दक्षिणा रखें और बंधवाने के बाद बांधने वाले को वो दक्षिणा दें. ऐसे करने से आप जिस भी मनोकामना के लिए ये पवित्र लाल धागा बंधवा रहे हैं उसका शुभ फल मिलता है. एक बार का और ध्यान रखें कि कलावे को 3, 5 या 7 बार हाथ में लपेटना चाहिए.
शास्त्रों के अनुसार कलावा बांधने से त्रिदेव, ब्रह्मा, विष्णु और महेश के साथ तीनों देवियों लक्ष्मी, पार्वती व सरस्वती की कृपा मिलती है. अगर आप इन नियमों का पालन करते हुए कलावा अपने हाथ में बंधवाते हैं तो आपको इसके शुभ परिणाम भी देखने को मिलते हैं. वैसे लाल धागा बांधना शुभ तो होता ही है लेकिन इसके कई स्वास्थ्य फायदे भी हैं. यह ध्यान केंद्रित करने में मदद कर सकता है. इसके अलावा, यह सबलता और आत्म-विश्वास को बढ़ावा देने में भी मदद कर सकता है. कुछ अन्य वैज्ञानिक दृष्टिकोण से यह सिद्ध हो सकता है कि लाल रंग की दिखाई देने वाली प्रोतीन (एमीलोइड) का उत्पादन कम होने की संभावना होती है, जो कि अल्ज़ाइमर रोग से जुड़ा हुआ है. यहां ध्यान देने योग्य है कि ये सुझाव वैज्ञानिक अध्ययनों पर आधारित हैं, लेकिन इन्हें और अध्ययन की आवश्यकता है ताकि ये विद्यमान फायदे स्पष्ट और पुष्टि प्राप्त कर सकें.
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